

जाले | प्रखंड क्षेत्र में खरीफ की धान की फसल का 6,507 हेक्टेयर भूमि पर आक्षादन (damage) हुआ है। कृषि कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार यह क्षेत्र शत-प्रतिशत प्रभावित है।
किसान सलाहकार खेतों में फसल का फोटो ऑनलाइन कर रहे हैं
कृषि विभाग ने सभी किसान सलाहकारों को अपने-अपने पंचायतों में जाकर खेतों की फसल की स्थिति का फोटो ऑनलाइन रिपोर्टिंग करने का निर्देश दिया है। रिपोर्टिंग के दौरान सभी सलाहकार खेतों में जाकर लगे धान के फसल का निरीक्षण कर रहे हैं।
हथिया नक्षत्र में हुई बारिश से फसल को मिला-खट्टा असर
दीर्घकालिक धान के प्रभेदों को बारिश से लाभ मिला।
अल्पकालिक हाईब्रिड धान के कुछ प्रभेदों को भारी नुकसान हुआ।
रतनपुर के किसान धर्मेन्द्र प्रताप ठाकुर ने अपने खेत में इफको RH सुपर 444 गोल्ड (135 दिन) का प्रभेद लगाया था। भारी बारिश से उनका पक्का धान गिर गया, जिससे धान अंकुरित होने लगा। किसान ने कहा कि उन्हें कटाई के लिए खेत में खटिया बिछाकर ट्रैक्टर-ट्रॉली से खलिहान तक धान ले जाना पड़ रहा है।
किसानों की चिंता: वजन और बाजार भाव में कमी
धान के गिरने से उनका फसल का वजन कम होगा और बाजार मूल्य पर भी असर पड़ने की चिंता है। अधिकतर प्रगतिशील किसान तीन फसल प्रणाली अपनाने के लिए अल्पकालिक प्रभेद लगाते हैं, लेकिन इस बार उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ा।
कृषि वैज्ञानिक सलाह और प्रभेद चयन
प्रगतिशील किसान वैज्ञानिकों, बीज कंपनियों और परिचित दुकानदारों से राय लेकर बेहतर प्रभेद लगाते हैं।
अधिक जलजमाव वाले खेतों में आमतौर पर राजेन्द्र मंसूरी, राजेन्द्र स्वेता, पंतनगर सोनम जैसे प्रभेद लगाए जाते हैं।
कम जलजमाव वाले खेतों में कतरनी प्रभेद अधिक लोकप्रिय हैं।
ऊपरी जमीन वाले खेतों में राजेन्द्र नीलम और सरयुग 52 प्रभेद लगाए जाते हैं।
किसानों का कहना है कि कतरनी, सोनम, राजेन्द्र स्वेता जल्दी पकते हैं और बाजार में अच्छा भाव पाते हैं, जबकि राजेन्द्र मंसूरी विषम परिस्थितियों में भी गिरता नहीं है।
रबी फसल पर भी संकट के बादल
हथिया में हुई बारिश और जलजमाव के कारण रबी की तेलहन, दलहन और गेहूं की बुआई पर भी संकट के संकेत दिखाई दे रहे हैं।








