दरभंगा में River Ranching, करेह के गंगा नदी तंत्र में 2.60 Lakh Finger lings Stocked। जहां, गंगा नदी तंत्र में रिवर रैंचिंग कार्यक्रम का शुभारंभ: दरभंगा में 2.60 लाख अंगुलिका संचयन। (Launch of River Ranching Program in Darbhanga: 2.60 Lakh Fingerlings Stocked)
कार्यक्रम का शुभारंभ
(Program Inauguration)
दरभंगा जिले के बहेड़ी अंचल स्थित करेह नदी के कोठरा घाट पर गंगा नदी तंत्र में नदी पुर्नस्थापन (रिवर रैंचिंग) (River Ranching Program) कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर 2.60 लाख अंगुलिका (fingerlings) का संचयन किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी और आम जनता ने भाग लिया।
मछलियों की घटती संख्या का कारण
(Reasons for Decline in Fish Population)
बैठक में बताया गया कि प्रदूषण (pollution), बाहरीकरण (externalization) और मानव जनित क्रियाकलापों (human activities) के कारण नदियों में जलजीवों (aquatic life), प्रजनक मछलियों (breeding fish), और उनके प्रजनन स्थलों (breeding grounds) की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। इससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र (aquatic ecosystem) और जैव विविधता (biodiversity) पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
रिवर रैंचिंग: उद्देश्य और प्रक्रिया
(River Ranching: Objectives and Process)
राज्य सरकार द्वारा नदी पुर्नस्थापन (River Restoration) की योजना चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य:
- विलुप्त मछली प्रजातियों (endangered fish species) का संरक्षण।
- मत्स्यजीवी समुदाय (fishermen community) को अतिरिक्त आजीविका साधन उपलब्ध कराना।
- नदी जल की गुणवत्ता (water quality) में सुधार।
- प्रदूषण (pollution) को कम करना।
इस योजना के तहत, गंगा नदी और इसकी प्रमुख सहायक नदियों जैसे करेह, कमला, बूढ़ी गंडक, कोशी, और बागमती में अंगुलिकाओं (fingerlings) का संचयन किया जाता है। ये अंगुलिकाएं विभिन्न हैचरियों (hatcheries) में तैयार की जाती हैं।
दरभंगा में रिवर रैंचिंग का लक्ष्य
(Target for River Ranching in Darbhanga)
वर्ष 2024-25 में:
- करेह नदी और कमला नदी में 3.80 लाख अंगुलिकाओं का संचयन लक्ष्य है।
- फिलहाल करेह नदी में 2.60 लाख अंगुलिका संचयन किया गया है।
लंबे समय का प्रभाव
(Long-Term Impact)
रिवर रैंचिंग कार्यक्रम का प्रभाव:
- 8-10 वर्षों में मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि।
- नदी की उत्पादकता (productivity) और जल की गुणवत्ता में सुधार।
- मत्स्यजीवी समुदाय को अतिरिक्त आय के साधन।
- जलीय पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुत्थान।
विशेषज्ञों और अधिकारियों की भूमिका
(Participation of Experts and Officials)
कार्यक्रम में अपर समाहर्त्ता (आपदा प्रबंधन), उप मत्स्य निदेशक (Deputy Fisheries Director), जिला मत्स्य पदाधिकारी (District Fisheries Officer), और अन्य अधिकारियों ने भाग लिया। सभी ने योजना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे सफल बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की अपील की।
निष्कर्ष
नदी पुर्नस्थापन कार्यक्रम, जल संसाधनों और जैव विविधता को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देता है बल्कि मत्स्यजीवी समुदाय को आर्थिक मजबूती भी प्रदान करता है।