प्रभास रंजन। Darbhanga News: देखें VIDEO | राम गोविंद प्रसाद गुप्ता के बाद…89 सालों में कैसा दिखता है जनतंत्र में आज का मीडिया, देखें VIDEO |
राजनीतिक चिंतक सह विश्लेषक एवं पूर्व निदेशक आकाशवाणी पूर्णिया डॉ. प्रभात नारायण झा ने कहा कि मीडिया का (Ram Govind Prasad Gupta’s birth anniversary celebrated in Darbhanga) उपयोग अब जनमत बनाने मे नहीं बल्कि जनमत को नियंत्रित करने मे हो रहा है। डीजिटल मिडिया के समक्ष यह चुनौती है कि ऐसे तमाम नियंत्रकों को बेनकाब करे और सच्चे लोकतंत्र की स्थापना मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
रविवार को ख्यातिलब्ध पत्रकार एवं समाजसेवी स्व. राम गोविंद प्रसाद गुप्ता की 89वीं जयंती के अवसर पर सागर सभागार में आयोजित डिजिटल युग में पत्रकारिता की भूमिका और चुनौतियां विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. प्रभात नारायण झा ने कहा कि उदंत मार्तंड शुरू हुई हिंदी पत्रकारिता डिजिटल युग में चंहुमुखी हो गई है।
इसका ध्येय-उद्देश्य सब बदल गया है। अब इसका वास्ता सिर्फ सरोकार से नहीं रह गया है बल्कि यह प्रचार का भी सशक्त माध्यम है। उन्होंने बताया कि पत्रकारिता में बदलाव की शुरुआत 1991 के उदारवादी दौर से हुई। विदेशी पूंजी प्रवाह से पत्रकारिता में विज्ञापन का दखल बढ़ा और मानवीय सरोकार प्रभावित होने लगा। जो डिजिटल युग में इस कदर हावी हो गया है कि पत्रकारिता से मानवीय संवेदना गायब हो गई है।
डिजिटल प्लेटफार्म पर खबरों का प्रसारण व्यवसायिक हितों के अनुरूप हो रहा है। उन्होंने बताया कि डिजिटल मीडिया एक माध्यम है। इसका सही या गलत उपयोग करने का विवेक लोगों में उत्पन्न करने की आवश्यकता है। आज डिजिटल मीडिया की गिरफ्त में फंसकर एक ही परिवार के लोग अलग-थलग हो गए है।
हर कोई मोबाइल थामे अपने-आपको विशिष्ट समझ रहा है। अत्यधिक डिजिटल माध्यम के उपयोग से लोगों की चेतना प्रभावित हो रही हैं और विचारधाराओं में परिवर्तन हो रहा है। इससे बचाव की जरूरत है। इसके लिए सामाजिक संस्थानों, मीडिया एवं बुद्धिजीवियों को पहल करनी होगी।
प्रख्यात पत्रकार एवं टाइम्स आफ स्वराज के संपादक संतोष सिंह ने कहा कि डिजिटल युग में पत्रकारिता भरोसे के संकट से जूझ रही हैं। खबर देखकर लोगों को यकीन नहीं होता है। लोग उसकी पुष्टि पत्रकारिता के दूसरे माध्यम से करते है। इस विषम स्थिति के बावजूद डिजिटल युग की पत्रकारिता स्थापित हो चुकी हैं। भले ही विश्वसनीयता की कमी हो पर व्यापकता की वजह से इसने प्रिंट व दृश्य दोनों मीडिया माध्यम को प्रभावित किया है।
उन्होंने डिजिटल मीडिया पर फेंक न्यूज के लिए राजनीतिक दलों को जिम्मेवार करार दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीति दलों के प्रतिनिधियों ने आईटीसेल बना रखा है। जो अपने दलहित में फेंक न्यूज का प्रसारण करते हैं। संपादक संतोष सिंह ने कहा कि फेंक न्यूज के कारण ही डिजिटल मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहा है। इससे अराजकता की स्थिति भी उत्पन्न हुई है। जिसकी वजह से पत्रकारिता पर सवाल उठने लगा है।
डिजिटल मीडिया का दायरा विस्तृत है
उन्होंने बताया कि लोकतंत्र तभी तक स्वस्थ है जबतक पत्रकारिता स्वतंत्र है। स्वतंत्र पत्रकारिता ही सत्ता को चुनौति दें सकती हैं। इसलिए डिजिटल युग की पत्रकारिता को विश्वसनीय बनाने की आवश्यकता है। विशिष्ट वक्ता पूर्व पत्रकार सह जदयू विधायक डा. विनय कुमार चौधरी ने कहा कि डिजिटल मीडिया ने हर व्यक्ति को पत्रकार बना दिया है। खबरों का प्रसार तेज गति हो रहा है पर आमलोगों को आज भी भरोसा प्रिंट मीडिया पर ही हैं। जिसका कारण डिजिटल मीडिया पर भ्रामक खबरों का प्रसारण है। इसके बावजूद डिजिटल मीडिया का दायरा विस्तृत है। इससे मीडिया संस्थानों का अधिपत्य समाप्त हुआ है और खबरों के प्रसारण की गति तेज हो गई। उन्होंने बताया कि डिजिटल युग में भी पत्रकारिता की अहमियत बनी हुई है। जरूरत इसे सजाने-संवारने की है। जिसके लिए सक्षम लोगों को आगे आना होगा।
अतिथियों का स्वागत पत्रकार प्रदीप कुमार गुप्ता ने किया
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद डॉ. कृष्ण कुमार ने कहा कि डिजिटल मीडिया दोधारी तलवार सदृश्य है। इसका जिस तरीके से इस्तेमाल होगा परिणाम वैसा ही सामने आएगा। संगोष्ठी का संचालन प्रो.सतीश सिंह ने किया। अतिथियों का स्वागत पत्रकार प्रदीप कुमार गुप्ता ने किया। विषय प्रवेश डॉ. रामचंद्र चंद्रेश और धन्यवाद ज्ञापन प्रमोद गुप्ता ने किया।