मुख्य फोटो कैप्शन: जाले के सांप मित्र इसराफील दुनियां का सबसे खतरनाक विषैला सांप गेहुवन कोबरा से नजरे मिलते हुए
आर्थिक आभाव के बावजूद सर्पमित्र इसराफिल पर्यावरण बचाने को स्नकल्पित।
दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों में कौन नहीं जानता इस सांप मित्र को। पांच वर्षों से पर्यावरण के मित्र सांप को बचाने के कार्य में मशगूल दरभंगा जिले के जाले के काजीबहेड़ा गांव निवासी मो. मोईन के पुत्र इसराफिल की हिम्मत और संघर्ष के बारे में जो भी कहा जाए वह कम है।
विशेष रूप से सांप के प्रति लोगों का अंधविस्वास व सांप को लेकर आम लोगों को जागरूक करने को लेकर वह चर्चित है। एक भेंट में उन्होंने देशज टाइम्स को बताया है कि इनके पिता मो. मोईन किसान और माता सबरुल निशा गृहणी हैं। वे चार भाइयों में सबसे छोटे हैं।
विभिन्न क्षेत्र के हर वर्ग के लोगों के जीवन के सुरक्षा से लेकर पर्यावरण बचाने तथा सांप के संदर्भ में बताया कि जब भी कही भी सांप देखे उन्हें बिल्कुल न मारे बल्कि हमें किसी भी माध्यम से जानकारी दे ताकि मैं मौके पर पहुंचकर हर प्रजाति के सांप को पकड़ कर उसे उनके रहने की जगह जंगल में पहुंचा सकूं।
उन्होंने सर्प दंश की घटना में झाड़फूंक से लोगों को बचाते हुए अस्पताल पहुंचकर लोगों की जान बचाई है। सांप से कैसे पर्यावरण संरक्षित होती है। इस संदर्भ में उन्होंने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए देशज टाइम्स को बताया कि सांप पर्यावरण दूषित करने वाले कीट का भोजन करता है, जिससे पेड़ पौधे सहित खेत के फसल को नुकसान करने वाले कीट को खाकर वह पर्यावरण की रक्षा करता है। वे जिस जगह सांप पकड़ते हैं, उसके आसपास के घने जंगलों में उसे छोड़ देते हैं, जहां सांप उक्त जंगल को अपना आशियाना बना कर सुरक्षित रह सके।
उन्होंने कई बार वन विभाग के दर्जनों आला अधिकारियों से भी संपर्क किया है, लेकिन वहां से भी अबतक विशेष सहयोग नहीं मिल सका । अपनी समस्या को लेकर जाले के सीओ और प्रखंड विकास पदाधिकारी से मिले। लेकिन, यहां भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। जरूरत है सरकार के वन एवम पर्यावरण संरक्षण विभाग इस तरह के सर्पमित्र का पद सृजित कर स्थायी उचित मानधन के आधार पर नियुक्ति करने की।