पुलिस की कार्यशैली पर अक्सर चर्चाएं होती रहती हैं। बावजूद, युवक फौज और पुलिस में जाने को उत्साहित रहते हैं। ऐसे में प्रशिक्षु होने के बाद उनके अंतिम दिन परेड सह शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हो तो ऐसे प्रशिक्षुओं का हौसला चरम पर रहता है। उनका उत्साह और जोश देखते ही बनता है।
ऐसा ही कुछ दिखा आज दरभंगा में। आज के दिन इन युवा जोश से लबरेज प्रशिक्षुओं की समग्र एकाग्रता और कर्तव्यसर्मपण दिखाई पड़ा लहेरियासराय स्थित पोलो मैदान में। संजय कुमार राय, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो प्रमुख की यह रिपोर्ट।
लहेरियासराय का पोलो मैदान। इसका इतिहास खुद अपने आप में बहुत कुछ सीख देता है। जिंदगी जीने का तर्जुबा सीखाता है। इसी ऐतिहासिक मैदान में आज प्रशिक्षुओं के कदम ताल करते उनके पैरों ने एक नई उर्जा का संचार कर दिया। जब बैंड की धुन पर प्रशिक्षु सिपाही अपने कदमों को दूसरे साथियों के कदम ताल से मिलाते हुए आगे बढ़ रहे थे,
नजारा ही कुछ और था। देशभक्ति हिलौरे मार रही थीं। तो, देश, समाज, अपनो और अपने पुलिस विभाग के लिए बहुत कुछ कर गुजरने का सपना दिलों में संजोए पूरा प्रशिक्षु सिपाहियों का दल एकबारगी जीत की तमन्ना लिए आगे बढ़ रहे थे।
दरभंगा पोलो मैदान में दिखा राष्ट्रीयता, समर्पण और जिम्मेदारी से भरा एक-एक कदम…हां, मैं सिपाही हूं
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मधेपुरा, बगहा, जमुई, भागलपुर के नाथनगर से आए 198 सिपाहियों के प्रशिक्षण का कल 210 दिन हुआ। यहां उन्हें कुशल प्रशिक्षण दिया गया। सबसे ज्यादा प्रशिक्षु सिपाही बगहा (158) से थे। वहीं, जमुई से 26, मधेपुरा से 13 एवं नाथनगर से मात्र एक ने अपनी उपस्थिति से पोलो मैदान को अद्भभुत ऊर्जान्वित कर रखा था। यह सभी आज के बाद सिपाही बन चुके हैं। जिस जिला बल से आए थे, उसी जिले में इन्हें लौटना है। यह परेड पुलिस लाइन में होना था, लेकिन बारिश के कारण पोलो मैदान में संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि के तौर पर आए आईजी ललन मोहन प्रसाद ने कहा
कि आज से आपकी जवाबदेही समाज के प्रति बढ़ जाएगी। आपको सहनशीलता के साथ-साथ धैर्य पूर्वक काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नए-नए सिपाही के बारे में बहुत सी शिकायतें आती हैं। थाना में तैनात महिला सिपाही से प्रेम प्रसंग का मामला बहुत आता है। शादी ब्याह कर विवादित हो जाते हैं। ऐसे मामलों से बचने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि आय से ज्यादा खर्च नहीं करें, संयमित रहें।आईजी श्री प्रसाद ने कहा
कि अंग्रेजों के समय से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है। उसी तर्ज पर आज भी पुलिस के कार्य हैं, मगर हमें एक अच्छे इंसान बनकर पुलिस के कार्यों को ईमानदारी से अंजाम देंगे तो पुलिस के प्रति समाज का नजरिया बदलेगा।
दरभंगा पोलो मैदान में दिखा राष्ट्रीयता, समर्पण और जिम्मेदारी से भरा एक-एक कदम…हां, मैं सिपाही हूं
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इसके तुरंत बात नए प्रशिक्षु सिपाहियों की फोटोग्राफी के लिए कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान आईजी ललन मोहन प्रसाद, एसएसपी अवकाश कुमार, बीएमपी समादेष्टा शेशव यादव, डीएसपी यातायात बिरजू पासवान आदि मौजूद थे। परेड के आरंभ में आईजी एवं एसएसपी ने गाड़ी पर सवार होकर परेड का निरीक्षण भी किया।
हालांकि, इस परेड सह शपथ समारोह में कुछ कमियां महसूस हुई। किसी भी प्रशिक्षु सिपाही को इस परेड के बाद उन्हें प्रशस्ति पत्र नहीं दिया गया। इस प्रशिक्षण में बेहतर करने वाले प्रशिक्षु सिपाही का चयन नहीं किया गया, ताकि प्रथम द्वितीय या तृतीय पुरस्कार दिया जाए। इसकी कमी वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मियों को खली।
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एक दशक पहले और अभी के आईपीएस के काम-काज का तरीका बदल गया है। पहले के आईपीएस पुलिस का मनोबल बढ़ाने के लिए काफी प्रयास करते थे, और पुलिसिंग भी अच्छी होती थी। आईपीएस की वह धमक जहां अनुशासन की धमक होती थी, अब देखने को नहीं मिलती। इस दौरान आईजी ऑफिस के बड़ा बाबू नीरज कुमार के अलावे जिला स्तर के कई पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे।
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