
जाले, दरभंगा, देशज टाइम्स | कृषि विज्ञान केन्द्र, जाले में आयोजित पांच दिवसीय प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस प्रशिक्षण में दरभंगा जिले के 10 प्रखंडों से आईं 20 कृषि सखियों ने भाग लिया।
रसायन के दुष्प्रभाव और प्राकृतिक खेती का महत्व
प्रशिक्षण में बताया गया कि रासायनिक खाद और कीटनाशक मानव स्वास्थ्य और मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दिव्यांशु शेखर ने समझाया कि भविष्य में प्राकृतिक खेती अपनाना ही स्थायी समाधान है।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दिव्यांशु शेखर ने समझाया
केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दिव्यांशु शेखर की अध्यक्षता में चल रहे हैं प्रशिक्षण में रसायन के प्रयोग से भविष्य में आने वाली मनुष्य के स्वास्थ्य एवं मृदा के स्वास्थ्य पर प्रभाव से क्या-क्या नुकसान है और उनका निराकरण किस तरीके से किया जा सकता है इसपर उन्होंने प्रकाश डाला।
डॉ. मुकेश कुमार ने प्रशिक्षण के दौरान
इस प्रशिक्षण में प्राकृतिक खेती पर शोध कर रहे वैज्ञानिक लोगों ने भी योगदान दिया। इसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के सहायक शोध निदेशक, डॉ. मुकेश कुमार ने प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक खेती में उपयोग आने वाले मूलभूत्व पदार्थ जैसे ब्रह्मास्त्र, नीमास्त्र, जीवामृत, बीजामृत फफूंद नाशक दवा इत्यादि बनाने की विधि का प्रयोगात्मक तरीके से बताया। प्रयोग करना भी सिखाया।
डॉ. मनोज कुमार ने नीमस्त्र, ब्रह्मास्त्र, दसपर्णी अर्क
कीट विज्ञान के सहायक प्राध्यापक डॉ. मनोज कुमार ने नीमस्त्र, ब्रह्मास्त्र एवं दसपर्णी अर्क एवं अन्य प्राकृतिक रसायनों को बनाने की विधि बताई और प्राकृतिक खेती में उसका प्रयोग बताया। इसके पश्चात मृदा विज्ञान के विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. आशीष राय ने कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों का अध्ययन कराते हुए इसके फायदों को विस्तार से समझाया।
वैज्ञानिकों ने दी प्रयोगात्मक जानकारी
डॉ. मुकेश कुमार (राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा) ने ब्रह्मास्त्र, नीमास्त्र, जीवामृत, बीजामृत जैसे जैविक घोल बनाने की विधि सिखाई। कीट विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार ने दसपर्णी अर्क और अन्य प्राकृतिक कीटनाशक बनाने व उपयोग करने के तरीके बताए। मृदा विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. आशीष राय ने मृदा स्वास्थ्य और प्राकृतिक खेती सिद्धांतों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कृषि विज्ञान केंद्र, सीतामढ़ी के विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. सच्चिदानंद एवं डॉ. मनोहर पंजीकर ने अनाज वाली एवं उद्यानिकी फसलों जैसे टमाटर, भिंडी, आलू इत्यादि की फसलों को प्राकृतिक तरीके से करना समझाया. डॉ. चंदन कुमार ने कृषि विज्ञान केन्द्र में लगे हुए पहले से प्राकृतिक खेती के अंतर्गत धान, हल्दी एवं भिंडी की फसल एवं अन्य प्रत्यक्षण का कृषि सखियों को भ्रमण भी कराया करें, ताकि उनको देखकर विश्वास हो सके।
फसलों पर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण
सीतामढ़ी कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ. सच्चिदानंद और डॉ. मनोहर पंजीकर ने धान, हल्दी, भिंडी, आलू और टमाटर जैसी फसलों पर प्राकृतिक खेती के व्यावहारिक तरीके समझाए। डॉ. चंदन कुमार ने कृषि सखियों को केन्द्र में लगी प्राकृतिक खेती की प्रयोगात्मक फसलों का भ्रमण कराया।
प्रमाण पत्र और भविष्य की तैयारी
प्रशिक्षण पूरा करने वाली सभी कृषि सखियों को प्रमाण पत्र (Certificates) दिए गए। उन्हें आश्वासन दिया गया कि भविष्य में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के विस्तार के लिए लगातार सहयोग दिया जाएगा।
विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यक्रम में उद्यान विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, गृह विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. पूजा कुमारी, इंजीनियर निधि कुमारी ने भी योगदान दिया। प्रशिक्षण के पूरा करने वाले सभी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र वितरण कर आश्वासन दिया गया कि भविष्य में प्राकृतिक खेती करने के लिए वे अग्रसर रहेंगे। इस कार्यक्रम में केंद्र के उद्यान विशेषज्ञ डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, गृह विज्ञान के विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ पूजा कुमारी और इंजी. निधि कुमारी ने अपना योगदान दिया।