2006 से एक ही मुखिया, लेकिन आज भी जलमग्न हैं गांव की सड़कें – जनता बेहाल। कौन है जवाबदेह? बाइक आधी डूबी, स्कूल बंद – जलजमाव ने नगरडीह को बनाया तालाब! जिम्मेदार कौन? पिछले मुखिया खुद कुदाल लेकर उतरते थे, अब सिर्फ विधायक से गुहार – हाल बेहाल!@जाले-दरभंगा, देशज टाइम्स।
जाले के नगरडीह में 17 सालों से सड़कें बनी हैं दलदल
नगरडीह बना जल-जंगल! हल्की बारिश में भी डूब जाते हैं रास्ते, दुकानदार परेशान। मुखिया बदलते रहे, समस्या जस की तस! 17 सालों से सड़कें बनी हैं दलदल। बच्चों को स्कूल जाने के लिए चलना पड़ता है पानी में – सिस्टम पर उठे सवाल@जाले-दरभंगा, देशज टाइम्स।
जाले के नगरडीह में जनजीवन अस्त-व्यस्त, कोई ना देखन हारा
जाले (दरभंगा), देशज टाइम्स। जाले प्रखंड के कई पंचायतों में लगातार बारिश से जहां लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली है, वहीं सड़कों पर जलजमाव ने आमजनों की परेशानी बढ़ा दी है। विशेषकर काजी-बहेड़ा पंचायत के नगरडीह गांव में स्थिति अत्यंत चिंताजनक हो गई है।
नगरडीह की सड़कें बनी जल कुंड, विद्यालय चौक पर बाइक डूब रही आधी
नगरडीह गांव के मध्य विद्यालय चौक की हालत इतनी खराब है कि बाइक का आधा चक्का तक पानी में डूब जाता है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि—
“हल्की बारिश में भी यह चौक जलमग्न हो जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा बना रहता है।”
विद्यालय जाने वाले बच्चों को भी करनी पड़ती है परेशानी झेलनी
गर्मी की छुट्टी के कारण विद्यालय अभी बंद है, लेकिन यदि खुला होता तो बच्चों को घुटनों तक पानी पार करके आना-जाना पड़ता। ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग की स्थिति वर्ष 2006 से अब तक नहीं सुधरी, जबकि लगातार एक ही परिवार से मुखिया का प्रतिनिधित्व रहा है।
पूर्व मुखिया ने उठाया सवाल, बोले— मेहनत नहीं करना चाहते वर्तमान मुखिया
पूर्व मुखिया महेश प्रसाद ने कहा—
“मेरे कार्यकाल में मैं स्वयं कुदाल लेकर पानी खेतों की ओर बहाता था। लेकिन वर्तमान मुखिया केवल सरकारी आवंटन के भरोसे हैं और स्थानीय मेहनत से कतराते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह सड़क दोघरा से शर्मा चौक होते हुए मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आती है, लेकिन देखभाल के अभाव में बेहाल है।
वर्तमान मुखिया का जवाब— ऊंची निजी जमीन के कारण बहाव संभव नहीं
वर्तमान मुखिया शशिभूषण कुमार ने कहा कि—
“गांव की अधिकतर सड़कें जलजमाव की शिकार हैं। सड़क के दोनों ओर की निजी जमीनें ऊंची हैं, जिससे पानी का बहाव रुक जाता है। जब पानी बहाने की कोशिश करते हैं तो जमीन मालिक विरोध करते हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने स्थानीय विधायक से पीसीसी ऊंची सड़क निर्माण की कई बार मांग की है, ताकि समस्या का स्थायी समाधान हो।
जनता का सवाल – कब तक झेलनी पड़ेगी यह परेशानी?
क्या इस बार जलजमाव का स्थायी समाधान होगा? क्या मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में यह गांव अब भी उपेक्षित रहेगा? क्या निजी जमीन मालिकों से बातचीत कर समाधान संभव नहीं?