सबटाइटल: भटकना ही नियति
अर्धनिर्मित विद्यालय भवन के कारण बच्चों को निजी दरवाजों और धर्मशालाओं में भटकना पड़ रहा है। जहां, Darbhanga News: देखें VIDEO | स्कूल निर्माण अधूरा छोड़कर भागा, धर्मशाला में चल रहा पाठशाला, मास्टर साहेब पहले खोजते हैं पढ़ाने की जगह…। यह है, कुशेश्वरस्थान पूर्वी का प्राथमिक विद्यालय भरडीहा। देखें VIDEO |
सबक्रासर: निर्माण में आंच
- भवन निर्माण विभाग की लापरवाही से अटका विद्यालय का निर्माण कार्य।
- बच्चे दरवाजे-दरवाजे भटक कर कर रहे पढ़ाई।
- ठेकेदार निर्माण कार्य अधूरा छोड़ कर फरार।
- ग्रामीणों का आंदोलन की ओर बढ़ता गुस्सा।
सबहैंडिंग: अधूरा छोड़ भागा, लटकाया
- अर्धनिर्मित विद्यालय भवन का संकट: ठेकेदार की ओर से अधूरा छोड़कर भागने के कारण बच्चों को हो रही परेशानियां।
- ग्रामीणों का आंदोलन: बार-बार ठगे जाने के बाद ग्रामीणों ने विद्यालय निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी शुरू की।
- अधिकारियों का आश्वासन: जिलाधिकारी राजीव रौशन का मामले में त्वरित समाधान के लिए कदम उठाने का वादा।
प्वाइंटर: धर्मशाला में शिक्षा
- भवन निर्माण की अनियमितताओं के कारण ठप पड़ा विद्यालय निर्माण।
- बच्चों को दरवाजे-दरवाजे भटक कर करनी पड़ रही पढ़ाई।
- जर्जर धर्मशाला में फिलहाल चल रही है पढ़ाई।
- ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी।जिलाधिकारी राजीव रौशन ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया।
खबर यह है, बच्चे भटक रहे, शिक्षक जगह खोज रहे, कभी धर्मशाला में, कभी किसी के दरवाजे पर,पढ़ाई हो रही
खबर यह है। कुशेश्वरस्थान पूर्वी में भवन निर्माण विभाग से बनने वाले प्राथमिक विद्यालय भरडीहा विभाग के लेटलतीफी के कारण लटका अर्धनिर्मित भवन जिस के वजह विद्यालय के बच्चों को किसी के निजी दरवाजे से दरकाजे भटकना पड़ता है। हालात यह है, पढ़ाने के लिए शिक्षकों बच्चों के लिए दरवाजे खोजने पड़ रहे हैं। आज तक स्थायी नहीं है पढ़ाने का स्थान?
खबर यह है, आप वीडियो और देशज टाइम्स की तस्वीर में झांकिए, दिखेगा…नजारा, कुशेश्वरस्थान पूर्वी की शिक्षा का
जी हां, ऐसे ही नजारा देखने को मिलेगा प्राथमिक विद्यालय भरडीहा पर कभी किसी के दरवाजे पर तो कभी गांव में बने धर्मशाला में बच्चों को पढ़ते देखा जा रहा है। पढ़ते समय जो फोटो में दिख रहा है।
खबर यह है, विभाग को सिर्फ हाजिरी से मतलब
इससे ऐसा लगता है कि विभाग के लिए बच्चों को उपस्थिति दर्ज होना जरूरी है। फोटो में साफ दिखता है कि काफी नजदीक रक दूसरे से चिपके हुए बच्चे बैठे हैं ऐसे में बच्चे पढ़ाई कर या शिक्षक बच्चों को कयक पढ़ा सकेगा? शिक्षक को खुद बैठने का स्थान नही है तो बच्चे कहां बैठकर पढ़ाई करेंगे।
खबर यह है, छात्राएं शौच के लिए चलीं जाती हैं घर
विद्यालय की शिक्षिका बताती हैं कि यहां तो शौच जाने का भी कोई साधन नही है। छात्राएं अगर पांच मिनट के लिए जाती है तो उन्हें घर ही जाना पड़ता है। यहां, कोई साधन नहीं है। विद्यालय का भवन नही है तो कहां बच्चों को पढ़ाई जाए, बताइए।
खबर यह है,भरडीहा गांव का विद्यालय विभाग के लापरवाही का शिकार
