मई,13,2024
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Madhubani News | मैं शौचालय विद्यालय का छात्र हूं…मधेपुर स्कूल का 10 सालों में विकास…पीपल के पेड़ से शौचालय की गेट पर शिफ्ट…

मैं शौचालय विद्यालय का छात्र हूं। शौचालय में बैठकर पढ़ता हूं....। मेरे शिक्षक भी मेरे साथ शौचालय में बैठते हैं। अब, सरकार से पूछता हूं... शौच कौन करेगा पढ़ेंगा कौन...? तय करे सरकार...

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Madhubani News | केके पाठक सर…आप जब से शिक्षा विभाग की कमान संभाली है, उम्मीद के पंख में सुर्ख लग गए। लेकिन यह हकीकत दस साल पुरानी है, जो यथावत है जहां मधेपुर स्कूल का 10 सालों में विकास देखिए।…पीपल के पेड़ से शौचालय की गेट पर शिफ्ट हो गया। अब,…शौच कौन करेगा पढ़ेंगा कौन…? तय करे सरकार…।

Madhubani News| शौचालय में बैठने को विवश होना पड़ रहा है बच्चों और शिक्षकों को

अक्सर लोगों को यह कहते हुए आपने सुना होगा कि आसमान से गिरे और खजूर पर अटके। कहने का मतलब यह है कि एक तकलीफ से बाहर आया दूसरे में फँस गया। एक ऐसा विद्यालय जो दस वर्ष पेड़ के नीचे चलाया गया और अब शौचालय में बैठने को विवश होना पड़ रहा है बच्चों और शिक्षकों को। यह कहावत इस विद्यालय पर एकदम सटीक बैठता है।

Madhubani News| मैं अपने गांव के विद्यालय के शौचालय में अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली है

अगर आपसे कोई पूछे या आप किसी से यह पूछते हैं कि आपने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कहां से और किस विद्यालय से की है, तो आप क्या जवाब देंगे। क्या आप यह कहेंगे कि मैं अपने गांव के विद्यालय के शौचालय में अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली है। जी हां सुनने में आपको भले ही अजीब सा लगा हो पर यह कहिकत है हमारे राज्य की शिक्षा विभाग के लचर व्यवस्था और उनके उदाशीनता की। राज्य सरकार शिक्षा को लेकर लंबे लंबे वायदे तो बहुत करते हैं और इस पर खर्च भी करते हैं पर यह सब धरातल पर काम और कागजों पर ज्यादा होता है।

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Madhubani News| एक लाख चालीस हजार की लागत से शौचालय बना वही आ रहा पढ़ाने में काम

आधुनिक युग में बच्चों को शिक्षा देने के लिए आनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है। मधेपुर प्रखंड के भखराइन पंचायत के वार्ड 7 स्थित नया प्राथमिक विद्यालय डरिया टोल में अवस्थित विद्यालय है जिसका स्थापना वर्ष 2006 से पीपल के पेड़ के नीचे इस आस में चलाया गया कि एक दिन भवन की राशि आवंटित होगी तो भवन निर्माण करवा उसमें शिफ्ट हो जाएंगे। दस वर्ष तक इसी इंतजार में विद्यालय पीपल के पेड़ के नीचे चलाया गया। 2010 में विद्यालय की अपनी भूमि पर एक लाख चालीस हजार की लागत से शौचालय बनवाया गया।

Madhubani News| हैरानी की बात तो यह है कि पांच वर्ष और इस इंतजार में गुजर गया

हैरानी की बात तो यह है कि पांच वर्ष और इस इंतजार में गुजर गया कि विद्यालय को भवन मिलेगा। लेकिन जब भवन के लिए सरकार से राशि नहीं मिली तो थक हार कर विद्यालय अपनी भूमि पर 2015 में एक झोपड़ी बनाकर चालू किया गया। देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चे को इसी शौचालय के बरामदे पर बैठकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पर रही है।

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Madhubani News| यह झोपड़ी भी तेज पछुआ हवा में तहस नहस हो चुका है।

जबतक धूप नहीं निकलती तब तक बच्चे बाहर फील्ड में बैठकर पढ़ाई करते हैं धूप निकलते ही शौचालय के बरामदे पर बैठकर पढ़ाई पूरी करते हैं। शौचालय के कमरे में विद्यालय का कार्यालय, मध्यान भोजन की सामग्री, विद्यालय से संबंधित सभी जरूरी कागजात रखे जाते हैं। विद्यालय में भवन की जगह 2015 में एक कर्कट की झोपड़ी बनायी गयी लेकिन यह झोपड़ी भी तेज पछुआ हवा में तहस नहस हो चुका है।

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Madhubani News| प्रभारी प्रधानाध्यापक जुबेर अंसारी ने बताया

विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक जुबेर अंसारी ने बताया कि हाल के दिनों में विद्यालय भवन निर्माण विभाग से कनीय अभियंता आए हुए थे जिनके द्वारा जानकारी दी गई की विद्यालय में भवन निर्माण होगा लेकिन कब होगा इसी इंतजार में में अब तक बैठे हुए हैं। विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक के अलावा प्रतिनियुक्त शिक्षक राजहंस साहू पदस्थापित हैं।विद्यालय में एक से पांच क्लास तक कुल 20 छात्र नामांकित हैं। दक्ष कक्षा में दस छात्र हैं। दो रसोईया अमीरती देवी एवं कौशल्या देवी कार्यरत हैं।

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