आंचल कुमारी, कमतौल, दरभंगा – लंबे समय से मानसूनी बारिश नहीं होने के कारण कमतौल समेत आसपास के क्षेत्रों में भीषण जलसंकट उत्पन्न हो गया है। भूगर्भीय जलस्तर नीचे जाने के चलते अनेक चापाकल जवाब दे चुके हैं, जिससे लोगों को पेयजल की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
गर्मी और उमस से लोग परेशान हैं, जबकि बारिश के लिए जगह-जगह पूजा-पाठ, हवन और कीर्तन किए जा रहे हैं ताकि इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करें।
टेकटार बाजार में विशेष हवन और भंडारा का आयोजन
रविवार को टेकटार बाजार में स्थानीय व्यापारियों ने सामूहिक रूप से विशेष पूजा-अर्चना, हवन और भंडारा का आयोजन किया। आचार्य शुशील झा के नेतृत्व में वैदिक विधि से हवन सम्पन्न कराया गया, जिसमें जल संकट से मुक्ति के लिए इंद्रदेव से प्रार्थना की गई।
पूजन के उपरांत सामूहिक भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने पूड़ी-सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया। आयोजन स्थल पर भक्ति और आस्था का माहौल देखा गया।
व्यापारियों ने जताई चिंता, ग्रामीणों की आंखें आसमान पर टिकीं
स्थानीय व्यवसायी अजय ठाकुर ने बताया –
“लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में भक्ति और श्रद्धा के सहारे इंद्रदेव को प्रसन्न करने का प्रयास किया गया है।“
उन्होंने कहा कि संपूर्ण क्षेत्र जलसंकट से ग्रसित है और लोग प्यास बुझाने के लिए भी परेशान हैं।
राहुल झा, साधु प्रसाद, राजेश पासवान समेत कई व्यापारियों और ग्रामीणों ने इस आयोजन में भाग लिया। सभी की यही कामना थी कि जल्द ही अच्छी बारिश हो और जल संकट से राहत मिले।
जलस्तर गिरने से चापाकल हो रहे हैं फेल
ग्रामीण इलाकों में भूगर्भीय जलस्तर इस कदर गिर गया है कि अधिकतर चापाकल पानी देना बंद कर चुके हैं। Central Ground Water Board (CGWB) की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के उत्तर-पूर्वी जिलों में लगातार गिरते जलस्तर से जल संकट की स्थिति भयावह होती जा रही है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून की प्रगति धीमी होने के कारण राज्य में अभी कुछ और दिनों तक बारिश की कोई बड़ी संभावना नहीं है।
जन-आस्था और पर्यावरणीय चेतावनी दोनों महत्वपूर्ण
इस आयोजन ने यह भी संकेत दिया कि आस्था के साथ-साथ पर्यावरणीय चेतना और जल संरक्षण पर ध्यान देना जरूरी है। भविष्य में जल संकट से बचने के लिए वर्षा जल संचयन, वृक्षारोपण और भूजल पुनर्भरण जैसे उपाय अपनाना अनिवार्य है।