दरभंगा, देशज टाइम्स। भारत की संसद के बड़े फैसले दरभंगा व्यवहार के अधिवक्ताओं में काफी खुशी का आलम है। संसद ने लीगल प्रैक्टिशनर एक्ट 1879 को निरस्त करते हुए अधिवक्ता अधिनियम 1961 में संशोधन करने का फैसला किया है। इस फैसले को साकारात्मक मानते हुए दरभंगा के अधिवक्ताओं ने अपनी राय देते हुए इस निर्णय को मुकदमे के पक्षकारों को लाभ और (Two big decisions of Parliament will give big benefits to the parties of the case) हित में देख रहे हैं।
देशज टाइम्स से बातचीत में दो अधिवक्ताओं वरीय अधिवक्ता अरुण कुमार सिन्हा “अमर” और अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने इस फैसले को मुकदमों के पक्षकारों के वित्तीय शोषण पर रोक लगने की दिशा में कारगर कदम बता रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर
न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की दिशा में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 को संसद में पारित कर दिया गया है। यह विधेयक अदालत के चाहरदिवारी को दलाल मुक्त करने के उद्देश्य पारित की गई है।
राष्ट्रपति का हस्ताक्षर हो जाने पर यह विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा। लीगल प्रैक्टिशनर एक्ट 1879 की धारा 36 के प्रावधानों को अधिवक्ता अधिनियम 1961 में शामिल किया गया जाएगा। यह धारा अदालतों में दलालों की सूची तैयार करने और प्रकाशित करने की शक्ति प्रदान करती है।
दरभंगा के वरीय अधिवक्ता अरुण कुमार सिन्हा “अमर” ने अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023 पारित होने पर खुशी व्यक्त की है। खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें मुकदमे के पक्षकारों को लाभ होगा। अधिवक्तागण किसी भी मुकदमे में कार्यवाही को सम्पादन करने में स्वतंत्र अनुभव करेंगे।
अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने विधेयक पारित होने पर प्रसन्नता व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इससे मुकदमों के पक्षकारों के वित्तीय शोषण पर रोक लगेगी। यह मुकदमे के पक्षकारों और अधिवक्ता के हित में है। आवश्यकता है कि विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से शहरी और ग्रामीण स्तर पर जागरूक किया जाए।