दरभंगा | बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मार्कशीट में अनियमितताओं के मामले सामने आ रहे हैं। शिक्षा विभाग ने इस पर सख्त कदम उठाते हुए 68,000 शिक्षकों की मार्कशीट की जांच का निर्णय लिया है। इससे पहले की गई 12,000 शिक्षकों की जांच में कई गड़बड़ियां पाई गई हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि कई शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर बहाल हुए हैं।
फर्जी प्रमाण पत्र वाले शिक्षकों की नौकरी खतरे में
दरभंगा जिले के एक माध्यमिक स्कूल में कार्यरत शिक्षक चंदन कुमार का मामला चर्चा में है। चंदन कुमार साइंस शिक्षक के पद पर हैं, लेकिन उनका स्नातक एग्रीकल्चर में है। ऐसे कई अन्य मामले सामने आए हैं, जहां शिक्षकों के विषय और उनकी योग्यता में मेल नहीं है। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए जाएंगे, उनकी नौकरी रद्द की जाएगी।
शिक्षा मंत्री का बयान
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि शिक्षकों के संदिग्ध प्रमाण पत्रों की जांच जिला स्तर पर की जा रही है। खासकर, दूसरे राज्यों के शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच उनके संबंधित विश्वविद्यालयों से कराई जा रही है। यदि किसी शिक्षक के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी पाई जाती है, तो उनकी नौकरी जाने में कोई संदेह नहीं है।
बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, और शिक्षकों के प्रमाण पत्र में पाई जा रही गड़बड़ियां इस समस्या को और बढ़ा रही हैं। इस जांच के जरिए सरकार शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है।
निष्कर्ष
फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर बहाल हुए शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है। हालांकि, यह सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा, क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हैं। शिक्षा विभाग का यह कदम योग्य शिक्षकों को मौका देने और शिक्षा के स्तर को उठाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।