जानकारी के अनुसार,सात जनवरी से शुरू हुई जनगणना 15 मई को खत्म होने वाली थी, लेकिन पहले ही इसपर रोक लगा दी गई। रोक लगाने तक जातीय गणना 80% तक पूरा हो गया था।
इससे पहले 4 मई को कोर्ट ने जातीय गणना पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी। साथ ही, डेटा सुरक्षित रखने का आदेश दिया गया था। वहीं, सुनवाई की अगली तारीख तीन जुलाई तय की थी।
जातिगत जनगणना का मुद्दा 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में उठा था। जिसमें सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया था कि बिहार सरकार को इसे कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को इस मुद्दे पर जल्द से जल्द सुनवाई के निर्देश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था कि, यदि 3 जुलाई को पटना हाईकोर्ट सुनवाई नहीं करता है तो हम 14 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेंगे। हाईकोर्ट की रोक के बाद बिहार सरकार ने मामले में जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी, इसपर नौ मई को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए तारीख बदलने से इंकार कर दिया।
जानकारी के अनुसार, इससे पहले, जातीय गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट में आज की सुनवाई खत्म हो गई है। मंगलवार को फिर से इसपर 11:30 बजे सुनवाई की जाएगी। यह सुनवाई चीफ जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की बेंच ने की है पहले दिन की सुनवाई में याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखा, मंगलवार को भी याचिकाकर्ता द्वारा अपना पक्ष रखा जाएगा।
इसके बाद सरकार अपना पक्ष रखेगी। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील दीनू ने बताया कि अगले दो दिनों में में फैसला आ सकता है। फैसला आने तक लगातार सुनवाई होती रहेगी। बता दें कि गणना 80% पूरा हो गया है।
पटना हाईकोर्ट ने 4 मई को सुनवाई करते हुए जातीय गणना पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने डेटा नष्ट करने के भी आदेश दिए थे। जिसके बाद सरकार की ओर से इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।