सिंहवाड़ा, देशज टाइम्स। आखिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिंहवाड़ा के डेटा आपरेटर राजीव कुमार पर कार्रवाई कब होगी? यह सवाल अब गंभीर हो गए हैं। कारण,फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के आरोपों की जांच और उसमें सत्यता पाए जाने के इतने दिनों बाद भी कार्रवाई नहीं होना, सवालों के घेरे में हैं।
सवाल तो पूछे ही जाएंगें और जवाब देना ही होगा कि आखिर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। क्या पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया या फिर इसकी लीपापोती हो गई। यह सवाल हम नहीं, अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से यह सवाल स्थानीय लोग पूछ रहे हैं क्योंकि पूरे क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चा गरम हो रही है। पढ़िए पूरी खबर
अस्पताल की हो रही बदनामी को देखते हुए एमओआईसी डॉ. हिना खुर्शीद ने दूसरी बार डेटा ऑपरेटर को बहाल करने वाली एजेंसी उर्मिला इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड पटना को पत्र भेजा है।
आरोपी डेटा ऑपरेटर को हटाने के लिए एमओआईसी ने 14 अक्तूबर को भी पत्र भेजा था। इसपर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होता देख एमओआईसी ने दूसरी बार 26 अक्तूबर को उर्मिला इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को पत्र प्रेषित किया है।
इसमें एमओआईसी ने कहा है कि उनके कार्यालय में प्रतिनियुक्त डेटा ऑपरेटर राजीव कुमार पर अवैध एवं फर्जी तरीके से जाली प्रमाण पत्र निर्गत करने का आरोप एवं इसकी जांच नगर आयुक्त एवं जिला सांख्यिकी पदाधिकारी की ओर से गठित दल ने की थी।
इस कारण डेटा ऑपरेटर को हटाने के लिए 14 अक्तूबर को पत्र के माध्यम से अनुरोध किया था। परंतु आज तक उक्त पत्र के आलोक में किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके कारण उनके कार्यालय की छवि धुमिल हो रही है।
एमओआईसी ने पत्र में कहा है कि डेटा ऑपरेटर को यथाशीघ्र यहां से हटाते हुए दूसरे दक्ष डाटा ऑपरेटर को भेजें। ताकि कार्यालय की बदनामी न हो एवं कार्यों का निष्पादन सुगमतापूर्वक किया जा सके।
विदित हो कि डेटा ऑपरेटर पर फर्जी एवं जाली जन्म प्रमाण पत्र बनाने के आरोपों की जांच के लिए जिला सांख्यकी पदाधिकारी द्वारा गठित टीम ने 13 अक्तूबर एवं नगर निगम के नगर आयुक्त द्वारा गठित टीम ने 14 अक्तूबर को सिंहवाड़ा सीएचसी पहुंचकर जांच की थी।
जांच टीम ने प्रथम दृष्टया डेटा ऑपरेटर पर लगे आरोपों को सत्य बताया था। वहीं सीएसची के प्रधान लिपिक रामप्रसाद ने कहा था जांच में डेटा ऑपरेटर दोषी पाए गए हैं। इधर, जांच के बाद मामला ठंडे बस्ते में जाता दिखाई पड़ रहा है। जांच में जो जन्म प्रमाण पत्र फर्जी एवं जाली पाए गए उनपर नगर निगम का जाली मुहर एवं हस्ताक्षर किया हुआ था।
सैकड़ों की संख्या में फर्जी प्रमाण पत्र मिलने के बावजूद दोषी पर कार्रवाई नही होने से लोगों में आक्रोश भी बढ़ रहा है। आखिल भारतीय किसान काउंसिल के जिलाध्यक्ष सीपीएम नेता महेश दुबे व सीपीएम के जिला सचिव मंडल सदस्य दिलीप भगत ने कहा है कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सिविल सर्जन की ओर से अबतक जांच नही की गई है। जबकि आरोपी ऑपरेटर उनके विभाग का कर्मी है।
एजेंसी से सांठगांठ कर सिविल सर्जन आरोपी ऑपरेटर को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। आरोपी के खिलाफ फर्जीवाड़े की प्राथमिकी दर्ज कर उसे पदमुक्त करने की कार्रवाई के बदले सिविल सर्जन मामले की लीपापोती करते नजर आ रहे हैं।
कहा कि डेटा ऑपरेटर पर लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए जिला सांख्यकी पदाधिकारी एवं नगर आयुक्त के अलावा स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय अपर निदेशक ने भी एमओआईसी को जांच के लिए पत्र लिखा लेकिन सिविल सर्जन पूरे मामले में मौन धारण किए हैं। जिसको देखते हुए कई सवाल खड़े हो रहे हैं।