कुशेश्वरस्थान में नवरात्रि की धूम, देवी कात्यायनी की भव्य पूजा। दुर्गा पूजा में उमड़ा जनसैलाब, भक्तों ने किए मां कात्यायनी के दर्शन। कुशेश्वरस्थान बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर में सन् 1775 ई. से ही यहां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा। पुरानी दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़। बेल न्योती अनुष्ठान के बीच गूंजा जय माता दी का जयघोष। कुशेश्वरस्थान के पंडालों में सजी सतरंगी रोशनी, भक्त मंत्रमुग्ध। नवरात्रि पर भक्तिमय माहौल, जगह-जगह गूंजे भजन-कीर्तन@कुशेश्वरस्थान पूर्वी, देशज टाइम्स |
कुशेश्वरस्थान पूर्वी: छठी तिथि पर कात्यायनी देवी की पूजा, बेल न्योती अनुष्ठान से गूंजा क्षेत्र
कुशेश्वरस्थान पूर्वी, देशज टाइम्स | शारदीय नवरात्रि के छठी तिथि पर प्रखंड क्षेत्र में हर्षोल्लास और भक्ति का माहौल रहा। जगह-जगह दुर्गा सप्तशती पाठ और भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय बना रहा। श्रद्धालुओं की भीड़ विभिन्न मंदिरों और दुर्गा पंडालों में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमाओं के दर्शन-पूजन के लिए उमड़ी रही।
कात्यायनी देवी की पूजा
रविवार को भक्तों ने मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की विधिवत पूजा-अर्चना की। दोपहर बाद बेल न्योती अनुष्ठान गाजे-बाजे और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस दौरान “जय माता दी” के जयघोष और घंटे-घड़ियाल की मधुर ध्वनि से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा।
धार्मिक महत्व
आचार्य विजय ठाकुर और पंडित आचार्य राज नारायण झा ने बताया कि दैत्यराज महिषासुर के अत्याचार से त्रस्त देवताओं के आग्रह पर, त्रिदेव के तेज से महर्षि कात्यायन के आश्रम में देवी का जन्म हुआ था, जिन्हें कात्यायनी नाम दिया गया।
देवी कात्यायनी रोग, शोक और संताप नाशिनी मानी जाती हैं। उनकी पूजा से संतान सुख और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
आगे का कार्यक्रम
29 सितंबर (सोमवार): पत्रिका प्रवेश, महारात्रि निशा पूजा, पट उद्घाटन, 30 सितंबर (मंगलवार): महाष्टमी व्रत, 1 अक्टूबर (बुधवार): नवमी व्रत, त्रिशूलिनी पूजा, कुंवारी भोजन और हवन, 2 अक्टूबर (गुरुवार): अपराजिता पूजा, नीलकंठ दर्शन और देवी विसर्जन।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक झलक
कुशेश्वरस्थान बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर में 1775 ई. से प्रतिमा स्थापित कर पूजा हो रही है। प्रखंड के वैष्णवी दुर्गा पूजा, सम्राट चौक, भिण्डुआ और छोटकी कोनिया में भी मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई है। शाम होते ही मंदिरों और पंडालों में संध्या दीप प्रज्ज्वलन के लिए महिलाओं और कन्याओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
सुरक्षा और सजावट
पूजा पंडालों और मूर्तियों की सजावट रंग-बिरंगी बिजली की झालरों, बल्ब और मर्करी लाइट से की गई है। रात होते ही पूरा क्षेत्र सतरंगी रोशनी से जगमगाने लगा।
श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ और चहल-पहल को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने गश्त तेज कर दिया है।