दरभंगा | जिला के जाले प्रखंड अंतर्गत एक सराहनीय पहल के तहत ग्रामीण युवक-युवतियों के लिए पांच दिवसीय मिथिला पेंटिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का समापन शनिवार को प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया गया।
संस्कृति की विरासत – मिथिला पेंटिंग क्या है?
मधुबनी पेंटिंग, जिसे आमतौर पर मिथिला पेंटिंग कहा जाता है, बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की एक प्राचीन लोककला है। यह चित्रकला मुख्यतः महिलाओं द्वारा घर की दीवारों और फर्श पर धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विषयों पर आधारित होती है। इसकी पहचान है – ज्यामितीय डिज़ाइन, प्राकृतिक रंगों का उपयोग, और मिथकीय कथाओं का चित्रण।
कला से रोजगार की ओर बढ़ते कदम
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. दिव्यांशु शेखर, जो कि प्रशिक्षण केंद्र के अध्यक्ष हैं, ने कहा:
“मिथिला पेंटिंग हमारी सांस्कृतिक पहचान है। इसका संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। हमारा उद्देश्य है कि ग्रामीण युवाओं को इस कला में दक्ष बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया जाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को न केवल तकनीकी ज्ञान देते हैं, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं।
किन क्षेत्रों से आए प्रतिभागी?
कार्यक्रम की प्रशिक्षिका गृह वैज्ञानिक पूजा कुमारी ने जानकारी दी कि इस प्रशिक्षण में जाले, जोगियारा, पकटोला, रतनपुर, और कमतौल गांवों से कुल 19 युवक-युवतियों ने भाग लिया। सभी ने पूरे उत्साह के साथ प्रशिक्षण पूर्ण किया और अंत में प्रशंसा-पत्र (सर्टिफिकेट) प्राप्त किया।
प्रशिक्षण के प्रमुख पहलू
चित्रकला के पारंपरिक स्वरूप से परिचय
प्राकृतिक रंगों और ब्रश तकनीक की जानकारी
पौराणिक, धार्मिक और ग्रामीण जीवन विषयों पर चित्र बनाना
कला को व्यवसाय में बदलने के तरीके
सांस्कृतिक संरक्षण के साथ आर्थिक सशक्तिकरण
पूजा कुमारी ने बताया कि मधुबनी पेंटिंग अब केवल पारंपरिक दीवारों तक सीमित नहीं है, बल्कि साड़ी, दुपट्टा, बैग, टी-शर्ट, कॉस्ट्यूम डिजाइन, जैसे उत्पादों पर भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ग्रामीण महिलाएं और युवतियां घरेलू स्तर पर कमाई कर रही हैं।
कला को वैश्विक मंच देने की जरूरत
डॉ. प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, जो केंद्र में वैज्ञानिक हैं, ने कहा कि यदि युवाओं को डिजिटल माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Etsy, Amazon Handmade, या GeM पोर्टल से जोड़ा जाए, तो वे ग्लोबल ग्राहक तक अपनी कला पहुँचा सकते हैं।
प्रशिक्षण का सकारात्मक प्रभाव
युवाओं में आत्मविश्वास में वृद्धि
गांव स्तर पर संस्कृति को पहचान
स्वरोजगार के प्रति रुझान में वृद्धि
कम लागत में आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा
प्रशिक्षण से जुड़े अधिकारी और कर्मी
इस प्रशिक्षण में ई. निधि कुमारी, डॉ. प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, और अन्य प्रशिक्षण कर्मियों की उपस्थिति रही। सभी ने प्रशिक्षण को सफल बनाने में योगदान दिया।