बिरौल देशज टाइम्स डिजिटल डेस्क। कलमा-कोसी और करेह क्षेत्र के लाखों लोगों का सकरी से हसनपुर तक रेल से यात्रा करने का सपना आज तक पूरा नहीं हो पाया। तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, खगड़िया जिले के कुशेश्वरस्थान सहित कई धार्मिक स्थानों को जोडने वाले 76 किमी लंबे रेल मार्ग को स्वीकृति दी थी।उस समय रेलखंड के निर्माण को बजट मे शामिल किया गया।
विभाग की ओर से सर्वेक्षण कार्य पूरा होने के बाद 22 फरवरी 1974 को रेलमंत्री ने इसका शिलान्यास किया था। निर्माण कार्य शुरू होता कि रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या समस्तीपुर मे एक कार्यक्रम के दौरान हो गयी। उनके मौत के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गयी। उसके बाद ममता बनर्जी, नीतीश कुमार रेल मंत्री बने लेकिन इस महत्वपूर्ण योजना के प्रति किसी ने खास दिलचस्पी नहीं ली।
रामविलास पासवान को रेल मंत्रालय मिलते ही वर्षों से ठंडे बस्ते मे पड़ा मिथिलांचल के इस महत्त्वपूर्ण योजना को उन्होंने फिर से बजट मे लेकर बिरौल के खोड़ागाछी मैदान में एक कार्यक्रम के दौरान दुसरी बार शिलान्यास किया।
उसके बाद से 76 किमी सकरी-हसनपुर लंबे रेलखंड का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो कर सकरी से बेनीपुर,बिरौल से गुजरते हुए 44 किमी हरनगर तक पहुंचा। लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री बनने के बाद सकरी से बिरौल तक ट्रेन परिचालन को हरी झंडी वर्ष 2008 में मिली। जिसे विस्तारित कर हरनगर तक यात्रियों को सेवा उपलब्ध कराया गया। शेष 32 किमी रेलखंड का निर्माण कार्य जो हरनगर से हसनपुर तक जाएगी रेल मंत्रालय के कुंभकर्णी निंद के कारण वर्षों से बंद पड़ा है।
विभागीय जानकारी के अनुसार हसनपुर से बिथान की ओर रेलखंड पर कुछ किमी निर्माण कार्य शुरू किया गया था। इस दौरान कंकरीट स्लीपट बिछाने का कार्य भी किया गया है। लेकिन राशि के अभाव में हसनपुर की ओर से हो रहे निर्माण कार्य वर्षों से बंद है। पता नहीं 48 वर्ष पूर्व शुरू हुए यह योजना कार्य कब पूरा होगा?
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