जाले, देशज टाइम्स। माता जालेश्वरी मंदिर परिसर की देवी प्रतिमाओं का रिकॉर्ड समय दर्ज। 30 घंटा में पूरी हुई विसर्जन यात्रा। इस वर्ष विसर्जन यात्रा में रिकॉर्ड था 25 घंटा मगर इस वर्ष लगे 30 घंटा।
यही है प्रखंड क्षेत्र में आयोजित शारदीय नवरात्रा देवी दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन का मुख्य आकर्षण जहां एक को छोड़कर सभी मंदिर व पूजा पंडाल में पूजित प्रतिमाओं का विसर्जन बीते मंगलवार की देर रात को ही निकट के जलासाय नदी सरोवर व तालाबों में कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार, वहीं जाले के माता जालेश्वरी मंदिर परिसर की देवी मां दुर्गा समेत अन्य प्रतिमाओं का विसर्जन अपने रिकॉर्ड 25 घंटा को तोड़ते हुए इस वर्ष घंटा में विसर्जन पूर्ण हुआ।
बीते मंगलवार की संध्या 6 बजे मंदिर परिसर से चली विसर्जन यात्रा बुधवार को रात्रि 10,30 बजे विसर्जन स्थल सुखाई पोखर में संपन्न हुई। मालूम हो की यहां की परम्परा है कि माता रानी दुर्गा का विसर्जन यात्रा आधा रास्ता पुरुष एवम आधा रास्ता महिलाएं लेकर चलती है। बीते मंगलवार को संध्या 6 बजे विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमाओं को सजे धजे वाहन से विसर्जन स्थल सुखाई पोखर के लिए प्रस्थान किया गया था।
इस मौके जगह जगह दंडाधिकारी के साथ ससस्त्र पुलिसवलों की तैनाती किया गया है। महिला पुलिस की भी तैनाती दिखी। इस मौके पर विसर्जन जुलूस को सैकड़ों पुरुष की टोलियों ने जयशिव जयशिव माता दुर्गा की जयकारा के साथ नाचते गाते परंपरागत हथियारों का प्रदर्शन करते चली,परम्परा के अनुसार माता देवीदुर्गा विसर्जन जुलुश की अगवानी
आधा रास्ता पुरुष वर्ग करते है,एवम आधा रास्ता महिलाएं झिझिया नृत्य करती हुई माता के जुलुश की अगवानी करते चलती है । लेकिन इस वर्ष अपने परंपरा को तोड़ती हुए महिलाए आधा रास्ता से पूर्व ही शंकर चौक के निकट से सैकड़ों की संख्या में पहुंचीं विसर्जन जुलूस
को अपने नियंत्रण में लेकर झीझिया नृत्य करती युवतियों व महिलाओं ने माता के जुलूस यात्रा को लेकर चल पड़ी। मौके पर मौजूद पुरुष वर्ग को प्रतिमा के आगे चलने से रोक दिया गया।
परम्परा के अनुसार माता की प्रतिमाओं का विसर्जन पिछले वर्ष की 25 घंटा हुई थी,लेकिन इस वर्ष विसर्जन जुलूस में 30 घंटा से आधीक समय में निर्धारी रास्ता की दूरी ही तय कर सकी है। सर्वाधिक समय प्रतिमा गांव के विचोविच से गुजरने में प्रत्येक घर के लोग प्रतिमा का पूजा आरती करते है तभी प्रतिमा की गाड़ी आगे बढ़ता है।
इससे विसर्जन स्थल तक प्रतिमा जाने में और देर लगा है। रिकॉर्ड देखे तो डेढ़ किलोमीटर की यह विसर्जन यात्रा अपने आप में ही रिकॉर्ड तोड़ता नजर आता है।
श्रद्धा का यहां इतना मान्यता है कि सैकड़ों दंपत्ति अपने परिवार के सभी लोगों के साथ विसर्जन यात्रा सुरू होने के समय से प्रतिमा विसर्जन होने तक साथ-साथ चलते हैं। जिससे और सर्वाधिक समय लगता है।
जुलूस के साथ साथ विभिन्न खाद्य पदार्थ खिलौना विभिन्न तरह की मिठाइयां प्रसिद्ध भूंजा आदि की दुकान भी सजी धजी ढेलाओ पर साथ साथ चलता रहता है। महिला पुरुष युवा बच्चे जुलुश के साथ साथ चलते नजर आते हैं।
रास्ते में जहां भूख प्यास महसूस होने पर साथ चल रहे ठेला से सामग्री क्रय करते है। वही मेला के व्यवसाई अपने सामग्रियों के साथ विसर्जन स्थल सुखाई पोखर पर दुकानों को सजा लेते है।उनकी सामग्रियों की अच्छी बिक्री भी इस स्थल पर हो जाति है।