मई,13,2024
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Darbhanga के Singhwara स्वास्थ्य केंद्र के Data Operator का फर्जीवाड़ा, अब फिर से होगी जांच, 4 बार का नतीजा रहा सिफर, अब पांचवीं बार फिर से होगी जांच

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सिंहवाड़ा, देशज टाइम्स। CHC के Data Operator पर फर्जी जन्म प्रमाण बनाने का आरोप का मामला काफी गरमा गया है। पांचवीं बार जांच के लिए पत्र  जारी  होने से कई सवाल उठ रहे हैं।

 

वहीं, इस मामले में जिला सांख्यिकी पदाधिकारी शंभु कुमार यादव ने कहा कि पूरे मामले पर नजर है। इस संबंध में एमओआइसी को दो दिनों के अंदर जवाब देने के लिए पत्र भेजा गया है। पूरे मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है।

 

पढ़िए पूरी खबर, क्या है मामला, (Darbhanga के Singhwara स्वास्थ्य केंद्र के Data Operator का फर्जीवाड़ा, अब फिर से होगी जांच, 4 बार का नतीजा रहा सिफर, अब पांचवीं बार फिर से होगी जांच) मामला यह है कि डेटा ऑपरेटर राजीव कुमार पर लगा है नगर निगम के नाम से फर्जी एवं जाली जन्म पत्र बनाने का आरोप, चार बार हो चुकी है जांच लेकिन रिपोर्ट पेंडिंग, अबतक नही हुई कार्रवाई पढ़िए पूरी खबर।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिंहवाड़ा के डेटा ऑपरेटर राजीव कुमार पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के आरोपों की जांच एवं कार्रवाई हास्यास्पद होती जा रही है। जांच के नाम पर अलग अलग विभाग से पत्र जारी कर मामले को लंबा खींचा जा रहा है।

जिसको लेकर इलाके में चर्चा तेज हो गई है। जांच के बाद अधिकारियों ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला सत्य प्रतीत हो रहा है तो किसी टीम ने कहा कि मामला उनके बस का नहीं है। साइबर एक्सपर्ट से मामले की जांच के लिए लिखेंगे।

 

लोगों का कहना है-

आरोपी ऑपरेटर पर लगे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के आरोपों की पुष्टि नही हो पा रही है तो उसे क्लीन चिट देकर फाइल बंद कर दी जाए। वहीं अगर आरोप सत्य पाए गए हैं तो विभागय एवं कानूनी कार्रवाई की जाए।

 

लेकिन लोगों की सोच से इतर अधिकारी इस मामले को अपने हिसाब से सलटाने में लगे हैं। जिला सांख्यकी अधिकारी के निर्देश पर उनके कार्यालय ज्ञापांक 1157  दिनांक छह अक्तूबर के आलोक में अवर सांख्यकी पदाधिकारी वीरेंद्र प्रसाद देव के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच टीम ने 13 अक्तूबर को सिंहवाड़ा पहुंचकर पूरे मामले की जांच की थी। टीम ने प्रथम दृष्टया आरोपों को सत्य पाया था।

परिवादी हयातपुर के अनवर आलम के बच्चों का नगर निगम दरभंगा के नाम का फर्जी जन्म पत्र बनाकर दिया गया था। जबकि उनके तीनो बच्चों का जन्म सिंहवाड़ा सीएचसी में हुआ था। जिसका सत्यापन अस्पताल के रिकॉर्ड से भी किया गया था।

इतना सब होने के बावजूद जिला सांख्यकी पदाधिकारी ने पुनः आठ नवंबर को आपने कार्यालय पत्रांक 1254 के आलोक में सीएचसी की एमओआईसी डा हिना खुर्शीद को उक्त मामले की जांच दो दिनों के अंदर कर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

साथ ही कहा गया है कि आरोपी ऑपरेटर को अविलंब जन्म मृत्यु रजिस्ट्रेशन कार्य से मुक्त कर दिया जाए तथा इस कार्य मे प्रतिनियुक्त दूसरे कर्मी या डेटा ऑपरेटर का नाम और मोबाइल नंबर सूचना पट्ट पर प्रकाशित किया जाए ताकि लोगों को कार्य मे सहूलियत हो तथा बिचौलियों से बचा जा सके।

चार बार हो चुकी है जांच, अधिकारियों पर मामले को लंबा खींचने का लग रहा आरोप

विदित हो कि हयातपुर के अनवर आलम एवं लालपुर केज विपुल मिश्र ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने की शिकायत डीएम सहित संबंधित अधिकारियों से की थी। आरोप है कि सीएचसी के डेटा ऑपरेटर राजीव कुमार अपने कार्यालय कक्ष में नगर निगम के नाम का फर्जी मुहर एवं हस्ताक्षर कर जन्म प्रमाण पत्र बनाते हैं।

