जाले में सूखे ने मचाई तबाही! धान की फसल बर्बाद, खेतों में पड़ी दरारें। न नलकूप, न बारिश! जाले के किसानों की मेहनत पर फिरा पानी। जाले के खेत प्यासे, किसान बेहाल – धान की रोपनी थमी, मजदूर बैठे खाली। अषाढ़ बीत गया, बारिश नहीं आई! जाले में जल संकट से टूटी किसान की कमर। धान सूखा, काम ठप! जाले के खेतों से निकला धुआं, किसान बोले – इस बार बर्बादी तय@जाले-दरभंगा,देशज टाइम्स।
Bullet Points: किसान और मजदूर दोनों बेरोजगार। पानी के लिए हाहाकार
जाले प्रखंड में अषाढ़ मास समाप्ति तक भी बारिश नहीं। नलकूप और चापाकल सूख गए, धान की रोपनी ठप। धान की नर्सरी जल रही, खेतों में दरारें पड़ रही। किसान और मजदूर दोनों बेरोजगार। पीने के पानी के लिए हाहाकार। खरीफ फसल को भारी नुकसान की आशंका।@जाले-दरभंगा,देशज टाइम्स।
जाले में नहीं हो रही बारिश, नलकूप सूखे – धान की रोपनी ठप, किसान बेहाल |
जाले (दरभंगा), देशज टाइम्स। अषाढ़ मास समाप्ति की ओर है, लेकिन अब तक बारिश नहीं होने से किसानों की उम्मीदें टूटती जा रही हैं। जाले प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश नलकूप या तो सूख गए हैं या पानी देना बंद कर दिया है, जिससे धान की रोपनी पूरी तरह ठप हो चुकी है। हालात ऐसे हैं कि खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं और किसान व मजदूर दोनों बेरोजगार हो गए हैं।
धान की नर्सरी सूख रही, खेतों में पड़ी दरारें
मई के अंतिम सप्ताह में किसानों ने धान की नर्सरी तैयार की थी, लेकिन बारिश नहीं होने से वह सूखने लगी है। खेतों में नमी पूरी तरह खत्म हो गई है और दरारें दिखाई दे रही हैं, जिससे रोपनी असंभव हो चुकी है। जिन नलकूपों से पानी मिल भी रहा है, उनका प्रवाह बहुत कम हो गया है।
नलकूपों और चापाकलों ने भी छोड़ा साथ
अधिकांश किसानों ने नलकूप बंद कर दिए हैं, क्योंकि पानी आना बंद हो गया है। कई क्षेत्रों में चापाकल भी सूखने लगे हैं, जिससे पेयजल संकट गहराता जा रहा है।
बेरोजगारी का संकट, मजदूर भी परेशान
रोपनी कार्य ठप होने से कृषि मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा, जिससे बेरोजगारी बढ़ गई है। किसान भी कर्ज लेकर बीज बो चुके हैं, लेकिन अब नुकसान की आशंका से चिंतित हैं।
पेयजल के लिए हाहाकार, पानी की व्यवस्था चरमराई
जाले प्रखंड की कई पंचायतों में पीने के पानी को लेकर हाहाकार मचा है। ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। सरकारी योजनाओं के नलजल प्रोजेक्ट भी अधिकांश जगह बंद पड़े हैं।
किसानों की अपील – जल्द बारिश हो या वैकल्पिक व्यवस्था
किसानों का कहना है कि अगर आने वाले दिनों में भी बारिश नहीं हुई, तो खरीफ सीजन पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। धान की फसल का उत्पादन 50-60% तक गिर सकता है, जिससे आर्थिक तंगी और खाद्यान्न संकट दोनों बढ़ेगा।