जानकारी के अनुसार, प्रखंड के केवटगामा पंचायत अंतर्गत भरडीहा गांव का विद्यालय विभाग के लापरवाही का शिकार हो चुका है। यहां वर्षो से विद्यालय का भवन ही जर्जर स्थिति में था कभी भी हादसा हो सकता था और हफ़सा हुआ भी तक जिबछ पंडित के पुत्र विद्यालय में पढ़ाई के दौरान छत टूटने से जख्मी हो गया था।
स्थानीय ग्रामीणों की ओर से कई बार प्रखंड स्तर से लेकर जिला तक को लिखित देकर
इसको लेकर यहां के स्थानीय ग्रामीणों की ओर से कई बार प्रखंड स्तर से लेकर जिला तक को लिखित देकर भवन की मांग की पर ये बिहार है यहां के आला अधिकारियों का क्या मजाल जो किसी समस्या का समाधान कर सकें।
शर्त भी मानीं पर बेमतलब रह गया….सबकुछ
विभाग की ओर से अनसूना होने के कारण यहां के ग्रामीणों ने विद्यालय भवन निर्माण को लेकर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की ठान ली, तब जाकर प्रखंड से लेकर जिला तक के हकीमो का नींद खुली। पदाधिकारी भरडीहा गांव पहुंच कर ग्रामीणों को मनाने में लग गए। घंटों तक रूठने मनाने का सिलसिला चलता रहा। काफी मशक्कत के बाद ग्रामीण इस शर्त पर वोट देने के लिए राजी हुए की एक सप्ताह के भीतर विद्यालय निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जायेगा।
शर्त भी मानीं पर बेमतलब रह गया….सबकुछ
और ऐसा ही कुछ हुआ जिला से टेंडर की गई और एक सप्ताह नही बल्कि एक हप्ताह मे विद्यालय निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया। जिसके बाद लोगो को लगा कि अब विद्यालय जल्द ही बनकर तैयार हो जायेगा। पर विडंबना देखिए यहां भी लोगों को ठग लिया गया।
खबर यह है, अर्धनिर्मित, अर्धसत्य
जब विद्यालय भवन निर्माण हो रहा यह तो अनिमितता को लेकर शिकायत हुई जब इस।ए सुधार हुआ तो ठेकेदार अर्धनिर्मित कर फरार हो गया। उस दिन से आज कल करते रहे लेकिन ठेकेदार स्थल पर आना ही बंद कर दिया। इसके कारण बच्चों को पढ़ाई करने के लिए दरवाजे दरवाजे भटकना पड़ता है।
खबर यह है, यहां दरवाजे-दरवाजे भटक रही शिक्षा
इधर, लोकसभा चुनाव हुए लगभग सात माह बीत गए पर दो कमरे के भवन की ढ़लाई तक नही हो पाई है। दरवाजे-दरवाजे भटक कर यहां विद्यालय चलाया जा रहा है। लास्ट में ग्रामीणों ने एक बैठक कर गांव में ही बने पुराने जर्जर धर्मशाला में विद्यालय को शिफ्ट कर दिया, जहां अब लगातार पढ़ाई हो रही है। पर ये भवन काफी पुराना और जर्जर हालत में है अगर किसी प्रकार की अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
तंग आकर चरणबद्ध आंदोलन करने का बड़ा फैसला
अब ग्रामीणों ने विभाग एवं पदाधिकारी के रवैये से तंग आकर चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि अब बहुत ठगे जा चुके है हमलोग। एक सप्ताह के भीतर अगर विद्यालय का ढ़लाई नही हुआ तो हम ग्रामीण आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
जिलाधिकारी राजीव रौशन का आश्वासन मिला है…
जब इस बाबत जिलाधिकारी राजीव रौशन से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है वे इस समस्या के त्वरित निदान के लिए पहल करेंगे ठेकेदार से बात कर तुरंत अर्धनिर्मित भवन को पूर्ण कराने की बात कही।