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24 नवम्बर, 2024
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Darbhanga के जाले में प्राकृतिक खेती बनाएं समन्वय, अधिक उत्पादकता की चाहत में यूं ना करें गलती…

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मुख्य बातें: स्वस्थ मानव जीवन एवं स्वस्थ मृदा के लिए प्राकृतिक खेती आवश्यक: डॉ. केशव, प्राकृतिक खेती गुणवत्ता युक्त उत्पादन के लिए बेहद खास
जाले, देशज टाइम्स। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केशव ने कृषि विज्ञान केंद्र जाले द्वारा जलवायु अनुकूल खेती एवम प्राकृतिक खेती परियोजना से धनकौल गांव में संचालित खेती का निरीक्षण किया।

इस अवसर पर धनकौल के किसानों से रूबरू होते हुए उन्होंने किसानों से परिचर्चा करते हुए डॉ. केशव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जहां खेती में किसान नित्य नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर अधिक उत्पादकता की चाहत में अत्यधिक मात्रा में असंतुलित रूप से रासायनिक ऊर्वरक का खेतों में प्रयोग कर रहे हैं, परिणाम स्वरूप किसानों की उत्पादन लागत दिन-ब-दिन बढ़ रही है वहीं मृदा की संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पर रहा है, तथा खेतों के उत्पादकता में क्षरण हो रहा है।

आगे उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती परियोजना प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजना है जो देश के विभिन्न जिलों में संचालित की जा रही है, परियोजना अंतर्गत जहां प्रशिक्षण एवं प्रत्यक्षण के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक खेती के गुण सिखाए जा रहे हैं।

वहीं जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को इसके प्रति प्रेरित भी किया जा रहा है, कृषि विज्ञान केंद्र जाले  का जलवायु अनुकूल प्राकृतिक खेती का प्रयास सराहनीय है।

कृषि विज्ञान केंद्र के दिशा निर्देश में प्राकृतिक खेती करने वाले किसान धनकौल गांव के किसान रामनाथ ने बताया कि विगत दो वर्षों से हम कृषि विज्ञान केंद्र के दिशा निर्देश में प्राकृतिक खेती करते है। जिसमें हमें खेती में लागत भी कम हो रही है,और उत्पादकता भी ठीक ठाक प्राप्त हो रहा है।

इस अवसर पर डॉ. केशव ने कृषि विज्ञान केंद्र के विभिन्न प्रत्यक्षण इकाइयों एवं जलवायु अनुकूल खेती कार्यक्रम के अंतर्गत रतनपुर एवं सनपुर गांव के विभिन्न प्रत्यक्षण इकाइयों का निरीक्षण किया। उनके साथ कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष सह वरीय वैज्ञानिक डॉक्टर दिव्यांशु शेखर साथ थे।

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