जाले। बिहार में राज्य सरकार की ओर से शराबबंदी कार्यक्रम को लेकर शिक्षकों को सीधे जोड़ने संबंधी पत्र का स्वागत राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने किया है।
शराबबंदी को लेकर उठाया गया ऐतिहासिक कदम
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, दरभंगा के जिला महामंत्री डॉ. कुमार मदन मोहन ने कहा
शिक्षक समाज की रीढ़ होते हैं। किसी भी विषय विश्लेषण की जब बात आती है तो भारतीय दर्शन व परंपरा के अनुसार लोगों का ध्यान गुरु और शिक्षक की तरफ ही जाता है।
शिक्षक समाज की रीढ़ होते हैं। किसी भी विषय विश्लेषण की जब बात आती है तो भारतीय दर्शन व परंपरा के अनुसार लोगों का ध्यान गुरु और शिक्षक की तरफ ही जाता है।
शैक्षिक महासंघ ने नीतीश कुमार का जताया आभार
गुरु के द्वारा बताई गई बातें लोग बिना शर्त स्वीकार करते आए हैं यही भारत की संस्कृति रही है। विभिन्न शिक्षक संगठनों के द्वारा इस तरह के पत्र का विरोध किया जाना उन्होंने अप्रत्याशित माना है। नीतीश सरकार समाज में शिक्षकों के खोए सम्मान को लौटाने का फिर से प्रयास कर रही है वो स्वागत योग्य कदम है।
सही-गलत में फर्क करना और गलत का विरोध करना सिखलाना ही शिक्षकों की नैतिक जिम्मेदारी और प्राथमिक कर्तव्य होता है। देश की वाह्यसुरक्षा के लिए जैसे सैनिक सरहद पर डटे होते और जान की परवाह भी नहीं करते हैं ठीक उसी तरह से समाज की सुरक्षा और संस्कृति की रक्षा के लिए समाज में शिक्षकों का डटना और निडर रहना जरूरी है।
डॉ. कुमार मदन ने कहा यदि शिक्षक पूरी तत्परता के साथ शराबबंदी की निगरानी करें और प्रशासन उनके इशारे को सरकार के आदेश के अनुसार पालन करे तो छह महीना के अंदर पूरा बिहार शराब मुक्त हो जाएगा और समाज में शिक्षकों की इज्जत भी बढ़ेगी।
शिक्षकों को सामाज सुधार कार्यक्रमों चाहे वह दहेज बंदी हो या बच्चों के द्वारा अपने बूढ़े माता-पिता के संरक्षण और सेवा की बात हो भ्रष्टाचार निवारण की बात हो सीधे जुड़ने और पहल करने संबंधी अधिकार और संरक्षण अगर राज्य सरकार देती है तो इसका भी शैक्षिक महासंघ हृदय से स्वागत करेगा।
संस्कृति का संरक्षण या सुसंस्कृति की समाज में समावेशन अगर शिक्षकों के द्वारा कराई जाए तो बहुत जल्द प्रभाव में आ जाता है। कोई भी सामाजिक सुधार बिना रोको-टोको की नीति के नहीं चल सकता और अगर इसकी जिम्मेवारी समाज के एक एक कोने तक पहुंचने वाले सर्वोच्च पदधारी शिक्षक को दे दी जाती है तो निश्चित रूप से समाज पुनर्जागरण की ओर बढ़ेगा।
बिहार में सामाजिक क्रांति के पोषक व पुनर्जागरण के जनक के रूप में नीतीश सरकार को सदैव सम्मान प्राप्त होता रहेगा। जरूरत है कि प्रशासन को भी इसके लिए पूर्ण रूप से तैयार कर दें कि वो शिक्षकों को उच्च स्थान प्रदान करते हुए उनका साथ दें। आने वाला बिहार निश्चित रूप से भगवान बुद्ध का बिहार बन जाएगा।
डॉ. कुमार मदन मोहन ने शिक्षक समाज को भी इस सामाजिक क्रांति में सरकार का साथ देने और अपने कर्तव्य बोध को समझने हेतु निवेदन किया है और सरकार के द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक क्रांति में अपनी सर्वोच्च भूमिका का ईमानदारीपूर्वक निर्वहन करने हेतु प्रेरित किया है।