नाग पंचमी का पर्व गुरुवार को प्रखंड में हर्षोल्लास के साथ पारम्परिक रूप से मनाया गया। इस अवसर पर महिलाएं विभिन्न तालाबों और जलाशयों में स्नान कर कुश में गांठ बांध कर अपने संतान की दीर्घायु होने और परिवार में सुख समृद्धि का कामना किया।नाग पंचमी पर्व को लेकर अहले सुबह से इसके तैयारी में जुट गई।
अब आतंकियों की बची-कुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है… — PM MODI in Madhubani
सुबह उठते ही गाय के पवित्र गोबर से महिलाएं अपने अपने घर के दिवाल में नाग सर्प की आकृति बनाई। कंसार जाकर धान का लाबा भूंज कर लाए। तत्पश्चात घर आंगन को साफ सफाई कर आस पास के तालाब एवं जलाशयों में स्नान करने गयी। जहां स्नान कर कुश में गांठ बांधने की परम्परा को पूरा किया और घर आकर कुलदेवता एवं नाग देवता को दुध एवं धान का लावा चढ़ाया।
नाग पंचमी के महत्व के संबंध में पंडित आचार्य राज नारायण झा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि का स्वामी स्वयं नाग देवता हैं। गुरुवार को पंचमी तिथि होना सिद्ध योग माना गया है।
इस तिथि को सर्प की पूजा करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
इस दिन नाग देवता को पूजा करने से कुंडली में राहु व केतु से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि देवों का देव महादेव को सर्प अत्यंत प्रिय है।
इसलिए उनके प्रिय सावन मास में नाग पंचमी का पर्व श्रद्धा पूर्वक मनाने से भोलेनाथ प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देते हैं। नाग पंचमी से ही मिथिलांचल के नव विवाहिता के लिए 15 दिनों तक चलने वाले मधु श्रावणी पूजा प्रारंभ हो गया है।