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1 अक्टूबर, 2024
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बिहार पुलिस में एक नहीं कई जिलों के SP-SSP हैं दयाशंकर जैसे भ्रष्ट…जिनके पास हैं सुपर एसपी (Dalaal)

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दरभंगा, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। स्पेशल निगरानी की टीम ने पूर्णियां एसपी दयाशंकर के ठिकानों पर छापेमारी कर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। तय है, बिहार पुलिस में भी भ्रष्टाचार तह तक है। बिहार पुलिस में एक नहीं कई जिलों के SP-SSP हैं दयाशंकर जैसे भ्रष्ट...जिनके पास हैं सुपर एसपी (Dalaal)इसके सबूत आज देखने को मिले हैं। यही वजह है यह खबर आज पूरे प्रदेश में ही नहीं देश में  आग की तरह फैल गई है। कारण, पूरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा है। ऐसे में, पुलिस महकमा जो लोकतंत्र की सबसे बड़ी नींव है। समाज की रक्षक है उसका भ्रष्ट हो जाना कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं। साथ ही, ऐसी कार्रवाई के साथ पूरा देश खड़ा है।

इस बड़ी कार्रवाई के बाद सिर्फ पूर्णिया ही नहीं कई जिलों के एसपी और एसएसपी सचेत हो गये हैं। कारण, यह घुन सिर्फ एक जगह नहीं है पूरे पुलिसिया सिस्टम में है जिसके खिलाफ सरकार को एक्शन लेने ही होगा भले देर सवेर ही क्यों नहीं। अगर, एक्शन नहीं लिया गया तो समाज के लोगों का धीरे धीरे पुलिसिया इस भ्रष्ट तंत्र से विश्वास उठ जाएगा। जो धीरे धीरे उठता ही जा रहा।

पूर्णियां ही एक मात्र जिला नहीं हैं जहां के एसपी की शिकायत निगरानी विभाग में की गई हैं। सूत्रों का कहना हैं कि और भी कई जिले ऐसे हैं जहां की शिकायत निगरानी विभाग को पहले मिली थी। लेकिन, ठोस वजह नहीं मिल पाने के कारण अब तक विभाग कार्रवाई नहीं कर पाई हैं।

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सूत्रों की माने तो कुछ जिला के एसपी और एसएसपी को छोड़कर ज्यादातर जिलों में अवैध उगाही बड़े पैमाने पर हो रही हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसे उगाही करने के लिए कई एसपी की ओर से सुपर एसपी (dalaal) रखा गया हैं जिसकी भनक तक किसी को नहीं हैं।

हां भनक भी हैं तो वहां के थानेदारों को है। कई जिले के एसपी तो किसी प्रिय पात्र थानेदारों के माध्यम से ही अवैध वसूली करते हैं। यहां तक कि आई जी के नाम पर वसूली करते हैं। हाल में ही दरभंगा के नगर थानाध्यक्ष सत्येन्द्र चौधरी का एक ऑडियो वाइरल हुआ था।

इसमें वह थानेदार आई जी के नाम पर बीस हजार रुपया मांग रहा था। मजेदार बात यह हैं कि डीएसपी और एसएसपी ने भी यह बात माना कि यह आवाज सत्येन्द्र चौधरी का हैं बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसएसपी अवकाश कुमार ने इसकी जांच मुख्यालय डीएसपी को दे दी लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक डीएसपी अमित कुमार ने एसएसपी को नहीं दी हैं।

एसएसपी श्री कुमार ने मामला उजागर होने पर नगर थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर कर दिया लेकिन ठोस कारवाई नहीं हुई। अब जाहिर हैं कि यह मामला आई जी के संज्ञान में आया होगा बावजूद उनके द्वारा कोई कारवाई नहीं करना सवाल तो पैदा करता ही हैं “क्या आईजी के नाम पर लिये गये पैसे को थानेदार उनतक पहुंचाता था या फिर खुद रखता था”। थानेदार पर कार्रवाई नहीं कर उसे संरक्षण देना कही पूर्णियां के थानेदार का अंश तो नहीं हैं।

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बरह्हाल लोगों का कहना कि ऐसे में ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि प्रदेश के कई एसपी थाना को बेच रहें हैं। सूत्रों पर भरोसा करें तो इनका कहना हैं कि अवेध उगाही में भी एसपी के अलग अलग तरीके हैं। कई एसपी पोस्टिंग के नाम पर एक मुश्त लेकर थाना बेच रहें हैं तो कई एसपी महीना फिक्स कर अवैध उगाही कर रहें हैं।

सूत्रों का यह भी कहना कि इन दोनों तरीकों में थानेदार फिक्स होते हैं और इनके विरुद्ध कोई भी मामला एसपी तक पहुंचता हैं तो जांचों उपरांत कारवाई के बदले नसीहत देकर छोड़ दिया जाता हैं। कई लोग तो कहते हैं कि यह सिस्टम हैं और इसे तोड़ पाना जोखिम भरा कार्य हैं।

सूत्रों का यह भी कहना हैं कि इसी वजह के कारण ज्यादातर जिलों के एसपी कार्यालय में नहीं बैठते हैं ताकि किसी थानेदार के विरुद्ध आम लोगो की शिकायत के बाबत कहा जा सके कि ऐसा पत्र उन्हें मिला ही नहीं।आप थाना जाईये आपका कोई काम बिना पैसों के लेन देंन से नहीं होगा।

कई पीड़ित लोंगों का प्राथमिकी तक दर्ज नहीं होता ,ज्यादातर आवेदन को जांच में रख लिया जाता हैं और मनमानी किया जाता हैं ताकि केस का बोझ ना बढ़े,दर्ज हुये कांडों के निष्पादन पर जोर दिया जाता हैं ताकि जल्द निष्पादन हो और कांड के निष्पादन का प्रतिवेदन सरकार को भेजा जा सके।

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अब जब कांड ही कम दर्ज होंगे और निष्पादन ज्यादा होगा तो सरकार के नजर में वाह वाही तो होगी ही। लोंगों का कहना हैं बिना पैसों के कोई काम नहीं होता। लोगों का यहां तक कहना हैं कि थानेदार की भी मजबूरी हैं उनकी अवैध उगाही नहीं होगी तो वरीय पदाधिकारी को वह पैसा कहां से देंगे। नाम नहीं बताने के शर्त पर कई थानेदार इस बात को सही ठहराते भी हैं।

अब सवाल उठता हैं कि जिला के वरीय पुलिस पदाधिकारीयों की करतूत ऐसी हो तो न्याय की कल्पना करना बेईमानी ही हैं। पूर्णिया एसपी पर निगरानी की ओर से की जा रही कार्रवाई के बाद पूरे प्रदेश में अब इस बात की चर्चा हो रही हैं कि आखिर इतने नीचे स्तर तक पुलिस कैसे गिर सकती हैं। एक दशक पहले की बात करें तो कई एसपी के आवाज से ही थानेदारो की बोलती बंद हो जाती थी और आम नागरिक को न्याय भी मिलता था। अभी भी कुछ एसपी जिला में तैनात हैं जिनकी ईमानदारी और उनकी कुशल कार्यशैली से लोग गदगद हैं।

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