जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की तीन दिवसीय बैठक रविवार दोपहर चार बजे संपन्न हो गई। तीन दिनों तक चली इस बैठक में मुख्य रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई। इस दौरान कई राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित हुए। आज हुई राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कई अहम मुद्दों पर मंथन हुआ।
बैठक में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सभी पार्टियां अगर एकजुट होकर लड़ें तो परिणाम अच्छा आयेगा। उन्होंने कहा कि मैं संख्या बल की बात नहीं कर रहा हूं लेकिन सब साथ हो तो तो भारी सफलता मिल सकती है। नीतीश आज उस बयान से पलट गए जिसमें उन्होंने भाजपा को 50 सीटों पर समेटने का दावा किया था। उन्होंने कहा कि वे सीटों की बात नहीं करते हैं लेकिन जब सभी विपक्षी दल एक होंगे तो भाजपा को परास्त कर सकते हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में वे दिल्ली जाएंगे और वहां विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर उन्हें एकजुट करेंगे। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के सात दलों में चार दलों के नेता दिल्ली में ही है। दिल्ली जाने के बाद उनसे मिलेंगे और सभी लोगों से बातचीत करने के बाद आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। इस दौरान वे राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे।।
नीतीश कुमार ने शनिवार को जदयू की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में कहा था कि वे भाजपा के खिलाफ पूरे देश में विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के काम पर लग गये हैं। नीतीश ने कहा कि 2024 चुनाव में अगर सभी विपक्षी दल मिलकर चुनाव लड़ें तो भाजपा को 50 सीटों पर आ जाएगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि अब जीवन में कभी भी भाजपा से जदयू का समझौता नहीं हो सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय परिषद की बैठक में एनडीए से अलग होने के कारणों को विस्तार से पार्टी नेताओं व अधिकारियों को बताया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी।
केसी त्यागी ने यह भी कहा कि जदयू मानती है कि बिना कांग्रेस और वामदलों के साथ गठबंधन के भाजपा के खिलाफ मजबूत लड़ाई नहीं हो सकती है। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर गैर भाजपा और गैर कांग्रेस गठबंधन चाहते हैं।
वहीं जदयू के सदस्यता अभियान की शुरुआत आज से हो गई। सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी के सदस्य बने। उन्हें जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सदस्य बनाया। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ललन सिंह को सदस्य बनाया। सदस्यता अभियान 8 नवंबर तक चलेगा। इसके बाद पंचायत से राष्ट्रीय स्तर तक की इकाई गठित की जाएगी। राज्यसभा सदस्य अनिल हेगड़े राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी बनाये गये।
नीतीश कुमार के इस बयान को लेकर भाजपा नेताओं ने जमकर हमला बोला। गिरिराज सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि आजतक कभी भी नीतीश अकेले चुनाव लड़कर सत्ता में नहीं आए और नरेन्द्र मोदी को औकात दिखाने चले हैं, अपन बियाह न सूरदास के बरतूहारी।
भाजपा नेता और कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को 2024 के आगामी लोकसभा आम चुनाव में 50 पर समेटने का दिवास्वप्न देखने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2014 के हश्र को भी याद करना चाहिए। जब जदयू दो सीटों पर सिमट गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ही प्रभाव था कि जदयू 2 से 16 सीट पर आ गयी।
तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि वस्तुतः मुख्यमंत्री व्यक्तिगत स्वार्थ और महत्वाकांक्षा के समुद्र में गोते लगा रहे हैं और जब व्यक्ति निजी स्वार्थ के चश्मे से चीजों को देखता है तो उसे हकीकत नजर नहीं आती। अवसरवादी नीति और सिद्धांतों के कारण दो राज्यों में जिनकी अपनी पार्टी अस्तित्व समाप्त हो गया, वे 2024 में विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जनता बखूबी जानती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विराट व्यक्तित्व के सामने विपक्ष का कोई उम्मीदवार उनकी बराबरी का नहीं है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेताओं के बयान से भी नीतीश कुमार को विपक्षी पार्टी के साझा उम्मीदवार घोषित किए जाने के मंसूबे पर पानी फिर गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आत्ममुग्धता में जी रहे हैं। 2024 तक उनकी पार्टी बचेगी कि नहीं उन्हें इसकी चिंता करनी चाहिए।