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26 मार्च, 2024
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Madhubani में दीदी की रसोई के जायका का स्वाद चखा क्या! परोसने में भी छुपी है भावना

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मुख्य बातें: दीदी की रसोई में मनाया गया विश्व खाद्य दिवस,पीरामल फाउंडेशन ने फूड पर की चर्चा,-अच्छे स्वास्थ्य का संकल्प लें पौष्टिक आहार का प्रतिदिन ग्रहण करें, -विश्व खाद्य दिवस 2023 का थीम ‘जल ही जीवन है, जल ही भोजन है’,-स्वस्थ शरीर के लिए ताज़ा पका खाना ही खाएं, -पौष्टिकता के लिए ‘मिलेट’ जैसे ज्वार, रागी, बाजरा युक्त आहार को अपने भोजन में शामिल करें

समीर कुमार मिश्रा, मधुबनी देशज टाइम्स ब्यूरो। हर साल  16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। इसी दिन संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना हुई थी। इसी वजह से हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया किया जाता है।

इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक भुखमरी का खात्मा करना है ताकि दुनिया का कोई भी इंसान भूखा ना रहे। बता दें कि हर साल खाने की कमी के कारण लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। ऐसे में विश्व खाद्य दिवस के जरिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जाती है।

विश्व खाद्य दिवस की शुरुआत सबसे पहले 1945 में रोम हुई थी। ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। साल 1981 से हर साल विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। विश्व खाद्य दिवस पर सदर अस्पताल, मधुबनी में दीदी की रसोई की दीदियों ने विश्व खाद्य दिवस मनाया, जहां पीरामल फाउंडेशन के मुदित पाठक ने फूड पे चर्चा का आयोजन किया।

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इसमें दीदियों ने अपने काम में आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। दीदियों ने अपने सामने आने वाली चुनौतियों के साथ-साथ चुनौतियों से निपटने के लिए अपनाए जा सकने वाले संभावित समाधानों पर भी खुलकर चर्चा की। साथ ही भोजन की बर्बादी एवं पानी की बर्बादी पर भी चर्चा की गई।

दीदी की रसोई की प्रभारी पूनम दीदी ने मरीजों को स्वादिष्ट भोजन बनाते और परोसते समय अपनी भावनाओं को साझा किया। उन्होंने अपनी टीम के बीच सेवा भाव और टीम निर्माण के बारे में भी चर्चा की, और वे अंतिम क्षणों में ऑर्डर प्राप्त करने और उसे गुणवत्तापूर्ण समय में वितरित करने जैसी महत्वपूर्ण परिस्थितियों से कैसे संभालती है के बारे में बताया।

दीदी की रसोई की शुरुआत के बाद से सभी परिवार की तरह काम कर रहे हैं। और मरीजों और उनके परिवार को नाममात्र की कीमत पर भोजन परोस रहे हैं। प्रभारी ने बताया कि वे यह सुनिश्चित करते हैं कि हर मरीज को सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला भोजन मिले। यही हम लोगों की प्राथमिकता है। भारत सरकार की ओर से वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज (मिलेट्स) वर्ष घोषित किया गया।

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सिविल सर्जन डॉ: नरेश कुमार भीमसारिया ने बताया कि इस वर्ष भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज (मिलेट्स ) घोषित किया गया है। लोग अच्छे स्वास्थ्य का संकल्प लें। पौष्टिक आहार का प्रतिदिन ग्रहण करें। स्वस्थ शरीर के लिए ताज़ा पका खाना ही खाएं व पौष्टिकता के लिए ‘मिलेट’ जैसे ज्वार, रागी, बाजरा युक्त आहार को अपने भोजन में शामिल करें।

इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस 2023 का थीम ‘जल ही जीवन है, जल ही भोजन है’ घोषित किया गया है। यह थीम अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पानी और भोजन के बीच के संबंध पर केंद्रित है। यह थीम हमें दुनियाभर में पर्याप्त भोजन न होने और पर्याप्त स्वच्छ पानी न होने जैसी कठिन समस्याओं से निपटने के लिए मिलकर काम करने को प्रेरित करता है।

मोटे अनाज को मुख्य भोजन में शामिल करने के लिए लोगों को करें जागरूक :सिविल सर्जन ने बताया मिलेट्स यानी मोटे अनाजों के इस्तेमाल करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। मोटे अनाजों में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्त्व शामिल होते हैं, जो बच्चों के आहार में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता। लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाना चाहिए जिससे कि बच्चों को सही पोषण मिल सके और वे स्वस्थ रह सकें।

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उच्च पोषण मूल्य से भरा होता है मिलेट्स :मिलेट्स अनाजों का समूह है जो परंपरागत रूप से भारत  में 5 हजार से अधिक वर्षों से उपजायी व खायी जाती। उसका उच्च पोषण मूल्य है। ये प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर हैं। इसलिए सभी लोगों को मिलेट्स भोजन का उपयोग करना चाहिए ताकि वे स्वस्थ व तंदुरुस्त रह सकें।

मिलेट्स के स्वास्थ्य लाभ :

•मांशपेशियों के क्षरण को धीमा करने में मदद करता है।
•मासिक धर्म में ऐंठन से राहत दिलाने में मदद करता है।
•उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।
•मलाशय कैंसर के खतरे को कम करता है।
•हृदय धमनी विकार का इलाज करता है।
•एंटी ऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है।
•वजन घटाने में मदद करता है।
•मधुमेह को नियंत्रित करता है।
•नींद में सहायक होता है।

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