दरभंगा – बिहार का ऐतिहासिक और शैक्षणिक रूप से महत्वपूर्ण शहर, लेकिन जब बात चिकित्सा सेवाओं की आती है, तो व्यवस्थाएं हमेशा सवालों के घेरे में रहती हैं। दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (DMCH) अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है, लेकिन इसके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की हालत ऐसी है कि मरीज भर्ती तो हो रहे हैं, लेकिन इलाज की पुख्ता व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी।
🚨 150 करोड़ की लागत, लेकिन इलाज के इंतजाम अधूरे
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन 7 सितंबर 2023 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने किया था। यह अस्पताल प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 150 करोड़ रुपये की लागत से बना है।
✅ 210 बेड की सुविधा
✅ आठ विभागों के लिए 20-20 बेड आवंटित
✅ 50 बेड वाली प्री-ओपीडी, पोस्ट-ओपीडी, कैथ लैब और आईसीयू सुविधा
लेकिन, डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की भारी कमी के कारण इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई। कई विभाग अब तक शुरू ही नहीं हो सके।
⚕️ कौन-कौन से विभाग प्रभावित?
अस्पताल में कुल आठ विभाग हैं, लेकिन इनमें से दो विभाग – नियोनेटोलॉजी और हीपैटोलॉजी – अब तक शुरू नहीं हुए। बाकी विभागों में ओपीडी सेवाएं तो मिल रही हैं, लेकिन इलाज और सर्जरी के लिए आवश्यक सुविधाएं अधूरी हैं।
📌 ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या (शुक्रवार का आंकड़ा):
✔ न्यूरोलॉजी फिजिशियन विभाग – 51 मरीज
✔ न्यूरोलॉजी सर्जरी विभाग – 30 मरीज
✔ नेफ्रोलॉजी विभाग – 6 मरीज
✔ गैस्ट्रोलॉजी विभाग – 2 मरीज
✔ कार्डियोलॉजी विभाग – 2 मरीज
✔ बर्न प्लास्टिक सर्जरी विभाग – 1 मरीज
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि मरीज अस्पताल आ रहे हैं, लेकिन इलाज की पूरी सुविधा न मिलने के कारण कई बार रेफर कर दिया जाता है।
🔍 अधूरी व्यवस्थाओं का कारण क्या है?
अस्पताल में करोड़ों रुपये की मशीनें रखी हैं, लेकिन टेक्नीशियन और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण ये सिर्फ शोपीस बनकर रह गई हैं।
👉 टेक्नीशियनों की बहाली को लेकर सरकार को पत्र भेजा गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
👉 गंभीर मरीजों को इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज (PMCH) रेफर किया जा रहा है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
🏥 अस्पताल की संरचना और सुविधाएं
🔹 ग्राउंड फ्लोर – एडमिशन और रेडियोलॉजी विभाग
🔹 फर्स्ट फ्लोर – नियोनेटोलॉजी, एनआईसीयू, गैस्ट्रोलॉजी, हीपैटोलॉजी और ओपीडी
🔹 सेकंड फ्लोर – नेफ्रोलॉजी, बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग
🔹 थर्ड फ्लोर – न्यूरो सर्जरी और न्यूरोलॉजी विभाग
🔹 फोर्थ फ्लोर – कार्डियोलॉजी और सीटीवीएस विभाग
🔹 फिफ्थ फ्लोर – ऑपरेशन थियेटर, कैथ लैब, एनेस्थेसियोलॉजी, आईसीयू और सीसीयू
➡ लेकिन इन सुविधाओं का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है, क्योंकि स्टाफ की भारी कमी बनी हुई है।
⚠️ सवाल जो उठते हैं:
1️⃣ जब अस्पताल का उद्घाटन हुआ, तो टेक्नीशियन और डॉक्टरों की बहाली की योजना पहले क्यों नहीं बनी?
📢 निष्कर्ष – इलाज के नाम पर सिर्फ औपचारिकता!
दरभंगा मेडिकल कॉलेज का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल कागजों पर एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन हकीकत में यह व्यवस्था की नाकामी का एक और उदाहरण बन गया है। मरीज आ रहे हैं, भर्ती हो रहे हैं, लेकिन इलाज के लिए उन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है।
➡ अगर सरकार और प्रशासन जल्द ही टेक्नीशियनों और डॉक्टरों की बहाली नहीं करता, तो यह अस्पताल सिर्फ एक इमारत बनकर रह जाएगा।