


प्रशांत कुमार, कुशेश्वरस्थान पूर्वी, देशज टाइम्स। मानसून के दस्तक के साथ ही बाढ़ की राजधानी कहे जाने वाली कुशेश्वरस्थान में बाढ़ ने सैकड़ों परिवार को किया विस्थापित।
जानकारी के अनुसार, प्रखंड क्षेत्र के सुघराइन पंचायत के भरैन मुसहरी और इटहर पंचायत के चौकिया, विशुनिया पोखर एवं विशुनिया मुसहरी के लोग तटबंध पर अपना आशियाना बना लिए हैं। अपना घर बार छोड़ लोग खुले आसमान के नीचे
अपना घर बार छोड़ लोग खुले आसमान के नीचे 
जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर है। चिलचिलाती धूप हो या फिर मूसलाधार बारिश बाढ़ पीड़ित सर पर प्लास्टिक लकेर समय गुजारने के लिए मजबूर है। कमला बलान पश्चिमी तटबंध पर बसे पीड़ित परिवार को ना तो बिजली नसीब हो रही है और ना ही पीने का शुद्ध पानी।
भरैन मुसहरी के लगभग तीन सौ परिवार के लिए पिछले वर्ष जो पांच चापाकल लगाया गया था उसमें से तीन चापाकल खराब है सिर्फ दो चापाकल से ही लोग पीने का पानी लाते है। तटबंध पर बसे लोगो को ना तो ठीक से पानी नसीब हो रहा है और ना ही खाना। इतना ही नही यहां शौच के लिए भी तटबंध के नीचे खुले में ही लोग जाने को मजबूर है।
 इस दौरान कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष राम भजन यादव बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने भरैन और चौकिया पहुंचे और पीड़ित परिवारों का जायजा लिया। इस बावत श्री यादव ने बताया कि अभी बाढ़ का शुरुआती दौर है और लोग विस्थापित होने लगे है। आगे बाढ़ की त्रासदी लोगो को झेलनी बांकी है। विस्थापित परिवारों को किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अबतक उक्त दोनों जगहों पर सरकारी नाव भी उपलब्ध नही है।
इस दौरान कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष राम भजन यादव बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने भरैन और चौकिया पहुंचे और पीड़ित परिवारों का जायजा लिया। इस बावत श्री यादव ने बताया कि अभी बाढ़ का शुरुआती दौर है और लोग विस्थापित होने लगे है। आगे बाढ़ की त्रासदी लोगो को झेलनी बांकी है। विस्थापित परिवारों को किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अबतक उक्त दोनों जगहों पर सरकारी नाव भी उपलब्ध नही है।चौकिया, विशुनिया एवं भरैन तटबंध निर्माण के बाद से नदी के गर्भ में बसा हुआ है। प्रत्येक वर्ष यहां के लोग बाढ़ की विभीषिका को झेलने के लिए मजबूर हैं। इन सभी परिवारों को जबतक पुनर्वास नहीं किया जाता तब तक यहां के लोग इस त्रासदी को झेलते रहेंगे।
कि जब से बांध का निर्माण हुआ है तब से प्रत्येक वर्ष गांव के लोग बाढ़ के समय तटबंध पर ही गुजर बसर करने के लिए मजबूर है। सभी के घरों में तीन से चार फीट पानी रहता है। छोटे छोटे बच्चे के साथ आंधी तूफान बरसात और चिल चिलाती धूप में प्लास्टिक के नीचे किसी तरह समय बिता रहे हैं। अब तक एक भी सरकारी लोग हाल जानने नहीं आए हैं।

तटबंध पर खुले आसमान में जीवन व्यतीत कर रहे है। चिलचिलाती धूप और बारिश में बाल बच्चे लगातार बीमार पर रहे है। जब बरसात होती है तो जलावन भींग जाने से खाना भी नहीं नसीब होता है। ऐसी स्थिति में कई बार पूरे परिवार के लोगों को भूखे ही सोना पड़ता है।




 
 
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