Bihar Politics: बिहार की सियासत में बयानों के तीर चलना कोई नई बात नहीं, लेकिन जब कोई बड़ा नेता अपने ही साथियों पर निशाना साधे, तो गर्मी बढ़ना तय है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के हालिया बयान ऐसे ही सियासत में भूचाल लाए हैं। हाल ही में उन्होंने धार्मिक स्थलों पर अन्य धर्मों के पाठ के संबंध में अपनी बेबाक राय रखी, साथ ही बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। इसके अतिरिक्त, राज्यसभा सीट को लेकर चल रही चर्चाओं पर भी उन्होंने स्पष्टीकरण दिया और अपने एनडीए सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा को अतीत में मिले राजनीतिक लाभों को याद दिलाते हुए एक महत्वपूर्ण नसीहत भी दे डाली।
धार्मिक स्थलों पर बयान और बिहार पॉलिटिक्स में उबाल
केंद्रीय मंत्री ने सार्वजनिक मंच से यह स्पष्ट किया कि किसी भी धार्मिक स्थल के सामने अन्य धर्मों के पाठ का आयोजन करना अनुचित है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में धार्मिक सद्भाव और सहिष्णुता को लेकर विभिन्न चर्चाएं चल रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां अक्सर अनावश्यक विवादों को जन्म देती हैं और इससे बचना चाहिए। मांझी ने आगे बढ़कर बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर गहरा दुख और चिंता व्यक्त की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
राज्यसभा सीट को लेकर राजनीतिक गलियारों में चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी की ओर से इस संबंध में कोई विशेष मांग नहीं की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एनडीए गठबंधन में सीटों का बंटवारा एक सामूहिक निर्णय होता है और वे सभी घटक दलों के साथ मिलकर इस पर विचार करेंगे। यह सुनिश्चित करते हुए कि गठबंधन में किसी प्रकार की दरार न पड़े, उन्होंने कहा कि वे पार्टी के हित और गठबंधन की एकजुटता दोनों को ध्यान में रखेंगे।
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उपेंद्र कुशवाहा को ‘पुरानी बातें’ याद दिलाईं
मांझी ने अपने एनडीए सहयोगी और रालोजद प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को भी एक बड़ी नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन में जब किसी नेता को पूर्व में पद या लाभ मिल चुके हों, तो उन्हें भविष्य की संभावनाओं को लेकर अधिक एतराज नहीं करना चाहिए। यह बयान राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इसे कुशवाहा की संभावित राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और गठबंधन के भीतर उनकी स्थिति से जोड़कर देखा जा रहा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब बिहार में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। विभिन्न दलों के नेता अपने बयानों से न केवल अपने कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं, बल्कि प्रतिद्वंद्वी खेमे पर भी निशाना साध रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके इन बयानों का बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है और अन्य नेता इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




