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1 नवम्बर, 2024
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दुर्गा सप्तशती में मिल रहे बाल,कुरान में खोज रहे उपाय…जरा सोचिए ये अंधविश्वास की खेती क्यों!

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दरभंगा/बेगूसराय देशज न्यूज। नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) वैश्विक महामारी का रूप लेकर मानवता को लीलने के लिए आतुर है। इस विषम परिस्थिति से निबटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग लागू करना एक जरुरी कदम समझते  इसे लागू किया है। देश इस अदृश्य दानवी ताकत के खिलाफ युद्धरत है। वहीं, धार्मिक अंधविश्वास की खेती करने वालों को यह विपरीत समय भी माकूल लग रहा है।

विभिन्न तरह के धार्मिक अफवाह फैलाकर लोगों को बरगलाया जा रहा है। कहीं, दुर्गा सप्तशती, हनुमान चालीसा व रामायण के अंदर दिव्य बाल मिलने व उस बाल से कोरोना की मुक्ति जैसा प्रोपेगैंडा फैलाने का कारोबार चल रहा है।
बेगूसराय में वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ अंधविश्वास से बचने के लिए प्रेरित कर रहे डॉ. अभिषेक कुमार व मुकेश विक्रम कहते हैं, ईश्वर या अल्लाह में आस्था रखना गलत नहीं है, गलत तो है आस्था के नाम पर अंधविश्वासी हो जाना। अगर पूजा करने से, नमाज पढ़ने से भारत कोरोना मुक्त हो जाता तो आज देश के तमाम मंदिरों व मस्जिदों में ताला लटका नहीं लगा होता।
मुसलमान भाई जो कुरान व नमाज में कोरोना का हल तलाश रहे हैं उन्हें सोचना चाहिए, अगर यह हल होता तो मुस्लिम देश बांग्लादेश, ईरान, सऊदी अरब आदि के साथ मक्का-मदीना मस्जिद में ताला बंद नहीं होता। दुर्गा सप्तशती, रामायण या हनुमान चालीसा हो अथवा कुरान, बाइबिल, गुरुग्रंथ, यह सब हमें कर्मनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ होने की प्रेरणा देता है, कर्मच्युत होकर अंधविश्वासी बनने की नहीं।
कोविड-19 के खिलाफ युद्ध में हमारा कर्म है कि स्वच्छ, संयमित और सतर्क रहना, खुद जागरूक होना तथा लोगों को जागरूक कर लॉकडाउन तथा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना। इस युद्ध में सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करने से ही मानवता की जीत होगी और कोरोना की हार।
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