इसके एवज में 500 से लेकर पांच हजार तक की वसूली की जाती है। आवेदन के साथ 39 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र की छायाप्रति भी लगाई गई थी। जिसमें मुजफ्फरपुर जिला के वर्तमान एवं स्थाई पता पर बनाए गए प्रमाण पत्र भी शामिल हैं।

उक्त मामले में जिला सांख्यकी पदाधिकारी के अलावा स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्रीय अपर निदेशक दरभंगा प्रमंडल के कार्यालय पत्रांक 388 दिनांक छह अक्तूबर के आलोक में एमओआईसी को जांच का निर्देश दिया गया था।

साथ ही नगर निगम के नगर आयुक्त ने कार्यालय पत्रांक 3159 दिनांक पांच अक्तूबर को मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की थी।

टीम ने 14 अक्तूबर को सिंहवाड़ा पहुंचकर मामले की जांच की थी। वहीं सिविल सर्जन के निर्देश पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा अमरेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने 31 अक्तूबर को सिंहवाड़ा पहुंचकर मामले की जांच की थी।

 

एमओआईसी ने आरोपी ऑपरेटर को दो बार हटाने के लिए लिखा पत्र फिर ऑनलाइन कार्य मे लगाने का दिया निर्देश

डेटा ऑपरेटर पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के आरोप के बीच अस्पताल की हो रही बदनामी को देखते हुए एमओआईसी डा हिना खुर्शीद ने ऑपरेटर को हटाने के लिए 14 अक्तूबर को पत्रांक 322/BPMU एवं 26 अक्तूबर को पत्रांक 339/BPMU के माध्यम से दो बार उर्मिला इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड पटना को पत्र भेजा था।

यह वही एजेंसी है जो स्वास्थ्य विभाग में डेटा ऑपरेटर को बहाल करती है। उसके बावजूद उसी आरोपी ऑपरेटर को एमओआईसी ने ऑनलाइन कार्यक्रम में सहयोग करने का आदेश दिया है। जिसको लेकर तरह तरह की चर्चा हो रही है।

दो नवंबर को जारी आदेश पत्रांक 349/BPMU में एमओआईसी ने सीएचसी के प्रखंड मूल्यांकन एवं अनुश्रवण सहायक विंदेश्वर पासवान को आदेशित किया है कि कार्य की अधिकता को देखते हुए डेटा ऑपरेटर राजीव कुमार का सहयोग लें।

सभी ऑनलाइन कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लक्ष्य के अनुरूप उपलब्धि का अनुश्रवण कर प्रतिदिन की प्रगति प्रतिवेदन विहित प्रपत्र में एमओआईसी के अवलोकन हेतु उपलब्ध कराएंगे। साथ ही डेटा ऑपरेटर के आवंटित कार्य का प्रतिदिन मूल्यांकन एवं अनुश्रवण कर एमओआईसी को अवगत कराने का निर्देश दिया गया है।

आदेश में कहा गया है कि विंदेश्वर पासवान अगर डेटा ऑपरेटर राजीव कुमार से अपेक्षित सहयोग प्राप्त कर कार्य नही लेते हैं तो ऐसा समझा जाएगा कि इसमें विंदेश्वर पासवान की मिलीभगत है।

आदेश का अनुपालन में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नही की जाएगी। एमओआईसी द्वारा दिए गए उक्त आदेश एवं उनके द्वारा डेटा ऑपरेटर को हटाने के लिए लिखे गए दो पत्र के अवलोकन से उनके ही पत्रों में विरोधाभास दिखाई पड़ रहा है। जिस ऑपरेटर को उन्होंने हटाने की मांग दो बार पत्र के माध्यम से की उसी आरोपी ऑपरेटर को नई जिम्मेदारी दी गई है।

विदित हो कि जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का कार्य भी ऑनलाइन निष्पादित होता है। ऑनलाइन कार्य के निष्पादन में आरोपी ऑपरेटर से सहायता लेने का आदेश जारी हुआ है। ऐसी परिस्थिति में आरोपी ऑपरेटर पुनः जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदनों का निष्पादन भी देखेंगे जिसको देखते हुए बिल्ली को दूध की रखवाली वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

वहीं चर्चा यह भी है कि एमओआईसी ने पहले अस्पताल की बदनामी को देखते हुए आरोपी ऑपरेटर को हटाने की मांग की और अब उसे बचाने का प्रयास करती नजर आ रही है।

जबकि आरोपी ऑपरेटर के खिलाफ एमओआईसी, नगर निगम के नगर आयुक्त व जिला सांख्यकी पदाधिकारी द्वारा गठित जांच टीम के अलावा सिविल सर्जन के निर्देश पर भी एक टीम ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले की जांच की थी। जांच रिपोर्ट अबतक सामने नही आई है।

जांच टीम के द्वारा कहा गया था कि प्रथम दृष्टया आरोप सही पाया गया है उसके बावजूद किसी तरह की कार्रवाई अबतक नही हुई है।

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