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दिसम्बर, 24, 2025

Darbhanga News | सड़क पर चलना सीखो ए-दरभंगा के लोगों…

मगर…यह दरभंगा की मनोदशा है। दरभंगा की सूरत है। दरभंगा की बेजुबान होती ताकत है। जहां, सिस्टम ढ़ीला पड़ चुका है। सरकारी तंत्र की निगहबानी कमजोर पड़ चुकी है। लाचारी के फूटते स्वर, आक्रोश में अगर बदलें भी तो कैसे…सामने….दंड का प्रावधान है…। सो, बड़ा पछताओगे, बड़ा पछताओगे..साड्डे वाली मौत तुस्सी वि ते मरोगे...क्यों मरना तय है...। हुसैन से बचोगे तो करण से पिटोगे...जेब भरके चलो। गड्‌डे में डूबने के लिए चलो...मगर चलो...तूझको चलना होगा...इसी सड़ांध में। कारण,इस शहर से उठती है हरवक्त व्यवस्था की सड़ांध...।जब नालों में गिरोगे...बहुत तलाश करोगे, कोई आदमी न मिलेगा... ए मेरे वतन के लोगों...रौशनी ख़त्म न कर आगे अंधेरा होगा...यहीं से घर से निकल...। भले, जी चाहता हो जीना जज़्बात के मुताबिक़, हालात कर रहे हैं हालात के मुताबिक़... बस, क्रोनोलॉजी समझिए...।

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देशज टाइम्स | Highlights -

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Darbhanga News | सड़क पर चलना सीखो ए-दरभंगा के लोगों…बड़ा पछताओगे, बड़ा पछताओगे….सड़क पर चलना सीखो ए-दरभंगा के लोगों, बड़ा पछताओगे, बड़ा पछताओगे। यह बात आज हम क्यों बार-बार कह रहे। जरा इसकी क्रोनोलॉजी समझिए।

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Darbhanga News | क्या, आप सड़क पर चलना नहीं जानते। ऐसा कैसे? ऐसा क्यों भला? हमारा दावा है…आप नहीं जानते?

क्या, आप सड़क पर चलना नहीं जानते। ऐसा कैसे? और किस दावे से हम कह सकते? आपको दरभंगा की सड़कों पर चलना नहीं आता। यह बात हम दावे के साथ कह सकते हैं। आपको दरभंगा की सड़कों पर चलना बिल्कुल ही नहीं आता। सो, आज से ही सही। आप घर से निकलने से पहले, गांठ बांध लें। क्योंकि, हम दरभंगा में हैं।

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Darbhanga News | हमें, हमारी मूलभूत सुविधाएं, यहां नहीं मिलेंगी। इसके लिए हम तरसें।

दरभंगा, यानि, कहने को कुछ नहीं। मगर, नाम ऐसा, शहर में हमसे पैसे वसूले जा रहे। मगर, शहरवासियों को सुविधा नहीं मिल रही। हमें रहना है। इसी शहर में। यहां के कायदे-कानून भी मानने हैं। हम सब भोगें। सबकी बात सुनें। सभी कानूनी पेंच से पेंच लड़ाएं। उसका पालन करें। मगर, हमें, हमारी मूलभूत सुविधाएं, यहां नहीं मिलेंगी। इसके लिए हम तरसें।

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Darbhanga News | तरस हम आज से नहीं रहे। जमाना हो गया। तरसते हुए।

तरस हम आज से नहीं रहे। जमाना हो गया। तरसते हुए। मगर, सुनने वाला कोई नहीं। अब देखिए, खबर की शुरूआत ही हम वहीं से कर रहे, जहां हमें ही सीखना होगा कि हमें शहर की सड़कों पर चलना कैसे है। संभलना क्यों है। संभलकर ही हमारा कैसे भला होगा।

Darbhanga News | बस, कार्यालय है। वहां की चौकड़ी है। आदेश है। बाहर हवा है। अंदर कागज है।

