दरभंगा | मां श्यामा मंदिर परिसर में गीता जयंती के पावन अवसर पर ‘गीता ज्ञान यज्ञ-2024’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मंदिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष प्रो. जयशंकर झा ने की। आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. विनय कुमार मिश्र (संस्कृत विश्वविद्यालय, वेद विभागाध्यक्ष) उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता ने गीता के महत्व को रेखांकित किया
डॉ. विनय कुमार मिश्र ने बताया कि यह गीता की 5161वीं जयंती है।
- उन्होंने कहा कि गीता के अलावा किसी अन्य ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती, यह इसका विशेष महत्व दर्शाता है।
- गीता हमें निष्काम कर्म और आत्मतत्व की समझ प्रदान करती है, जो जीवन को सार्थक बनाने का मार्ग दिखाती है।
- उन्होंने गीता को मानवता का प्रेरणा स्रोत बताते हुए इसके अध्ययन को जीवन के लिए आवश्यक बताया।
विशिष्ट वक्ताओं के विचार
- प्रो. विनोदानंद झा (पूर्व विभागाध्यक्ष, एमके कॉलेज):
- गीता को 16 कलाओं के पूर्ण ब्रह्म श्रीकृष्ण की वाणी बताया।
- गीता के श्लोकों का वाचन करते हुए उनका मूल भाव समझाया।
- मधुबाला सिन्हा (न्यासी):
- गीता के 18 अध्यायों में भक्ति, कर्म, और ज्ञान योग का समावेश है।
- सुख और दुःख दोनों परिस्थितियों में गीता श्रेष्ठ मार्गदर्शन प्रदान करती है।
आयोजन की मुख्य झलकियां
- कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और समापन सामूहिक आरती गायन से हुआ।
- भजन और वादन की प्रस्तुति शिवकुमार गुप्ता, शुभग लाल दास, और मिथिलेश मिश्र ने की।
- अतिथियों को श्यामा मां की चुनरी, फूल-माला, श्यामा भोग, और श्यामा संदेश स्मारिका से सम्मानित किया गया।
अगले वर्ष से होगा वृहद आयोजन
प्रो. जयशंकर झा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा:
- गीता ज्ञान यज्ञ का यह आयोजन श्यामा मंदिर परिसर में पहली बार हुआ है।
- अगले वर्ष से इसे और भी बृहद स्तर पर आयोजित किया जाएगा।
- दैनिक सत्संग, भजन-संध्या, और भंडारा जैसी गतिविधियों को भी नियमित रूप से संचालित किया जाएगा।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति और योगदानकर्ता
इस अवसर पर 100 से अधिक लोगों की उपस्थिति रही।
- संयोजक: डॉ. संतोष कुमार पासवान
- मीडिया इंचार्ज: डॉ. आर. एन. चौरसिया
- मुख्य अतिथि: प्रो. एस. एम. झा (मंदिर न्यास समिति अध्यक्ष)
- विशेष योगदान: उज्ज्वल कुमार और पं. महेश कान्त झा
डॉ. चौरसिया ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए गीता के अनुपम महत्व पर प्रकाश डाला।
गीता: जीवन का प्रेरणा स्रोत
यह आयोजन न केवल गीता जयंती का उत्सव था, बल्कि गीता के ज्ञान और शिक्षाओं को जनसामान्य तक पहुंचाने का एक सार्थक प्रयास भी था। उपस्थित लोग इस कार्यक्रम से आध्यात्मिक ऊर्जा और जीवन दर्शन को आत्मसात कर प्रेरित हुए।