दिन सोमवार। विजया एकादशी। तारीख 24 फरवरी। जगह बाबा बुढ़ानाथ की नगरी। अंग प्रदेश भागलपुर। खुली जीप पर सवार। सीएम नीतीश कुमार। साथ में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फिर बात निकली। हमारे लाडला…मतबल पीएम के सबसे प्यारे नीतीश कुमार की। बिहार की राज की। चारा खाने वालों की। सिल्क, जर्दालु आम, कतरनी चावल और किसानी की।
मगर, खबर यही है। पीएम मोदी कल बिहार में थे
मगर, खबर यही है। पीएम मोदी कल बिहार में थे। वह पहले भी बिहार आ चुके हैं। पर, आज की उनकी मौजूदगी एनडीए की मौजूदा पॉलिटिक्स की फलक में उनकी दृष्टिकोण का पहला ट्रेलर था। दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता की शपथ में छुपे बिहारी घटकों की तथ्य में छुपी टेढ़ी होती रेखा को सामांतर, तालमेल का पहला मौका था। जो दिखा, मंच पर पीएम के संबोधन में। गदगद सहयोगियों के चेहरों पे।
भागलपुर से दरभंगा तक: बिहार की राजनीति में नई हलचल
➡ पीएम मोदी का बिहार दौरा, मंच पर दिखी एनडीए की सियासी बिसात
➡ मखाना और मिथिला पेंटिंग्स को वैश्विक पहचान देने की रणनीति
➡ बीजेपी के पूर्व विधायक अमरनाथ गामी का पत्र, सीटिंग विधायकों की टिकट कटने की आशंका
➡ जनसुराज (प्रशांत किशोर) को हल्के में लेने की चेतावनी
➡ क्या बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री बनेगा?
पीएम मोदी-नीतीश कुमार की मुलाकात के दो प्रमुख राजनीतिक संकेत:
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एनडीए में मजबूती के संकेत – बिहार में पीएम मोदी की मौजूदगी को 2025 विधानसभा चुनाव की रणनीति के पहले ट्रेलर के रूप में देखा जा रहा है, जहां बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को और मजबूत करने के प्रयास हो सकते हैं।
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बिहार के विकास पर जोर, लेकिन राजनीति केंद्र में – मंच से सिल्क, जर्दालु आम, कतरनी चावल और कृषि क्षेत्र की चर्चा हुई, लेकिन असल फोकस एनडीए सहयोगियों को एकजुट करने और सीट बंटवारे की रणनीति पर था।
मगर, बात यहां हो रही है, एक अंदर की छटपटाहट की। झिझक। सत्ता की चहक। सिंहासन की चाहत। आपसी सामंजस्य। सीटों की गोटी। जीत का फॉर्मूला। साथ में, चारा खाने वालों को मखाना खाने की सलाह भी। पीएम स्वंय साल में कम से कम तीन सौ दिन मखाना खाते हैं। मखाना की पौष्टिकता उसकी अलग मिठास का स्वाद जानते हैं। मखाना की राजनीति भी बखूबी समझते हैं।
बजट सत्र से लेकर दिल्ली की सीएम की शपथ तक में, स्पष्ट संकेत
यही वजह है, मखाना और मिथिला पेटिंग्स के वैश्विकीकरण का नया एंगिल कोसी-सीमांचल से मिथिला क्षेत्र की राजनीति में एक नए एंगिल के तौर पर बजट सत्र से लेकर दिल्ली की सीएम की शपथ तक में, स्पष्ट संकेत के साथ है। भाजपा इसे अपना हथियार बना चुकी है।
मखाना से सियासत तक: मिथिला की राजनीति का नया एंगल
प्रधानमंत्री मोदी ने मखाना के महत्व को रेखांकित किया और इसके वैश्विक बाजार में विस्तार की जरूरत बताई। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के दरभंगा दौरे को भी इसी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों से चर्चा की और मखाना उत्पादकों के लिए नई योजनाओं की घोषणा की।
दरभंगा में मचा सियासी घमासान: अमरनाथ गामी का पत्र
बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता और हायाघाट के पूर्व विधायक अमरनाथ गामी के एक पत्र ने दरभंगा समेत पूरे मिथिलांचल की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर सीटिंग विधायकों को बदलने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर बीजेपी पुराने चेहरों के साथ चुनाव में जाती है, तो सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा।
