लगभग एक दशक पहले जब बिहार की एक संकोची किशोरी ने अपनी मधुर आवाज से संगीत जगत में पहचान बनानी शुरू की थी, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वही लड़की एक दिन सत्ता के सबसे कठिन मैदान—राजनीति—में उतरकर इतिहास रच देगी। आज 25 वर्षीय मैथिली ठाकुर न सिर्फ अलीनगर सीट से विजयी हुई हैं, बल्कि बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित होने वाली सबसे कम उम्र की नेता भी बन गई हैं।
अलीनगर में 25वें और अंतिम राउंड की गिनती में मैथिली ठाकुर को 84,915 वोट मिले, जबकि राजद उम्मीदवार बिनोद मिश्रा को 73,185 वोट प्राप्त हुए। उन्होंने 11,730 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
“मैं अलीनगर में अपना घर बनाना चाहती हूं”—मैथिली ठाकुर
— Maithili Thakur (@maithilithakur) November 14, 2025
चुनाव अभियान के दौरान मैथिली ठाकुर ने कहा था— “मैं अलीनगर में घर बनाना चाहती हूं और इसे ही अपना स्थायी ठिकाना बनाऊंगी। मेरे ननिहाल की जड़ें यहीं हैं। मैं कहीं और नहीं रहना चाहती।” उनकी यह बात स्थानीय मतदाताओं के बीच गहरी छाप छोड़ गई।
मैथिली ठाकुर कौन हैं?
मैथिली ठाकुर देश की प्रसिद्ध युवा लोकगायिकाओं में से एक हैं।
• शास्त्रीय संगीत, लोकगीत, भजन, मैथिली व भोजपुरी गीतों के लिए प्रसिद्ध
• जन्म: 25 जुलाई 2000, बेनीपट्टी (मधुबनी, बिहार)
• पिता रमेश ठाकुर—संगीत शिक्षक
• माता भारती ठाकुर—गृहिणी
• दो छोटे भाई—ऋषभ और अयाची, जो उनके साथ मंच पर परफॉर्म करते हैं
टीवी पर उन्होंने लिटिल चैंप्स, राइजिंग स्टार (2017) जैसे शो में हिस्सा लिया।
सोशल मीडिया पर उनकी सबसे बड़ी पहचान—सादगी, पारंपरिक गायन और विनम्र व्यक्तित्व।
सम्मान—
• संगीत नाटक अकादमी का उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार (2021)
• लोकमत सुर ज्योत्सना नेशनल अवॉर्ड
• नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड 2024 (प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सम्मानित)
14 अक्टूबर को थामी BJP की कमान
अलीनगर से भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से पहले मैथिली ठाकुर को “बाहरी” होने के आरोपों का सामना करना पड़ा। हालाँकि—
• वह मैथिली भाषा में निपुण हैं
• उनकी जड़ें उनके ननिहाल मधुबनी जिले में हैं
• परिवार लंबे समय से दिल्ली में रह रहा था
— Maithili Thakur (@maithilithakur) November 14, 2025
14 अक्टूबर को उन्होंने BJP की सदस्यता ली।
5 अक्टूबर को चुनाव घोषणा से ठीक पहले भाजपा नेताओं विनोद तावड़े और नित्यानंद राय के साथ उनकी तस्वीर वायरल हुई थी, जिसके बाद उनकी उम्मीदवारी लगभग तय मानी जा रही थी।
“लालू राज” के दौरान बिहार छोड़ना पड़ा था—BJP नेता तावड़े का दावा
भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने एक्स पर लिखा था— “मैथिली ठाकुर उन परिवारों में से हैं, जिन्हें 1995 में ‘लालू राज’ के दौरान बिहार छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। अब दशकों बाद वह वापस आना चाहती हैं।”
उनकी उम्मीदवारी से पहले BJP विधायक मिश्री लाल यादव ने पार्टी छोड़ दी थी, आरोप लगाते हुए कि “पार्टी दलितों-पिछड़ों की उपेक्षा कर रही है”।
चुनाव प्रचार में अमित शाह से लेकर धर्मेंद्र प्रधान तक मैदान में
अलीनगर के 12 उम्मीदवारों में सबसे अधिक सुर्खियों में मैथिली ठाकुर ही रहीं—
• उनकी उम्र
• संगीत की लोकप्रियता
• और नई राजनीतिक पारी
की वजह से जनता की उत्सुकता चरम पर थी।
अमित शाह, नित्यानंद राय, धर्मेंद्र प्रधान सहित केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी सीट पर जोरदार प्रचार किया।
नामांकन से लेकर रैलियों तक, लोग उनके भाषणों से ज्यादा उनकी गायकी पर तालियाँ बजाते दिखाई दिए।
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा— “मैथिली की छवि साफ-सुथरी है। हम उनकी जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”
RJD उम्मीदवार बिनोद मिश्रा ने क्या कहा था?
मैथिली और राजद प्रत्याशी बिनोद मिश्रा—दोनों ब्राह्मण समुदाय से आते हैं।
मिश्रा को मुस्लिम और यादव मतदाताओं का समर्थन मिलने की उम्मीद थी।
मिश्रा ने आरोप लगाया था— “पिछले 5 वर्षों में अलीनगर ने एक बाहरी को चुनने की गलती का खामियाज़ा भुगता है। जनता अब वह गलती नहीं दोहराएगी। मैथिली भले ही बेहतरीन गायिका हों, लेकिन राजनीति में नई हैं।”
यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। 2010 और 2015 में अब्दुल बारी सिद्दीकी विजयी रहे थे, जबकि 2020 में मिश्री लाल यादव ने बिनोद मिश्रा को हराया था।
गायकी से राजनीति तक—एक नई कहानी की शुरुआत
अलीनगर ने इस बार इतिहास रचते हुए एक युवा, सादगीपूर्ण और लोकप्रिय कलाकार को अपना प्रतिनिधि चुना है।
मैथिली ठाकुर की यह जीत न केवल उम्र का रिकॉर्ड तोड़ती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि
• नई पीढ़ी का प्रभाव
• सोशल मीडिया की शक्ति
• और एक साफ छवि
आज के चुनावों में कितना निर्णायक हो सकता है।
मैथिली ठाकुर का यह सफर अब बिहार की राजनीति में एक नई कहानी लिखने जा रहा है।