कारण, व्यवस्था के पास कान नहीं हैं। उसकी आंखें शर्म से डबडबाई हुईं हैं। आंखों के रहते उसे कुछ दिखता नहीं हैं। पैर भी चले तो कैसे, दिमाग इसकी इजाजत देता कहां है। सरकारें हैं। हर वक्त बदलती रहती हैं। मगर, सरकार चलकर आए, वह महसूस कर सकें तब ना। बस, कार्यालय है। वहां की चौकड़ी है। आदेश है। बाहर हवा है। अंदर कागज है। कोई किसी भी डर से एक दूसरे के करीब नहीं।

Darbhanga News | मगर, ये दरभंगा है…यहां आपको

आपने कभी देखा, शहर का कोई आलाकमान सड़कों पर अनायास उतर जाए। अनायास, सिस्टम को टटोलने लगे। जरूरत का निदान होने लगे, सबकुछ अनायास। मगर, कहां। कहीं कोई नहीं मिलता। बस कागजी फरमान है। उकेरते रहो। ठीक यूं हीं, मानों, चंडीगढ़ के कुलदीप कुमार अनायास कहीं से आ जाएं। जैसे, वो आठ मत के सुप्रीम कोर्ट को घंटों माथा-पच्ची करते सबने देखा। देश ने सुना। भोगा। मगर, ये दरभंगा है…यहां आपको स्वंय सतर्क और सावधान होना होगा। क्यों…आगे पढ़ते रहिए…

Darbhanga News | नाम ही है वीआइपी। मतलब, बिन पेंदी। बिल्कुल अधिकारी टाइप। वीआइपी।

शहर का वीआइपी रोड। नाम ही है वीआइपी। मतलब, बिन पेंदी। बिल्कुल अधिकारी टाइप। वीआइपी। वैरी इंपोटेंट पर्सन वाली सड़क। मगर, इसकी फिटफाट देखिए। पूरा मोकामा घाट है। अब यहां एमएल एकेडमी के पास एमटूएस कैफे मॉल है। इस मॉल के पास बहुत बड़ा गड्‌डा है। अब यह ना पूछिए…ये तो हर जगह है।

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Darbhanga News | यह दरभंगा की मनोदशा है। दरभंगा की सूरत है। दरभंगा की बेजुबान होती ताकत है।

हद यह है। इस गड्‌डे में एक बाइक सवार अपनी पूरी बाइक के साथ गिर जाता है।  गंदे पानी में कमर तक डूब जाता है। यह गड्‌डा बड़ी मेहरबानी है साहबों की …आज का नहीं है। सालों से यूं ही सड़क किनारे है। इसमें गिरना लोग अपना सौभाग्य समझने लगे हैं। मगर…यह दरभंगा की मनोदशा है। दरभंगा की सूरत है। दरभंगा की बेजुबान होती ताकत है। जहां, सिस्टम ढ़ीला पड़ चुका है। सरकारी तंत्र की निगहबानी कमजोर पड़ चुकी है। लाचारी के फूटते स्वर, आक्रोश में अगर बदलें भी तो कैसे…सामने….दंड का प्रावधान है…।

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Darbhanga News | अब देखिए ना। आप पूरी तरह दंड के जद में हैं। कैसे। यूं …

अब देखिए ना। आप पूरी तरह दंड के जद में हैं। कैसे। यूं …शहर की ट्रैफिक सिस्टम में खासा बदलाव हुआ है। यही वजह है। हम आपसे कह रहे… सड़क पर चलना सीखो ए-दरभंगा के लोगों।

Darbhanga News | मगर, आप भूल गए कि आपको

अगर, आपकी गाड़ी, बाइक-कार बगैरह-बगैरह के नंबर प्लेट पर अतिरिक्त कुछ लिखा मिलेगा तो आपको पांच सौ टका से लेकर दो हजार तक के दंड वसूले जाएंगें। इसके अलावे, आपको पता ही है। हेलमेट नहीं पहनने पर एक हजार का दंड लगेगा। चार पहिया पर हैं। सुरमधुर गीतें बज रही हैं। मगर, आप भूल गए कि आपको सेफ्टी बेल्ट भी लगाना है। आप फंस जाएंगें। सेफ्टी बेल्ट नहीं लगाने के जुर्म में आपको एक हजार का जुर्माना भरना पड़ेगा।

