दरभंगा, देशज टाइम्स। मिथिलांचल ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के बैनर तले बेला पब्लिक स्कूल में बोन एंड ज्वाइंट डे समारोह आयोजित किया गया।
बेला पब्लिक स्कूल के निर्देशक डॉ. बीके मिश्रा, दरभंगा ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.आर के प्रसाद, कोषाध्यक्ष, कार्यक्रम संयोजक, डॉ. गौरी शंकर झा, बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एसएन सर्राफ,
डॉ. आरबी खेतान, डॉ. राधिका रमन, डॉ. दिलशाद अनवर, डॉ. जियाउल होदा शान, डॉ. नीरज कुमार, प्रशिक्षक, डॉ. ओमप्रकाश ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया।
डॉ.आर के प्रसाद ने कहा हड्डी व जोड़ों को संबंधित जागरूकता के लिए अभियान चलाने का आह्वान किया। उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं में घायल मरीजों की जान बचाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ.बी के मिश्रा ने कहा बच्चे आज का ट्रेनिंग लेकर किसी की जान बचाने में सक्षम हो सकेंगे।
भारतीय आर्थोपेडिक एसोसिएशन ने पूरे देश में डेढ़ लाख लोगों को बीएलएस ट्रेनिंग दिलाने का प्रण लिया है, इसमें यह विद्यालय भी योगदान कर रहा है। इस कार्यक्रम में डॉ. ओमप्रकाश के लगभग 100 बच्चों को जीवन रक्षा की हैंड ऑन ट्रेनिंग दी।
उन्होंने बताया कि भारत पूरी दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में अव्वल नंबर पर है। 2019 के आंकड़ें बताते हैं कि भारत में चार लाख सड़क दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख लोगों ने अपने प्राण गवाएं। इनमें अधिकतर जवान पुरुष थे, जिनके गुजर जाने के बाद परिवार को आज तंगी झेलनी पद रही है। आज की ट्रेनिंग के बाद इनमें से काफी की जान बचाई जा सकेगी।
बच्चों ने इस ट्रेनिंग से कहीं से हो रहे रक्तस्राव को रोकना, किसी हड्डी के टूटने पर उसे स्थिर करना, अचेत परंतु सांस ले रहे मरीज को रिकवरी पोजीशन में लिटाना, सांस रुकने और हृदय गति रुकने की पहचान करना और इफेक्टिव बी एल एस टेक्निक द्वारा छाती दबाकर मस्तिष्क का रक्त प्रवाह जारी रखना सीखा।
प्रभावी छाती दबाना तभी होता है जब प्रति मिनट छाती को 2 इंच तक एक सौ से 120 बार दबाया जाए और इसे बिना अंतराल के एंबुलेंस या डॉक्टर के आने तक सतत जारी रखा जाए। अगर 30 इस बार छाती दबाने के बाद रोगी का नाक बंद कर रक्षक द्वारा ओंठ से ओंठ चिपकाकर उसे दो बार सामान्य सांस दी जाती है और पुनः छाती का दबाना शुरू कर दिया जाता है।
आज के शिक्षण में एक बात पर विशेष जोर दिया गया कि 2019 में भारतीय मोटर वाहन अधिनियम में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन कर गुड समरिटन को जोड़ा गया है और इस कानून के प्रभावी हो जाने से सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान बचाने वाले व्यक्ति को पुलिस या कोर्ट का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। डॉ.ओम प्रकाश ने आह्वान किया कृपया यह तकनीक सीखे और किसी को भी मदद कर पुण्य के भागी बनें।
डॉ. ओम प्रकाश के साथ सह प्रशिक्षक के रूप में जुबेर अहमद, राज सक्सेना उर्फ बबलू यादव,मिक्की कुमारी, पूजा कुमारी और प्रीति कुमारी एवं मॉडल के रूप में रोशन कुमार ने सहयोग किया। सफल संचालन के लिए सभी लोगों का कोषाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. गौरी शंकर झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संपूर्ण कार्यक्रम के संयोजन में डॉ. आरबी खेतान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।