Bihar Politics | ये संतान मोह के धागे…पार्टियों की उंगलियों से जा उलझे…कोई टोह-टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे? तू होगा ज़रा पागल तूने मुझको है चुना, कैसे तूने अनकहा, तूने अनकहा सब सुना….हालात यही हैं, हर दल कहेंगे गाएंगें तू दिन सा है, मैं रात, आ ना दोनों मिल जाएं शामों की तरह…ये मोह-मोह के धागे मेरी उंगलियों से जा उलझे, कोई टोह-टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे…?
Bihar Politics| जहां… कार्य- कर्ताओं की पार्टी कोई बची नहीं, जहां देखो वहीं परिवार की भीड़…।
जी हां, ये परिवारवाद का रूप अब जंगलराज में तब्दील हो चुका है…जहां पुत्र-पुत्रियों की मोह में जकड़े नेताजी, किस-किस से कहें….इससे बेहतर यही है, सब मिलकर यही कहें….चल दरिया में डूब जाएं…हालात भी यही है। एक के बाद एक। जैसे-जैसे लोकसभा सीटों का बंटवारा और टिकटों का वितरण कार्यक्रम की पकड़आ उम्मीदवार मिलते जा रहे हैं उसमें, गठबंधन की बात बेमानी दिखती है। किसी भी दल में गठबंधन उसके धर्म के कोई मायने नहीं हैं। ना कोई शुचिता, ना सोच, बस चाहत में बेशुमार इश्क यही, सत्ता की चाबी मिल जाए और हम तुम एक कमरे में बंद हो जाएं जहां से पूरी ताकत, सत्ता, कुर्सी, पुलिस-प्रशासन, नारे, सरकार, सब मनमुताबिक…मनोनुरूप…कारण साफ है जहां…कार्यकर्ताओं की पार्टी कोई बची नहीं, जहां देखो वहीं परिवार की भीड़…।
Bihar Politics| परिवारवाद का रोग खुलेआम है। इस मोह की टोल का केंद्र फिलहाल दरभंगा प्रमंडल का समस्तीपुर है
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