दरभंगा का बिरौल आज अपने केशव कुमार चौधरी पर इतरा रहा है। गुरुवत। ज्ञान बांटने से लेकर खेल जगत की उस्तादी में निपुण केशव की कहानी किसी जिद से कम नहीं। गरीबी में बचपन बीता। आज हजारों नौनिहालों को नई राह एक उम्मीद बनकर समाज के युवाओं के आईकॉन बने हैं। पढ़ाई और अक्षर से ही नहीं खेल प्रतिस्पर्धाओं में भी इनकी खनक बोलती है। प्रेरणा के धनी युवाओं के आदर्श आखिर यूं हीं नहीं बनें केशव कुमार चौधरी। इस जीत में केशव की संघर्ष, प्रेरणा, उम्मीद की बड़ी कहानी छुपी है।
एक हाथ में किताब, दूसरे में गोल्ड मेडल…: जो बनता है केशव कुमार चौधरी को अव्वल
गरीबी से गोल्ड तक! शिक्षक से स्वर्ण पदक विजेता तक…। आखिर गोल्ड मेडलिस्ट कैसे बने गुरुजी! एक हाथ में किताब, दूसरे में गोल्ड मेडल…। केशव चौधरी की दोहरी जीत। दिव्यांग होते हुए भी दिखाया दम! केशव ने जीता गोल्ड मेडल। पढ़ाई से सरोकार मगर खेल से अजीब जुड़ाव और लगाव- जो बनता है केशव कुमार चौधरी को अव्वल। आखिर खेल में भी बाजीगर कैसे बनें केशव… स्वर्ण पदक जीतकर चमके केशव चौधरी क्या कहते हैं…
“यह जीत मेरी नहीं, समाज की है”— गोल्ड मेडलिस्ट शिक्षक केशव कुमार चौधरी की भावुक बातें
राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में जीता गोल्ड। दरभंगा के केशव चौधरी की प्रेरणादायी कहानी। शिक्षा और खेल दोनों के बाजीगर बिरौल के केशव कुमार चौधरी की इस जीत से आज बिरौल में खुशी की लहर है!
शिक्षक से स्वर्ण पदक विजेता तक: युवाओं के ऑइकान केशव चौधरी बने प्रेरणा के सामुच्य प्रतीक
दरभंगा का बिरौल आज अपने केशव कुमार चौधरी पर गर्व कर रहा है। गुरु के रूप में ज्ञान बांटने से लेकर खेल जगत में स्वर्ण पदक तक की कहानी किसी जिद और जुनून से कम नहीं है। गरीबी में बीता बचपन आज हजारों नौनिहालों के लिए प्रेरणा बन गया है। पढ़ाई और शिक्षा ही नहीं बल्कि खेल प्रतिस्पर्धाओं में भी उनकी खनक गूंजती है।
दरभंगा के केशव कुमार चौधरी ने जीता स्वर्ण
बिरौल प्रखंड के डुमरी गांव निवासी +2 बीपीएससी के केशव कुमार चौधरी ने राज्य स्तरीय दिव्यांगजन प्रतियोगिता-2025 के प्रमंडल स्तरीय स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोला फेंक (शॉट पुट) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर दरभंगा का नाम रौशन किया। यह प्रतियोगिता नेहरू स्टेडियम, लहेरियासराय में आयोजित हुई थी।
गोल्ड मेडलिस्ट केशव चौधरी को जिला खेल पदाधिकारी श्री परिमल एवं सहायक निदेशक, दिव्यांग सशक्तिकरण कोषांग श्री आशीष अमन ने मोमेंटो, मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
शिक्षा जगत से खेल तक
विदित हो कि हाल ही में शिक्षा जगत में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें मानक डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त हुई थी। शिक्षा और खेल दोनों क्षेत्रों में उपलब्धियों ने उनके व्यक्तित्व को और अधिक प्रेरणादायी बना दिया है।
जीत के बाद भावुक हुए केशव
सम्मान प्राप्त करने के बाद भावुक होकर केशव चौधरी ने कहा—
“यह जीत केवल मेरी नहीं है, बल्कि मेरे माता-पिता, बड़े भाई, रिश्तेदारों और उन सभी शुभचिंतकों की है जिन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया। भगवान जब कुछ लेते हैं तो बदले में अनेक गुना वरदान भी देते हैं। मैं सभी दिव्यांग भाई-बहनों से कहना चाहता हूँ कि वे अपनी दिव्यांगता को कमी न समझें, बल्कि इसे भगवान का उपहार मानकर अपने जीवन के लक्ष्य की ओर बढ़ें। यह जीत उन माता-पिता को समर्पित है जो अपने बच्चों के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहते हैं।”
जिला खेल पदाधिकारी श्री परिमल ने कहा—उल्लेखनीय
इस अवसर पर जिला खेल पदाधिकारी श्री परिमल ने कहा— “निश्चित रूप से शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भी शिक्षक केशव चौधरी का योगदान सराहनीय है। अनुमंडल और जिला स्तर पर हर आयोजन में इनकी विशेष भूमिका रहती है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मशाल खेल में भी नोडल के रूप में इनका योगदान उल्लेखनीय रहा है।”
केशव चौधरी ने कहा—ऐसा प्लेटफाॅर्म बनें जो हो अगुआ
अपने संकल्प को साझा करते हुए केशव चौधरी ने कहा—
“मैं चाहता हूं कि आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांगजनों के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म बने, जहां उन्हें सभी गतिविधियों, प्रतियोगिताओं और योजनाओं की जानकारी एक जगह पर मिल सके। इससे हर दिव्यांग अपनी प्रतिभा को पहचान सकेगा और आगे बढ़ सकेगा।”
पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर
इस उपलब्धि से पूरे बिरौल अनुमंडल में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रशासनिक पदाधिकारी, समाजसेवी और खेल प्रेमियों ने केशव चौधरी को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं।