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23 अप्रैल, 2024
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कौन है Darbhanga के लाल श्रवण कुमार? लाखों की नौकरी छोड़, मात्र 17 हजार से 1.5 करोड़ तक का सफर कैसे किया पूरा?

कोरोना महामारी के दौरान संघर्षों का सामना किया, लेकिन अपने सपने को सच करने के लिए डटे रहे। मात्र 17 हजार रुपये की पूंजी से कारोबार शुरू किया और आज 22 से अधिक फ्लेवर के मखाने, मखाना आटा और हेल्दी कुकीज तैयार किए, जो बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

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क्या एक अच्छी नौकरी छोड़कर गांव लौटना सही फैसला था? श्रवण कुमार रॉय ने साबित कर दिया कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। 2019 में अदाणी ग्रुप में 8 लाख रुपये सालाना की नौकरी छोड़कर उन्होंने मखाने के व्यवसाय में कदम रखा। शुरुआत में लोगों ने ताने मारे—”इतनी अच्छी नौकरी छोड़कर घर पर बैठा है!” लेकिन…जानिए कौन है श्रवण कुमार रॉय…

दरभंगा के श्रवण कुमार रॉय ने मखाना व्यवसाय में सफलता की नई ऊंचाइयां छूकर साबित कर दिया है कि सही योजना और समर्पण से खेती और कृषि आधारित उद्योग में बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है

अच्छी नौकरी छोड़कर गांव लौटे

श्रवण कुमार रॉय 2019 में अदाणी ग्रुप में कार्यरत थे, जहां उनकी सालाना सैलरी 8 लाख रुपए थी। लेकिन उन्होंने गांव लौटकर मखाने के व्यवसाय की शुरुआत करने का फैसला किया। जब उन्होंने इस बारे में अपनी पत्नी से चर्चा की, तो वे हैरान रह गईं और बोलीं—

“लोग गांव से शहर कमाने जाते हैं, और आप इतनी अच्छी नौकरी छोड़कर गांव जाना चाहते हैं?”

श्रवण ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया—

“मुझे दो साल का समय दो, मैं मखाने के बिजनेस से अपनी मौजूदा सैलरी जितना कमा सकता हूं।”

कोरोना के दौरान संघर्ष, लेकिन हार नहीं मानी

गांव लौटने के बाद श्रवण ने मखाने का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन तभी कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने उनकी राह मुश्किल कर दी। उन्हें अपनी बचत पर निर्भर रहना पड़ा और समाज से भी ताने सुनने पड़े। लोग कहते—

“इतनी अच्छी नौकरी छोड़कर घर पर बैठा खा रहा है।”

लेकिन श्रवण ने हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे

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MBA MAKHANA WALA : फ्लेवर मखाना, मखाना आटा और 22 वैरायटी के उत्पाद

आज श्रवण की प्रोसेसिंग यूनिट में मखाने की पैकिंग और विभिन्न उत्पादों का निर्माण हो रहा है। उन्होंने मखाना आटा भी तैयार किया, जिससे कुकीज, इडली, डोसा और कुल्फी जैसे हेल्दी फूड बनाए जा रहे हैं।

वे बताते हैं—


“जब मैं लोगों को बताता हूं कि यह मखाने के आटे से बना है, तो वे यकीन नहीं करते।”

श्रवण ने अब तक मखाने के 22 विभिन्न फ्लेवर विकसित किए हैं, जिनमें मखाना कुकीज सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। वे कहते हैं—

“इसमें जीरो मैदा है और किसी भी प्रकार का प्रिजर्वेटिव नहीं डाला गया है।”

MBA MAKHANA WALA : कैसे आया मखाना व्यवसाय का विचार?

श्रवण बताते हैं कि उनके परिवार में कभी बिजनेस करने की परंपरा नहीं थी। लेकिन 2010 में कॉलेज प्रोजेक्ट के दौरान उन्होंने मखाना पॉपिंग मशीन बनाई

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जब उन्होंने इस मशीन का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया, तो लोगों ने मखाना के बारे में जानकारी लेनी शुरू कर दी। तभी उन्होंने इस व्यवसाय में अपार संभावनाएं देखीं और मखाना उद्योग में कदम रखा।

MBA MAKHANA WALA : 17 हजार से 1.5 करोड़ तक का सफर

श्रवण ने महज 17 हजार रुपए की छोटी पूंजी से अपने व्यवसाय की शुरुआत की। लेकिन आज उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपए से अधिक हो चुका है

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मखाना की बढ़ती डिमांड और हेल्थ बेनिफिट्स

मखाने की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि यह फैट-फ्री होने के साथ-साथ कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, जिंक और सोडियम से भरपूर होता है

श्रवण अपने प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से बेचते हैं। वे विभिन्न एग्जीबिशन और व्यापार मेलों में भी भाग लेते हैं, जिससे उन्हें नए क्लाइंट्स से जुड़ने में मदद मिलती है

ग्रामीण उद्यमिता के लिए प्रेरणास्रोत

श्रवण कुमार रॉय की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो खेती-किसानी और ग्रामीण उद्यमिता को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उनकी मेहनत और आत्मविश्वास ने साबित कर दिया कि—


“अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत सच्ची हो, तो सफलता जरूर मिलती है।”

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