कोशी क्षेत्र के बहुरेंगे दिन, पश्चिमी तटबंध पर 301 करोड़ की लागत से बनेगी पक्की सड़क। – अब Darbhanga, Madhubani और Saharsa की connectivity का बड़ा तोहफ़ा, 301 करोड़, 25 km, कोसी तटबंध पर साढ़े 5 मीटर चौड़ी पक्की सड़क – नीमा से गांडौल तक मेगा प्रोजेक्ट, दूरी कम@दरभंगा/मधुबनी/सहरसा, देशज टाइम्स —
कोशी क्षेत्र के बहुरेंगे दिन, पश्चिमी तटबंध पर 301 करोड़ की लागत से बनेगी पक्की सड़क
दरभंगा/मधुबनी/सहरसा, देशज टाइम्स — अब कोशी क्षेत्र के लाखों बाढ़ प्रभावित लोगों को बेहतर आवागमन की सौगात मिलने जा रही है। नीमा से गंडौल तक 301 करोड़ की लागत से पश्चिमी कोशी तटबंध पर 25 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क का निर्माण शुरू होने जा रहा है। यह सड़क भारतमाला परियोजना के तहत बनाई जाएगी, जिससे दरभंगा, मधुबनी और सहरसा जैसे तीन प्रमुख जिलों की कनेक्टिविटी में ऐतिहासिक सुधार होगा।
नीमा से गंडौल तक बनेगी 25 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क
सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर होगी। 301 करोड़ रुपये की लागत से होगा चौड़ीकरण, ऊंचीकरण और सुदृढ़ीकरण। सड़क निर्माण से तीन जिलों के बीच आवागमन सुगम और सुरक्षित होगा। बाढ़ के समय राहत और बचाव कार्य में भी मिलेगी बेहतर सुविधा मिलेगी।
लाखों लोगों के लिए वरदान साबित होगा
दरभंगा के सांसद व लोकसभा में भाजपा सचेतक डॉ. गोपाल जी ठाकुर ने बताया कि इस सड़क का निर्माण एनडीए सरकार की प्राथमिक योजना है। यह कोशी तटबंध पर रहने वाले लाखों लोगों के लिए वरदान साबित होगा।
सांसद व लोकसभा में भाजपा सचेतक डॉ. गोपाल जी ठाकुर ने बताया कि—
“2024 के अक्टूबर में आई बाढ़ से कीरतपुर के भुभौल के पास तटबंध टूट गया था। उसी दौरान मैंने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल से इस पर तत्काल पहल की मांग की थी।“
महत्वपूर्ण तिथियां
22 अक्टूबर 2024 — केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर परियोजना की मांग की गई। 20 जनवरी 2025 — परियोजना की सभी औपचारिकताएँ पूरी हुई। अब निर्माण कार्य की शुरुआत तय — जमीन सर्वे और टेंडर प्रक्रिया तेज।
क्या है सड़क की महत्ता?
कोशी नदी के बाढ़ संकट का स्थायी समाधान निकलेगा। भारतमाला प्रोजेक्ट से सीधा लिंक, जिससे SH-17 बिरौल-सहरसा मार्ग को मजबूती मिलेगी। उच्चैठ भगवती स्थान से लेकर सहरसा उग्रतारा महिषी तक बेहतर सड़क संपर्क होगा।
दरभंगा में बन रहीं 400 KM से अधिक सड़कें
डॉ. ठाकुर ने बताया कि—
“प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेज-3 के तहत 400 किलोमीटर से अधिक सड़कें और 300 से अधिक छोटे-बड़े पुल बनाए जा रहे हैं। यह बिहार ही नहीं, देश के लिए भी मानक बन रहा है।“