जाले का राढ़ी आवाज दे रहा है मुझको पानी पिला दीजिए। वार्ड 15-16 में पानी के लिए हाहाकार! चापाकल सूखा, लोग सुबह-रात लाइन में। पानी के लिए जंग! राढ़ी पश्चिमी के 1000 लोग घंटों लाइन में – सरकार बेखबर?@जाले-दरभंगा,देशज टाइम्स।
नहाना तो छोड़िए, पीने को भी पानी नहीं’ –…सोचिए?
घर-घर चापाकल सूखे! दरभंगा के जाले राढ़ी के इस इलाके में न पीने का पानी, न समाधान। नहाना तो छोड़िए, पीने को भी पानी नहीं’ – दरभंगा के लोगों की चीख सुन रहा कोई? हर घर नल का जल योजना फेल? वार्ड 15-16 में रहवासी हो गए बेसहारा।
सुबह 5 से रात 10 बजे तक चापाकल की भीड़! PHED वाले बोले – ‘देखते हैं’, –…सोचिए?
PHED वाले बोले – ‘देखते हैं’, जनता बोली – ‘पानी कब मिलेगा?’ राढ़ी में तगड़ा संकट। सुबह 5 से रात 10 बजे तक चापाकल की भीड़! वार्ड 16 में पानी की सबसे बड़ी मार@जाले-दरभंगा,देशज टाइम्स।
दरभंगा के जाले- राढ़ी पश्चिमी के वार्ड 15-16 में गहराया पेयजल संकट, एक चापाकल एक हजार लोग…सोचिए?
जाले, दरभंगा, देशज टाइम्स। प्रखंड क्षेत्र के राढ़ी पश्चिमी पंचायत के वार्ड 15 और 16 के लोगों के लिए पानी जीवन नहीं, अब संघर्ष बन चुका है। जलस्तर नीचे चले जाने और नल-जल योजना के ठप पड़ने से यहां के लगभग एक हजार लोग घोर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।
सबसे ऊंचा इलाका, सबसे बड़ी परेशानी
महदई पोखर के भिंडा पर बसा वार्ड 15-16, जाले प्रखंड का सबसे ऊंचा भू-भाग माना जाता है। अधिक ऊंचाई होने के कारण भूजल स्तर सबसे पहले नीचे चला जाता है, जिससे चापाकल और नल दोनों सूख जाते हैं।
हर घर नल का जल योजना फेल, केवल मार्क थ्री चापाकल ही सहारा
जब से ‘हर घर नल का जल’ योजना का जिम्मा पीएचईडी (PHED) के पास गया है, पंचायत स्तर पर जल आपूर्ति ठप पड़ गई है। वार्ड में केवल एक मार्क थ्री चापाकल काम कर रहा है, जिस पर सुबह से रात तक लाइन लगी रहती है। प्रदीप दास, वार्ड 15 निवासी और बुनियादी विद्यालय के शिक्षक, बताते हैं:
“बीते एक सप्ताह से सभी घरों के चापाकल सूख गए हैं। पीने, नहाने, शौच या खाना बनाने तक के लिए यही एक चापाकल सहारा है।“
रतनपुर पंचायत में भी हालात खराब
रतनपुर पंचायत के वार्ड 8 के कई घरों के चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है। जल संकट अब पंचायत दर पंचायत फैलता जा रहा है।
प्रशासन में तालमेल की कमी, ग्रामीण बेहाल
बीडीओ और आरडीओ से संपर्क नहीं हो सका। बीपीआरओ रुपेश कुमार ने बताया:
“जब नल-जल योजना पंचायत के अधीन थी, तब पानी मिल रहा था। अब PHED को सौंप दिया गया है, तो हालत बिगड़ गई है।“
PHED के जेई नीतू चौहान ने इस विषय पर अनभिज्ञता जताई और सिर्फ इतना कहा – “देखते हैं।”
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