सरकार ने उस प्रावधान को हटा दिया है, जिसके कारण आनंद मोहन जेल से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। दरअसल, सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन किया है। संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिना जाएगा, बल्कि यह एक साधारण हत्या मानी जाएगी।
जय बाबा केदार..!
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5 दिसम्बर 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया, अधिकारियों की एक बैठक में शामिल होकर वापस लौट रहे थे। इसके एक दिन पहले आनंद मोहन की पार्टी के ही नामी गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई हुई थी।
बताया जाता है कि हजारों की संख्या में लोग शव के साथ हाइवे पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की लाल वहां से आ रहे थे। वहां पर मौजूद भीड़ ने उनकी कार पर पथराव करना शुरू कर दिया था। इसके बाद लोगों ने डीएम कृष्णैया को खींचकर कार से बाहर ले आए और खाबरा गांव के पास पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी।
वहीं इस घटना के बाद उस समय सियासी गलियारों के साथ प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया था। डीएम हत्या के मामले में निचली अदालत ने पूर्व सांसद आनंद मोहन के अलावा पूर्व मंत्री अखलाक अहमद को 2007 में फांसी की सजा सुनाई थी। आनंद मोहन के जेल से बाहर आने को लेकर उनके समर्थकों के बीच काफी उत्साह हैं। पढ़िए पूरी खबर
वहीं अब आनंद मोहन के परिहार की प्रक्रिया अब आसान हो जाएगी। सरकार ने 10 अप्रैल को बड़ा बदलाव किया है। सरकारी सेवक की हत्या मामले में दोषियों की जेल से रिहाई के लिए बिहार सरकार के आदेश की जरूरत नहीं होगी। जेल में सजा की अवधि पूरी होने के बाद खुद ही सामान्य रिहाई के प्रावधानों के तहत रिहाई हो जाएगी।
बिहार सरकार कृषि विभाग (कारा) के तरफ से एक अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कहा गया कि, संख्या-कारा / 05-07 (अमू)-14/2022…./कारा अधिनियम, 1894 ( अधिनियम 9, 1894) की धारा 59 एवं दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 432 की ओर से प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार के राज्यपाल बिहार कारा हस्तक, 2012 में अधिसूचना निर्गत होने की तिथि से निम्नलिखित संशोधन करते है:
बिहार कारा हस्तक 2012 के नियम – 481 (i) (क) का संशोधन:- बिहार कारा हस्तक 2012 नियम – 481 (i) (क) में वर्णित वाक्यांश “या काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या” को विलोपित किया जायेगा।
इसका बड़ा लाभ अब आनंद मोहन को मिलेगा, क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी। अब इसे विलोपित कर दिया गया है।