दरभंगा में विपिन मिश्रा के शंख के लावण्य में Finance Minister निर्मला सीतारमण की नाद, कहा, शंखवादन में छिपा वैज्ञानिक आधार। (Scientific Basis Behind Shankh Vadan – Nirmala Sitharaman)
शंखवादन और सकारात्मक ऊर्जा
(Shankh Vadan and Positive Energy)
शंखवादन (Shankh Vadan) भारतीय सनातन संस्कृति की एक अमूल्य विरासत है, जिसे प्राचीन काल से धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में महत्वपूर्ण माना गया है। शंखों की ध्वनि (sound of conch) और गूंज का वायुमंडल पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण करने में सक्षम
यह नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण (elimination of negative energy) करने में सहायक होती है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) का संचार करती है। प्रातः समय में प्रत्येक घर में शंख बजाने की परंपरा इसी वैज्ञानिक तथ्य पर आधारित है।
केंद्रीय वित्त मंत्री का संबोधन
(Address by Union Finance Minister)
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने सम्मान समारोह (honor ceremony) में मिथिला के प्रसिद्ध शंखवादक विपिन मिश्रा (Shankh Vadan artist Vipin Mishra) और उनकी टोली द्वारा किए गए शंखवादन से प्रभावित होकर उक्त विचार व्यक्त किए। यह समारोह सांसद आवासीय कार्यालय परिसर (MP Residential Office Complex) में आयोजित किया गया था।
शंखवादन का सांस्कृतिक महत्व
(Cultural Significance of Shankh Vadan)
निर्मला सीतारमण ने शंखवादन को सांस्कृतिक विरासत (cultural heritage) और धरोहर (heritage) का हिस्सा बताते हुए कहा कि शंख की ध्वनियां और तरंगें, जो सृष्टि के आरम्भ (beginning of creation) से उत्पन्न होती हैं, हर नकारात्मक प्रभाव को खत्म कर देती हैं। इस कारण से धार्मिक आयोजनों (religious events) में शंखवादन की परंपरा चली आ रही है।
वैदिक स्वर में शंखवादन
(Vedic Style Shankh Vadan)
विपिन मिश्रा और उनकी टोली द्वारा किए गए अनवरत वैदिक स्वर में शंखवादन (continuous Vedic style conch playing) से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अत्यधिक प्रभावित हुईं और उन्होंने शंखवादक विपिन मिश्रा को उनके योगदान के लिए साधुवाद (commendation) दिया।
निष्कर्ष
शंखवादन न केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक परंपरा है, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार (scientific basis) भी है, जो हमारे आसपास की ऊर्जा (energy) को संतुलित करने और सकारात्मक वातावरण बनाने में सहायक होता है। यह प्राचीन भारतीय ज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे आज भी पूजा, समारोह और आध्यात्मिक आयोजन में जीवित रखा गया है।