जदयू के कमजोर प्रदर्शन का हवाला
गामी ने पत्र में 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू के कमजोर प्रदर्शन का हवाला दिया, जब लोजपा ने जदयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतार दिए थे। इससे जदयू को भारी नुकसान हुआ और बीजेपी को फायदा मिला। अब गामी का सुझाव है कि बीजेपी को भी अपने सीटिंग विधायकों को बदलना चाहिए, ताकि सत्ता विरोधी लहर कमजोर हो और पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल सके।
ऐन मौके पर, मामा शिवराज सिंह चौहान, कृषि मंत्री का दरभंगा आना
ऐन मौके पर, मामा शिवराज सिंह चौहान, कृषि मंत्री का दरभंगा आना। राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों से मिलना। मखाना विकास की नई संभावनाओं को नया आयाम देना। उत्पादकों को भरसक सहयोग। आधारभूत संरचना के विकसित होने, पानी में खड़ा होकर, तालाबों के निर्माण, किसानी के लिए लीज पर जमींन उपलब्धता। मखाना की रोपनी। तालाब से गुड़ी बाहर निकालने वाले यंत्र के विकास पर जोर, बहुत कुछ राजनीतिक, आर्थिक समीकरण को बल देता चला गया।
क्या बिहार को मिलेगा पहला बीजेपी मुख्यमंत्री?
गामी ने अपने पत्र में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सीटिंग विधायकों को रिप्लेस नहीं किया गया, तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने जनसुराज (प्रशांत किशोर) के बढ़ते प्रभाव को भी खतरे के रूप में रेखांकित किया और कहा कि अगर विपक्ष को एक नया विकल्प मिला, तो बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ सकती है।
मगर, खबर यह है। पीएम भागलपुर में थे। गरमा दरभंगा की राजनीति रही थी
मगर, खबर यह है। पीएम भागलपुर में थे। गरमा दरभंगा की राजनीति रही थी। वजह है, फिर एक पत्र का विस्फोट हुआ है। यह पहली बार नहीं हुआ है। वजह यह, हायाघाट के पूर्व विधायक रहे भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष, पूर्व विधायक अमरनाथ गामी ने फिर एक पत्र लिखा है। ऐसा नहीं है कि श्री गामी का यह पहला पत्र है जो उन्होंने भजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को हाल में लिखा है। इससे पहले भी, चौदह फरवरी को श्री गामी पीएम मोदी को भी पत्र लिख चुके हैं। मगर, दोनों पत्रों के पन्ने, उसके अक्षरों का मतलब बेहद स्पष्ट और अलग-अलग है।
मौजूदा, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा क्या मानेंगे गामी की बात?
मौजूदा, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा को लिखे पत्र ने दरभंगा शहरी से लेकर ग्रामीण ही नहीं, मिथिलांचल कहें या संपूर्ण बिहार खासकर दरभंगा की वर्तमान राजनीति में धी डाल दिया है। सीधा, बिहार में सीएम की कुर्सी पर भाजपा और सीटिंग एमएलए यानि सीटिंग उम्मीदवारों की टिकट कट वाली वकालत। कारण यह बताया गया है, इससे सत्ता विरोधी लहरें कम होंगी। विरोध की तपिश शांत रहेंगी। सत्ता पर बीजेपी का राज होगा। अगला सीएम बीजेपी को बनेगा।
साल 20 के विधानसभा चुनाव को याद कर लीजिए…फिर जो भी दिल कहे काम कीजिए
श्री गामी ने स्पष्ट रूप से चेतावनी भी दी है। उन्होंने बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को यहां तक, पत्र के माध्यम से आग्रह वाला आगाह किया है, जदयू वाली गलती ना दोहराएं। उन्होंने पत्र में लिखा है, बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को आगाह किया है, याद दिलाया है गत 2020 का विधानसभा चुनाव और जदयू का बिखराव। कहा, साल 20 के विधानसभा चुनाव में जदयू का बुरा प्रदर्शन याद कीजिए। क्यों हुआ, इसके पीछे की तह तक जाइए।
