केवटी, देशज टाइम्स। यह बड़ी विडंबना है। शिक्षा के नाम पर बड़ा धब्बा है। भले दावे सरकारी लाख हों मगर हकीकत अभी भी वहीं है जहां पूर्व में था। व्यवस्था जरूर बदलने की कोशिश हो रही मगर संसाधनों की कमी ने इस (In Keoti school, studies are going on while sitting on the ground, poor resources.) व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इसका समाधान सरकार करे तभी बेहतरी की किताब लिखी जा सकेंगी। आइए, हम ले चलते हैं आपको एक ऐसे ही संसाधन विहीन स्कूल पर जहां आज भी बच्चे जमींन पर बैठकर पोथी वाच रहे। प्रखंड है केवटी। विद्यालय का नाम है, प्राथमिक विद्यालय, बाबूसलीमपुर उर्दू। यहां क्या हो रहा है, कैसे पढ़ाई के नाम पर खानापूरी हो रही। पूरी रिपोर्ट…
एक तरफ सरकार की कवायद है
सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बेहतर हो। सभी को इसका लाभ मिले। इसके लिए नित्य नए नियम कानून बनाए जा रहे हैं। इसका परिणाम है, छात्र-छात्राओं के साथ विद्यालयों में शिक्षक-शिक्षिकाओं की उपस्थिति आंकड़े के हिसाब से होने लगे हैं।
लेकिन विडंबना है
बुनियादी सुविधाओं को दुरूस्त करने का प्रयास अब भी सफल नहीं हो पा रहा है। इसका प्रखंड की प्राथमिक विद्यालय, बाबूसलीमपुर उर्दू सटीक उदाहरण हैं। यहां के छात्र छात्राओं के लिए पढ़ने के लिए पर्याप्त कमरे और बैंच-टेबल नहीं है। खेल में का अभाव है।
पोषक क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने
के उद्देश्य से वर्ष 1957 में स्थापित इस विद्यालय के पास मात्र पांच कमरा है। इन पांच कमरा में में से एक में कक्षा 1-2 व दूसरे में कक्षा 4-5 के छात्र – छात्राओं को संयुक्त रूप से और तीसरे कमरा में कक्षा तीन के छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाता है।
चौथे कमरा में भंडार कक्ष है। जबकि पांचवें कमरा जर्जर है। विद्यालय में नामांकित 47 छात्र – छात्राओं को पढ़ाने के लिए प्रधान शिक्षक सहित पांच शिक्षक और शिक्षिकाएं ( तीन नए शिक्षक दो महिला और एक पुरूष) पदस्थापित है। बैंच-डेस्क के अभाव में वर्ग कक्ष के फर्श पर घर से लाए बोरे पर बैठ कर पढ़ा करते हैं।
वहीं प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत छात्र-छात्राओं के लिए मध्याह्न भोजन बनाने के लिए यहां एक रसोइया भी कार्यरत है। भोजन बनाने के लिए किचेन शेड यहां उपलब्ध है। चार शौचालय में दो शौचालय खराब है।
जबकि पेयजल के लिए उपलब्ध एक चापाकल ठीक है। बिजली की सुविधा यहां उपलब्ध है। खेल मैदान के अभाव में छात्र – छात्राओं को खेलने में काफी परेशानी होती है।
बोले बच्चे : छात्रा हेना प्रवीण, सानिया प्रवीण व रौशनी प्रवीण और छात्र महताब आलम ने बताया कि कमरा की कमी और बेंच डेस्क के अभाव पढ़ने में काफी दिक्कतें होती है।
” छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिया जा रहा है। मेन्यू के मुताबिक बच्चों को मध्याहन भोजन उपलब्ध कराया जाता हैं। सरकारी आदेशों का पूरी तरह पालन किया जाता हैं । विद्यालय की अन्य समस्याओं से विभाग के अघिकारी को अवगत कराया गया हैं।”
साजीद अफजल
प्रधान शिक्षक