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21 जून, 2024
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गया में नक्सलियों की साजिश बेनकाब, 10 IED बम बरामद, चार सिलेंडर बम मिले, सुरक्षाबलों ने किया डिफ्यूज

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गया में सुरक्षाबलों को नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी की ओर से एक सिरीज में लगाए गए कई लैंडमाइंस को मंगलवार को बरामद करते हुए उसे मौके पर ही डिफ्यूज कर दिया गया है।

नक्सलियों ने इसे सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए प्लांट किया था। इस तरह एक बार फिर से नक्सलियों की नापाक मंशा को सुरक्षाबलों ने विफल कर दिया है।

रैपर वाली जगह आसपास की झाड़ियों, पत्ते और प्लास्टिक के रैपर को सावधानी से फोर्स ने हटाया तो देखा कि उसके नीचे से बिजली का वायर गुजर रहा हैं और उसके नीचे आईईडी बम है। यह देखते ही फोर्स सजग हो गई और वह पूरी बारीकी से छानबीन शुरू की। छानबीन में एक-एक कर दस आईईडी बम मिले।

जानकारी के मुताबिक 29वीं वाहिनी एसएसबी के कमांडेंट हरे कृष्णा गुप्ता और 159 बटालियन सीआरपीएफ के कमांडेंट कमलेश सिंह के निर्देश पर एसएसबी, बीबीपेसरा, सीआरपीएफ लुटुआ और लुटुआ थाने की पुलिस के एक संयुक्त दल ने पहाड़ी क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया था।

सुरक्षाबलों ने 15 अगस्त की दोपहर से ही कार्रवाई शुरू की थी। इसी दौरान जवानों एक साथ 10 IED बम बरामद किए. सभी बमों को एक ही वायर से कनेक्ट किया गया था। बिजली के कोडेक्स तार पर जगह-जगह नक्सलियों ने गांठ भी दे रखे थे। ताकि ब्लास्ट जबर्दस्त तरीके से हो। बम को सुरक्षाबलों ने जंगल में ही डिफ्यूज कर दिया है. डिफ्यूज के समय धमाका इतना तेज हुआ कि वहां 15-20 मीटर के दायरे में करीब 3-4 फीट गहरा हो गया। आसपास के पेड़ों के पत्ते पुरी तरह से गिर गए।

सभी आईईडी आरसी श्रेणी के हैं। आरसी श्रेणी के बम खतरनाक होते हैं। ये 10-15 मीटर के दायरे में जबरदस्त तरीके से नुकसान पहुंचाते हैं। सभी में विस्फोटक भरे पड़े थे। हर एक केन और सिलिंडर बम को नक्सलियों ने प्लास्टिक व कार्बन पेपर से कवरअप किया गया था। कार्बन पेपर से कवर करने के पीछे का मकसद यही होता है कि फोर्स जब डिटेक्टर लगाए तो आईईडी बम पकड़ में न आए। और प्लास्टिक से कवर का उद्देश्य यही होता है कि पानी से बम को नुकसान न पहुंचे।

कमांडेंट को गुप्त सूचना मिली थी कि छकरबंंधा के क्षेत्र में सुरक्षा बलों को क्षति पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर लैंड माइंस प्लाट किया गया है। इसके बाद 29 वीं वाहिनी एसएसबी के कमांडेंट हरे कृष्णा गुप्ता एवं 159 बटालियन सीआरपीएफ के कमांडेंट कमलेश सिंह के निर्देश पर एसएसबी बीबीपेसरा एवं सीआरपीएफ लुटुआ तथा लुटुआ थाने की पुलिस का एक संयुक्त दल द्वारा ग्राम नागोवार से 400 मीटर दक्षिण जंगली पहाड़ी क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया गया।

सर्च अभियान में एक सीरीज में 10 की संख्या में मिले लैंडमाइंस जो कि छह केन बम तथा 4 सिलेंडर बम के रूप में थे। इन सभी को बम निरोधक दस्ता के हाथ सावधानीपूर्वक उस जगह पर से सभी लैंडमाइंस को डिफ्यूज कर दिया गया। यह क्षेत्र नक्सल के गढ़ छकरबंधा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, इसीलिए नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को घात लगाकर नुकसान पहुंचाने के लिए प्लांट किया गया था।

नक्सली अपने मंसूबे में सफल हो जाते तो फोर्स को बहुत बड़ा नुकसान दे सकते थे। आए दिन इस क्षेत्र में नक्सलियों की गिरफ्तारी एवं हथियार तथा बम बरामदगी से नक्सलियों का मनोबल गिरा है। इसी कड़ी में सर्च ऑपरेशन सफलतापूर्वक चलाया गया, जिस कारण सुरक्षा बलों को एक और सफलता मिली। इस ऑपरेशन का नेतृत्व 29वीं वाहिनी एसएसबी बीबीपेसरा के सहायक कमांडेंट रामवीर कुमार तथा सीआरपीएफ लुटुआ कैंप के सहायक कमांडेंट अर्पण ने किया।

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