संजय कुमार राय, दरभंगा, देशज टाइम्स। दरभंगा जिला बल के सिपाही सब पर भारी हैं। इनके सामने सभी पुलिस के वरीय अधिकारी बौना दिखाई दे रहें हैं।
अगर विभाग में ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पुलिस में अनुशासन नाम का चीज खत्म हो जाएगा। जी हां, हम बात कर रहें हैं पुलिस मेंस के कथित अध्यक्ष राजू यादव एवं उनके साथ कई अन्य विरमित सिपाहियों के बारे में, जो अपने वरीय पुलिस अधिकारियों के सभी आदेशों को धता बता दिया है। और, अपनी मन मौजी कर रहे हैं।
वरीय पुलिस अधिकारियों के आदेश पर ही इनकी खोज में एक सिपाही को कमान देकर डयूटी पर लगाया गया ताकि इन लोंगों को कमान देकर दूसरे जिला में भेज दिया जाए, लेकिन इनकी खोज में निकले सिपाही को छह दिन बीतने के बाद कोई भी विरमित सिपाही नहीं मिला हैं।
विरमित हुए सिपाही इतना होने के बाद भी पुलिस लाइन में भी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं की हैं। इन सभी को ना ही आईजी का डर हैं ना ही एसएसपी का ही।
पुलिस विभाग के सारे नियमों को ताख पर रखकर खुले आम वरीय पुलिस पदाधिकारियों का यह मजाक उड़ा रहे हैं। यह सिपाही कहीं और नहीं गये हैं सभी इसी शहर में हैं।
मजेदार बात यह है कि दिन में ही पुलिस क्लब, पुलिस लाइन, एसएसपी एवं आईजी कार्यालय में मजे से यह लोग घूमते दिखाई पर रहें हैं। बस अंतर इतना हैं कि जब पुलिस मेंस के कथित अध्यक्ष थे तो कभी चार चक्का वाहनों पर दिखाई देते थे या फिर मोटरसाइकिल पर लेकिन आजकल इनका तरीका बदल गया हैं। अब ये सिपाही गाड़ी के जगह पैदल चल रहें हैं। मुंह पर कभी लाल तो कभी उजला गमछा बांधे रहते हैं और बिना डर भय के सभी जगह घूम भी रहें हैं।
देशज टाइम्स बार-बार इस बात को लेकर खबरें प्रकाशित कर रहा है कि पुलिस विभाग एक अनुशासनिक विभाग हैं। यहां हर कुछ अनुशासन के दायरे में किया जाता हैं। और, सिपाही से लेकर वरीय पुलिस अधिकारियों को इसके दायरे में रहना हैं लेकिन मुट्ठी भर कुछ सिपाही विभाग के नियमों और वरीय अधिकारियों के निर्देश को ठेंगा बताकर अपनी मनमौजी करते रहते हैं।
ऐसे में सवाल उठना लाजमी हैं कि ऐसे सिपाहियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही हैं। विभाग के कई लोग कहते हैं कि इनकी गुंडागर्दी तब तक नहीं जाएगी जब तक इनपर ठोस कार्रवाई नहीं होगी। वरीय पुलिस अधिकारियों की ओर से इस जिले से विरमित किये गये कथित रूप से पुलिस संगठन के पुलिस कर्मियों की खबर सुनते ही पुलिस लाइन के एक एक कर्मी इतने खुश थे जैसे कोई त्योहार मनाया जा रहा हो।
इन सभी से इतने ही त्रस्त पुलिस लाइन के सिपाही और पदाधिकारी थे। कितने आईपीएस को इसी तरह बेवकूफ बनाते रहें हैं। देशज टाइम्स बार-बार यह भी आगाह किया है कि इनमें से कई ऐसे हैं जिनकी अवैध कमाई लाखों में हैं। इन्हें नौकरी के वेतन से फर्क नहीं पड़ता। देशज़ टाइम्स इनके कारनामों को कुछ ही दिन में एक-एक कर उजागर करेगा और इनकी सच्चाई सबों के सामने रखेगा।
समय रहते पुलिस के आलाधिकारी इनपर अगर कार्रवाई नहीं करते हैं तो अनुशासन ही इस विभाग से खत्म हो जाएगा और यही अनुशासन पुलिस विभाग को बेहतर बनाता हैं। विरमित हुए सिपाहियों का स्थानांतरित जिला में योगदान कराना पुलिस विभाग के वरीय अधिकारियों का फर्ज नहीं कर्तव्य भी हैं।
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