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25 जून, 2024
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Darbhanga का कुशेश्वरस्थान, इक हवा का झोंका आया…और जन्म ने लिख दी मृत्यु की ऐसी विचित्र कहानी

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दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। इक हवा के झोंके ने बाबा कुशेश्वरस्थान की नगरी कुशेश्वरस्थान पूर्वी में सात चिंताएं लहका दीं। कई मां की गोद सूनीं हो गईं। गढ़ैपुरा गांव एकबारगी सिसक उठा।

मौतों की चित्कार से पत्थर भी हिले, मूर्ति में स्थापित साक्षात् महादेव की शिवगंगा में दो बच्चे हवाओं के थपेड़ों में सो गए। जो जगतारण रात में खाना बनाने की तैयारी कर हाट गई थी नावों के पलटने से ऐसी दबीं, उसकी वापस लाश की लौटी।

तय है, जन्माष्टमी बड़ा मनहूस साबित हुआ। जन्म ने मृत्यु की ऐसी विचित्र कहानी लिखी, सबकुछ पलभर में खाक हो गया। सात लोगों की मौत…एकबारगी वह भी जलजनित…सचमुच खामोश करने वाला है।

कुशेश्वरस्थान के गढैुपुरा चौर में हुए नाव हादसे से सीख लेने की जरूरत है। दो महिलाओं समेत तीन बच्चों की मौत एक बड़ा सबक है। गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है, सो अलग।

हर तरफ लोग सन्नाटें हैं। नेताओं की किए दुर्दशा पर सवाल है जो सीधे तौर पर सोचने को विवश करती है। आजादी के 70 वर्षों बाद भी, भले हम, हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हो, लेकिन मौत रूपी जहर से हमें छुटकारा नहीं मिल पाया है।

इस इलाके के लोगों को आज तक नाव ही सहारा है। इस इलाके के लोगों के घर बाइक न हो तो चलेगा, लेकिन प्रत्येक घर में एक नौका जरूरी है, बेटी का ब्याह हो तो दहेज में नाव देने का रिवाज यही रहा है।

क्योंकि, यह इलाका कोसी कमला और करेह नदी से घिरा होने के कारण वर्ष छह महीनें जलजमाव से घिरा ही रहता है। बीते दिन हुए नौका दुर्घटना एक बार फिर इस इलाके के लोगों को झकझोर कर रख दिया है।

क्योंकि, गांव में एक साथ नाव हादसे में पांच लोगों की मौत हुई है। ग्रामीणों और प्रशासनिक सहयोग सभी पांच शव को पोस्टमार्टम के लिए डीएमसीएच भेज दिया। जिला प्रशासन की तरफ से देर रात बिरौल के अनुमंडल पदाधिकारी उमेश कुमार भारती ने मृतक के परिजनों मिलने वाला सहायता को चेक सौंप दिया।

जब बात नाव हादसे के प्रत्यक्षदर्शी और नाव पर सवार गढ़ैपुरा के ही खट्टर यादव के पुत्र दीपक यादव से होती है तो पढ़िए वह क्या कहते हैं

उन्होंने कहा,घटना के बाद शवों को पानी में उपलाते देख हिम्मत हार गयी थी। लेकिन हम हिम्मत नही हारे नाव डूबने के अपने हाथों से पांचों शव को चौर से खींचकर किनारे तक लाया।

दीपक ने बताया कि हम झझड़ा बाजार से सामान लेकर नाव पर सवार हो गए। नाव मात्र 10-12 हाथ लंबी थी। जब तक नाव खुलती तब तक नौ लोग सवार हो चुके थे। इस बीच तेज आंधी आ गई। फिर नदी के पानी में तेज उफान आ गया, जिससे नाव डगमगाते हुए डूब गई। उसने बताया कि जब आंधी आई तो हम लोगों के होश उड़ गए थे।

अचानक काल को सामने देख कई बार हिम्मत हार गयी, लेकिन सामने लाशों को उपलाते देखकर रहा नहीं गया दीपक ने कहा कि घटना के बाद मैंने अपने हाथों से पांचों लाशों को बीच चौर से खींचकर किनारे तक लाया।

उधर, घटना की सूचना मिलते ही अनुमंडल व प्रखंड प्रशासन की टीम मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य में जुट गई। महिसौत निवासी रामशंकर यादव ने बताया कि हवा के झोंके इतने तेज थे कि नाव पलट गई। कुछ ही समय बाद घटनास्थल पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी ग्रामीणों ने मिलकर बचाव कार्य में जुट गए।

घटनास्थल पर पहुंचे एसडीओ उमेश कुमार भारती और एसडीपीओ मनीष चंद्र चौधरी ने पूरी घटना की जानकारी लेते हुए शवों को पोस्टमार्टम के लिए डीएमसीएच भेज दिया। वहीं, मृतकों के परिजनों को सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता राशि का लाभ कुशेश्वरस्थान के सतीघाट स्थित प्रखंड मुख्यालय पर दिया गया।

गढ़ैपुरा गांव की दो महिलाओं एवं तीन बच्चियों की मौत से गांव में जहां मातमी सन्नाटा पसरा है। वहीं, घटना से पीड़ित परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। बुधवार को गढ़ैपुरा गांव से नाव पर सवार हो कुछ महिलाएं और बच्चियां झझड़ा हाट पर घरेलू सामान खरीदने पहुंची थी। सामान लेकर नाव पर सवार हो महिलाएं और बच्चियां शाम में गांव वापस जा रही थी कि रास्ते में तेज आंधी आने से नाव बाढ़ के पानी में पलट गई और नाव पर सवार नौ लोगों में से पांच की मौत हो गई।

इस नाव दुर्घटना में मृत सभी महिलाओं व बच्चियों ने कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा था। गांव के लोग बताते हैं कि वे पूजन सामग्री लाने भाड़े की नाव से झझड़ा हाट गई हुई थीं। मृतका लालपरी देवी के रोते-बिलखते पुत्र भागेश्वर ने बताया कि सावन में उनकी मां कांवर लेकर बाबाधाम गई थी।

लौटने के बाद कृष्णाष्टमी की पूजा की तैयारी में जुट गई। उधर, नौका दुर्घटना में मृत 15 वर्षीया सोनाली अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। उसके पिता परदेस में हैं। सोनाली की मां नारायणी की दहाड़ से लोगों का कलेजा फट रहा था।

महिसौत पंचायत के अनिल यादव बताते हैं कि पिपराही व गढ़ैपुरा चौर इस इलाके का सबसे गहरा जलजमाव वाला चौर है, जहां लोगों को बचाने के लिए पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि गढ़ैपुरा व पिपराही के बीच नौका दुर्घटना की यह पहली घटना है।

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