दरभंगा | जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) जुनैद आलम की अदालत ने सोमवार को अररिया जिले के चार आरोपियों को एटीएम फ्रॉड मामले में जमानत दे दी। ये चारों आरोपी लहेरियासराय पुलिस की अनुसंधान में हुई गंभीर लापरवाही का फायदा उठा सके।
लहेरियासराय पुलिस की जांच में गंभीर खामियां
मई माह में दर्ज हुई इस एफआईआर में लहेरियासराय थाना की पुलिस द्वारा दो माह के लंबे समय तक आरोप पत्र समर्पित न करने के कारण जांच प्रक्रिया प्रभावित हुई। इस वजह से आरोपियों को न्यायालय ने जमानत प्रदान कर दी।
अर्जित जानकारी और गिरफ्तार आरोपी
अररिया के चार आरोपियों — आशीष कुमार सिंह, रितेश कुमार सिंह, शंकर कुमार सिंह और विकास कुमार सिंह — को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के दौरान उनके कब्जे से कुल 167 एटीएम कार्ड बरामद हुए थे। लहेरियासराय थाना के तत्कालीन SHO ने इस केस की जांच के लिए अनुसंधानकर्ता राकेश कुमार को नियुक्त किया था।
जमानत मिलने का कारण
फिलहाल ये चारों आरोपी जेल में बंद थे, लेकिन पुलिस की अनुचित अनुसंधान और आरोप पत्र न देने के कारण अदालत ने इन्हें जमानत दे दी।
मुजफ्फरपुर में भी हुई ऐसी घटना
इसी प्रकार की एक घटना मुजफ्फरपुर पुलिस के साथ भी सामने आई थी, जहां गांजा तस्करी के एक मामले में दो महिलाओं और एक पुरुष आरोपी को दो माह के भीतर आरोप पत्र न देने की वजह से जमानत मिली थी।
न्यायिक प्रक्रिया में देरी का असर
यह मामला बिहार में पुलिस अनुसंधान और न्यायिक प्रक्रिया में हो रही देरी की समस्याओं को उजागर करता है, जिससे आरोपी बेल लेने में सक्षम हो जाते हैं और न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगते हैं।