वह टिस इसबार पूरा कीजिए, बीजेपी का सीएम बने इसकी तैयारी कीजिए
श्री गामी ने पत्र में लिखा है, ऐसा इस वजह से हुआ, जदयू की सीट पर लोजपा ने वैकल्पिक उम्मीदार दे दिया था। नतीजा यह रहा, सत्ता विरोधी वोट विकल्प की ओर चला गया। जदयू की हार हुई। जदयू के अधिकतर विधायक हार गए। दूसरी तरफ, लोजपा ने भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार ही नहीं उतारा। विकल्प के अभाव में कहें या मजबूरी। बीजेपी की जीत हुई। अधिकतर बीजेपी के उम्मीदवार जीत गए। प्रदर्शन संतोषजनक रहा। मगर, टिस रह गई। वह टिस इसबार पूरा कीजिए, बीजेपी का सीएम बने इसकी तैयारी कीजिए।
जनसुराज यानि प्रशांत किशोर को हल्के में लेने की भूल ना करें
श्री गामी ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ बिहार के एनडीए गठबंधन को भी आगाह करते पत्र में लिखा है, जनसुराज यानि प्रशांत किशोर को हल्के में लेने की भूल ना करें। जनसुराज पूरे बिहार में अपना उम्मीदवार उतारेंगी। ऐसे में, सत्ता विरोधी वोटों को एक ताकतवर प्लेटफार्म मिल जाएगा।
सीटिंग उम्मीदवार बदलने से और बेहतर परिणाम सामने आएंगें
ऐसे में, श्री गामी ने कहा है। मेरा कहा मान लीजिए। विधानसभा चुनाव में सीटिंग उम्मीदवार बदलने से और बेहतर परिणाम सामने आएंगें। पहली बार बिहार में बीजेपी का सीएम होगा, जान लीजिए।
बीजेपी के मौजूदा विधायकों की बढ़ी चिंता
गामी के पत्र के बाद बीजेपी विधायकों में बेचैनी बढ़ गई है। अगर शीर्ष नेतृत्व गामी की सलाह मानता है, तो कई विधायकों की टिकट कटने की संभावना बन सकती है। सवाल यह भी है कि अगर बीजेपी ने नए चेहरे उतारे, तो क्या मोदी लहर उन्हें जीत दिला पाएगी?
क्या मोदी के नाम पर ही लड़ा जाएगा चुनाव?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या दरभंगा समेत पूरे बिहार में बीजेपी सिर्फ मोदी के नाम पर चुनाव लड़ेगी, या स्थानीय नेताओं को भी मजबूती दी जाएगी? बीजेपी के रणनीतिकारों के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वे मौजूदा विधायकों को बचाएं या सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए नए उम्मीदवारों पर दांव खेलें।
सवाल यहीं से। सीटिंग उम्मीदवारों का क्या होगा?
मगर, सवाल यहीं से। सीटिंग उम्मीदवारों का क्या होगा? चेहरे तो अभी से लटके हैं? भविष्य क्या होगा? एक नामी चिकित्सक की एंट्री को लेकर कुलाछें या पूर्व के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त? टिकट किसे? सत्ता विरोधी लहर किसके खिलाफ? और क्यों? क्या फिर से मोदी के नाम पर ही लड़ीं और जीतीं जाएंगीं दरभंगा और उसके अन्य विधानसभा सीटें?
क्या बीजेपी के मौजूदा विधायकों को खतरा है कि?
क्या बीजेपी के मौजूदा विधायकों को खतरा है कि उनके खिलाफ विरोधी लहरें हैं, जो उन्हें डुबो देंगी? माहौल क्या है? क्यों अमरनाथ गामी को पत्र लिखने की जरूरत महसूस हुईं? क्या शीर्ष नेतृत्व अपनी सीटें मजबूत और टिकाऊ बनाए रखने के लिए इनसबका नाप लेंगी? नई सिलाई देखने को मिलेंगी? क्या शीर्ष नेतृत्व पत्र का संज्ञान लेगा?
खबर यहीं से…क्योंकि, स्वंय अमरनाथ गामी ने ही आठ फरवरी को भी लिखा है…
खबर यहीं से…क्योंकि, स्वंय अमरनाथ गामी ने ही आठ फरवरी को लिखा है…आप लंबे समय तक गुलाम थे। आगे भी गुलाम रहेंगे। आपकी प्रवृति बन गई है। कौन लुट रहा? क्यों लुट रहा है? उसपे सोचने के लिए फुरसत नहीं है। लूट, भ्रष्टाचार पर विराम होता तो आज भारत विकसित देश में शुमार होता। केजरीवाल के बहाने यह आगाह…..?
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