
संजय कुमार राय, अपराध ब्यूरो प्रमुख देशज टाइम्स दरभंगा। मखाने में हम सिरमौर बनने जा रहे हैं। दरभंगा मिथिलांचल का समृद्ध इलाका मखाना की पैदावार, उसके उत्पादक क्षमता, बाजारीकरण, व्यापारियों की सहूलियत, उसकी जरूरत, ताकत और मिठास को विस्तार देते आज विश्व स्तर पर मखाना को लेकर एक नया मंच तैयार कर चुका है। तभी तो स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय पुस्कार से दरभंगा को नवाजने जा रहे। इस पुरस्कार को ग्रहण करने दरभंगा के डीएम राजीव रौशन दिल्ली भी रवाना हो चुके हैं। पढ़िए पूरी खबर
यह सब संभव हो पाया है। जिलाधिकारी राजीव रौशन और उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया के कुशल नेतृत्व और बेहतर मार्गदर्शन के बूते। दोनों वरीय अधिकारियों की प्रेरणा से आत्मा ने मखाना के क्षेत्र में कार्य विस्तार की ऐसी रेखा खींची जिसकी लंबाई पूरा देश आज देख रहा है।
सभी विभागों और सभी योजनाओं को समन्वयकता के साथ सही और अहम भूमिका के बूते ही जब केंद्र सरकार के स्तर से गठित टीम 18 से 22 मार्च तक ओडीओपी में किए गए कार्यों की समीक्षा की तभी लगा मखाना में हम सबके गुरू बनने जा रहे।

इसी का नतीजा है, दरभंगा के मखाने को व्यवसाय के आवरण में लपेटकर उसे एक नई क्षितिज में ढ़ालने के लिए स्थानीय प्रशासन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुरस्कृत करेंगे। आगामी 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दरभंगा के डीएम राजीव रौशन को नेशनल पुरस्कार से पुस्कृत करेंगे। वहीं, जिला को ओडीओपी (वन डिस्टेंग वन प्रोडक्ट ) के आधार पर नेशनल पुरस्कार से नवाजा जाएगा।
पग-पग माछ मखाना वाली इस धरती की एक अलग ही पहचान रही है। यूं तो कई अन्य क्षेत्रों में मखाना का उत्पादन होता है, लेकिन दरभंगा के मखाना की मिठास किसी भी अन्य क्षेत्र में मखाना से अधिक है। यही वजह है, यहां के मखाना की मांग सर्वाधिक है।
साथ ही सरकार के सभी कार्यक्रम प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद प्रकरण योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, आत्मा की ओर से मखाना अनुसंधान केंद्र के माध्यम से सैकड़ों किसानों को प्रशिक्षण देकर मखाना के क्षेत्र में नवीन तकनीकी से परिचय कराते हुए आत्मा परियोजना के तहत विभिन्न प्रखंडों में किसान चौपाल से निकलकर आज मखाना दरभंगा का ब्रांड बन चुका है।
हालांकि, लगातार परंपरागत तरीके से जिले में हो रही मखाने का खेती पर बाढ़ और सुखाड़ की ऐसी मार पड़ती रही है कि यहां मखाना का खेती करना लोग बेहतर नहीं समझते। इससे मुकरते रहे हैं। मगर, समय की मध्यम रफ्तार में कब आवेग आ गया और जिला प्रशासन का प्रोत्साहन फिर आत्मा की ओर से किसानों को मखाना का प्रशिक्षण और मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की सलाह ने मखाना की नई तकनीक की ऐसी कड़ी से जुड़ी कि खेती करने के लिए जिले में व्यापक रूप से किसान आगे बढ़ने लगे।
केंद्र सरकार की ओर से जिला प्रशासन को मखाना के लिए विशिष्ट तौर पर पुरस्कार देने की घोषणा से आज जिला गौरवान्वित है। जिलाधिकारी राजीव रौशन और उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया की ओर से मखाना के वेल्यू एडिशन पर काम करने और कृषि विज्ञान केंद्र जाले से समय-समय पर किसानों के खेतों पर जाकर तकनीकी सलाह देने का ही यह परिणाम है कि आज हम मखाना के लिए देश स्तर पर पुरस्कृत हो रहे हैं।
दस वर्ष पहले तक जिस दरभंगा में करीब दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती होती थी आज वह बढ़कर चार हजार से 45 सौ हेक्टेयर हो गई है। इस दौरान मखाने की औसत उत्पादकता 1.5 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2.5 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है। मखाने की खेती एवं प्रसंस्करण से लगभग 25 हजार परिवार जुड़े थे। इनकी संख्या बढ़कर दुगुनी हो जाने का अनुमान है।
दस साल पहले मखाने की खेती से जहां 40 से 50 हजार प्रति हेक्टेयर की आमदनी होती थी, वो अब लगभग 1.5 लाख प्रति हेक्टेयर अनुमानित है. वैश्विक स्तर पर इसकी बढ़ती मांग एवं इसकी व्यावसायिक संभावनाओं को देखते हुए जिला में तेजी से मखाना का क्षेत्र इसकी उत्पादकता एवं इसके प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन से जुड़े लोगों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
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