और ऐसा प्रतीत होता है की पार्टी को हमारे जैसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं की जरूरत ही नहीं है, चंद्र स्वार्थी लोगों ने पार्टी को अपने वश में कर लिया है जो पार्टी को दीमक की तरह चाट रहे हैं।
राष्ट्रीय जनता दल में भी मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं बच गयी है उसे न तो मंच पे जगह दी जा रही है और न ही सरकार, संगठन में हिम्मेदारी दी जा रही है अगर कोई हिस्सेदारी दी भी गई है तो वो भी खरीद-फरोत के माध्यम से ही, जैसा की आम चर्चा में भी है की राज्यसभा की कुछ सीटें पैसों के लेन-देन से ही संभव हो पाया है।
पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। सूबे के सीएम नीतीश कुमार को और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को उन्होंने अपने इस्तीफे की कांपी भेज दी है।
मोनाजिर हसन ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में जेडीयू को दिशा से भटकी हुई पार्टी बताते हुए कहा कि जेडीयू दिशा से भटक चुकी है। वही महागठबंधन सरकार में मंत्री का वजूद नहीं रह गया है।
अब पार्टी के अंदर हमारे जैसे लोगों की कोई जरूरत नहीं रह गई है। मीडियाकर्मियों से बातचीत में उन्होंने आरजेडी पर भी हमला बोला, उन्होंने कहा कि बीजेपी का डर दिखाकर आरजेडी मुस्लिमों का वोट ले रही है। लोगों को नजर अंदाज किया जा रहा था और इसलिए ही मैंने जेडीयू से इस्तीफा देने का निर्णय लिया।