दरभंगा। दरभंगा एकबार फिर देश को सांस्कृतिक विशिष्टता की पहचान देने जा रहा है। राष्ट्रीय फलक पर दरभंगा की अस्मिता, इसकी शान फिर चहकेगा। मंच होगा ‘मिथिला कला उत्सव’।
इस मंच पर दरभंगा समेत संपूर्ण मिथिला का चटक-विचारोत्तक फलक सामने आएगा। इसका आयोजन संस्कार भारती करने जा रहा है। इसको लेकर (recognition of cultural distinctiveness) मिथिला सांस्कृतिक क्षेत्र की बैठक कामेश्वर सिंह दरभंगा विश्वविद्यालय परिसर के संगीत नाट्य विभाग में हुई।
बैठक में मिथिला की सांस्कृतिक विशिष्टता को राष्ट्रीय फलक पर नए विचारों के साथ स्थापित करने के मकसद से एक खास आयोजन की रूपरेखा तय की गई। इसके तहत आगामी अप्रैल में ‘मिथिला कला उत्सव’ का आयोजन किया जाएगा। इसमें प्रबुद्ध जनों और कलाकारों की टोली एक साथ आकार लेगी। इसको लेकर बुधवार को एक महती बैठक हुई।
बैठक में उत्तर बिहार प्रान्त की उपाध्यक्ष व संगीत नाट्य विभाग की अध्यक्ष डॉ पुष्पम नारायण, नाट्य के अनुभवी कलाकार सागर सिंह, नटराट कला के अग्रणी मोहित खंडेलवाल ने अपने विचार रखते हुए कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा पर विमर्श किया।
मौके पर कार्यकारी जिलाध्यक्ष सुचित्रा सुमन, मिथिला सांस्कृतिक समूह के संयोजक राकेश झा, प्रदेश संगठन मंत्री वेदप्रकाश, प्रांत महामंत्री सुरभित दत्त ने मिथिला की सांस्कृतिक विविधता को उभारने और उसके प्रसार के लिए प्रयास करने पर बल दिया।
वहीं, डॉ. सुभाष चंद्र सिंह, विश्वनाथ झा, सुमन सिंह, वरिष्ठ रंगकर्मी महेंद्र लाल कर्ण, मिथिलाक्षर अभियानी कौशल कुमार झा, मुरारी कुमार झा, मित्रनाथ झा ने मिथिला कला उत्सव की रूपरेखा और कार्यक्रम आयोजन संबंधी विभिन्न समूहों का गठन करने में अपनी महती भूमिका निभाई। मौके पर,स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता के नायकों को लेकर विशेष आयोजन पर सहमति बनी।
बैठक में रिजु यामिनी, डॉ वेद प्रकाश, विनय कुमार झा, धर्मेंद्र पांडेय, नीमा झा, विनय कुमार झा, पंकज झा, सुमन सिंह, पूजा कुमारी, सागर कुमार सिंह, निखिल महादेव झा, हरिओम शेखर, अभिषेक कुमार गामी, सुमित सुमन, संजय सुमन, विजय कुमार साह, गौतम कृष्ण समेत अन्य मौजूद थे।