Darbhanga News | तब भी आप फंसेंगे। वर्ना, 1 हजार भरिए…जुर्माना

अगर, आप बाइक चला रहे हैं। आप हेलमेट पहने हुए हैं। मगर, पीछे की सीट पर बैठने वाले ने हेलमेट नहीं लगाया है। तब भी आप फंसेंगे। अब पीछे की सीट पर बैठने वालों को भी हेलमेट पहनना दरभंगा में अनिवार्य हो गया है। वर्ना, 1 हजार भरिए…जुर्माना।

Darbhanga News | वाहनों पर दाग नहीं होनें चाहिए। यह दाग अच्छे नहीं होंगे। अगर,

वाहनों पर दाग नहीं होनें चाहिए। यह दाग अच्छे नहीं होंगे। अगर, आपने  अपने वाहन पर उसके नंबर प्लेट पर नंबर के सिवाय कुछ और लिखवाया है, तत्काल मिटा दें। वर्ना दरभंगा पुलिस आपको छोड़ेगी नहीं। चाहे आपने उसपर जाति सूचक शब्द या कुछ भी अतिरिक्त लिखाया है। वह नए मोटर वाहन कानून के जद में फंसेंगा। आप पर पांच सौ से दो हजार तक के जुर्माना वसूल लिए जाएंगें।

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Darbhanga News | बन गईं पुलिस लखपति…देखते-देखते, गलती किसकी, संभलेंगा कौन? आप…सिर्फ आप…क्योंकि आप बेचारे हैं…

अभी तक। सिर्फ बाइक पर हेलमेट नहीं पहनने वालों से यातायात थाना की पुलिस ने एक लाख इक्कीस हजार का जुर्माना वसूल चुकी है। यानि, सिर्फ मंगलवार को दरभंगा पुलिस लखपति बन गईं। इससे पहले भी, उन्नीस फरवरी को शहरी इलाके में एक लाख पांच हजार की वसूली हुई थी। मतलब…बचके रहना। घर से निकलने से पहले हेलमेट जरूर पहन लेना…वर्ना। इसके अलावे भी कई और जुर्माना का प्रावधान दरभंगा पुलिस ने तय किया है जहां दस हजार तक के फाइन लेंगेंगे।

Darbhanga News | वैसे, जब से दरभंगा पुलिस की नई टीम बनी है।

वैसे, जब से दरभंगा पुलिस की नई टीम बनी है। एसएसपी जगुनाथ रेड्‌डी आएं हैं। साथ में, डीटीओ शशि शेखरम। दरभंगा में सिस्टम नाम की कोई चीज का आभास जरूर होने लगा है। पहले, डीटीओ शशि शेखरम ने वाहन चालकों के लिए दो दिनों का आंख जांच कैंप लगाया। फिर, लाइसेंस ऑन द स्पॉट। अच्छा लगा। जब कोई अधिकारी, जनता के हित में सोचता है। कुछ करता है। कुछ करना चाहता है। तो अच्छा लगता है।

Darbhanga News | अब, बस मेरा कहा मान लीजिए…

तय मानिए। अब तो आपको चलना नहीं ही आता है। इस शहर में। यह समझ आ गई होती। अगर नहीं तो एक लाइन में यूं समझ लीजिए…ये दरभंगा की पुलिस लखपति नहीं बनती। यूं आप गड्‌डे में बाइक समेत नहीं गिरते। यूं हीं…बचिए। फाइन देने से। इस शहर के गड्‌डे में यूं हीं गिरने से। ऐसे में, तेज रफ्तार को कीजिए बॉय-बॉय। हेलमेट जरूर पहनिए। खुद की ना सही। अपने परिवार का ख्याल जरूर रखिए…। देशज टाइम्स पढ़िए जाग जाइए…। जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़, हालात कर रहे हैं हालात के मुताबिक़…।

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